बिल का सारांश

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल, 2016

  • सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री थावरचंद गहलौत ने 2 अगस्त, 2016 को लोकसभा में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल, 2016 पेश किया।.
     
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति की परिभाषाः बिल कहता है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति ऐसा व्यक्ति है जोकि (i) न तो पूरी तरह से महिला है और न ही पुरुष, (ii) महिला और पुरुष, दोनों का संयोजन है, या (iii) न तो महिला है और न ही पुरुष। ऐसे व्यक्तियों का लिंग जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता और इसके तहत इंटरसेक्स भिन्नताओं और लिंग विलक्षणताओं वाले व्यक्तियों के साथ ट्रांस-मेन (परा-पुरुष) और ट्रांस-विमेन (परा-स्त्री) भी आते हैं।
     
  • भेदभाव पर प्रतिबंध : बिल ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है जिसमें निम्नलिखित के संबंध में सेवा प्रदान करने से इनकार करना या अनुचित व्यवहार करना शामिल हैः (i) शिक्षा, (ii) रोजगार, (iii) स्वास्थ्य सेवा, (iv) सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध उत्पादों, सुविधाओं और अवसरों तक पहुंच और उसका उपभोग, (v) कहीं आने-जाने (मूवमेंट) का अधिकार (vi) किसी प्रॉपर्टी में निवास करने, उसे किराये पर लेने, स्वामित्व हासिल करने या अन्यथा उसे कब्जे में लेने का अधिकार, और (vii) सार्वजनिक या निजी पद को ग्रहण करने का अवसर। इसके अतिरिक्त जिस सरकारी या निजी प्रतिष्ठान की निगरानी या देखभाल में कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति रहता है, उस तक पहुंच, वहां से हटाए न जाने और वहां अनुचित व्यवहार न किए जाने का अधिकार भी इस बिल में प्रदान किया गया है।
     
  • निवास का अधिकार : प्रत्येक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपने परिवार में रहने और उसमें शामिल होने का अधिकार है। अगर किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति का निकट परिवार उसकी देखभाल करने में अक्षम है तो उस व्यक्ति को सक्षम न्यायालय के आदेश के बाद पुनर्वास केंद्र में भेजा जा सकता है।
     
  • रोजगार : कोई सरकारी या निजी संस्था रोजगार से जुड़े मामलों, जैसे भर्ती, पदोन्नति इत्यादि, में किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति से भेदभाव नहीं कर सकती। अगर संस्था में 100 से अधिक व्यक्ति कार्य करते हैं, तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह एक्ट के तहत मिलने वाली शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत निवारण अधिकारी को निर्दिष्ट करेगा।
     
  • शिक्षा : सरकार द्वारा वित्त पोषित या मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान भेदभाव किए बिना ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समावेशी शिक्षा, खेल एवं मनोरंजन की सुविधाएं प्रदान करेंगे।
     
  • स्वास्थ्य सेवा : सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाएगी जिसमें अलग एचआईवी सर्विलेंस सेंटर, सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी इत्यादि शामिल है। सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों को संबोधित करने के लिए चिकित्सा पाठ्यक्रम की समीक्षा करेगी और उन्हें समग्र चिकित्सा बीमा योजनाएं प्रदान करेगी।
     
  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की आइडेंटिटी से जुड़ा सर्टिफिकेट : एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति जिला मेजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकता है कि ट्रांसजेंडर के रूप में उसकी आइडेंटिटी से जुड़ा सर्टिफिकेट जारी किया जाए। जिला मेजिस्ट्रेट जिला स्क्रीनिंग कमिटी के सुझावों के आधार पर ऐसे सर्टिफिकेट जारी करेगा। इस कमिटी में निम्नलिखित शामिल होंगे : (i) चीफ मेडिकल ऑफिसर, (ii) जिला सामाजिक कल्याण अधिकारी, (iii) मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक, (iv) ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रतिनिधि और (v) संबंधित सरकार का एक अधिकारी।
     
  • सरकार द्वारा किए गए कल्याणकारी उपाय : बिल कहता है कि संबंधित सरकार समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पूर्ण समावेश और भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी। वह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बचाव (रेस्क्यू) एवं पुनर्वास तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए कदम उठाएगी, ट्रांसजेंडर संवेदी योजनाओं का सृजन करेगी और सांस्कृतिक क्रियाकलापों में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देगी।
     
  • अपराध और दंड : बिल निम्नलिखित को अपराध के रूप में मान्य करता है : (i) ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से भीख मंगवाना, बलपूर्वक या बंधुआ मजदूरी करवाना (इसमें सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अनिवार्य सरकारी सेवा शामिल नहीं है), (ii) उन्हें सार्वजनिक स्थान का प्रयोग करने से रोकना, (iii) उन्हें परिवार, गांव इत्यादि में निवास करने से रोकना, और (iv) उनका शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक उत्पीड़न करना।
     
  • ऐसे अपराधों के लिए छह महीने से लेकर दो वर्ष तक का कारावास हो सकता है और जुर्माना भरना पड़ सकता है।
     
  • राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद (एनसीटी) : एनसीटी के निम्नलिखित सदस्य होंगे : (i) केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री (अध्यक्ष), (ii) सामाजिक न्याय राज्य मंत्री (सह अध्यक्ष), (iii) सामाजिक न्याय मंत्रालय के सचिव, और (iv) स्वास्थ्य, गृह मामलों, आवास, मानव संसाधन विकास से संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि। अन्य सदस्यों में नीति आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधि शामिल होंगे। राज्य सरकारों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त परिषद में ट्रांसजेंडर समुदाय के पांच सदस्य और गैर सरकारी संगठनों के पांच विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
     
  • यह परिषद ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में नीतियां, विधान और योजनाएं बनाने एवं उनका निरीक्षण करने के लिए केंद्र सरकार को सलाह प्रदान करेगी।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च “पीआरएस”) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है।

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।