बिल का सारांश

भवन और अन्य निर्माण श्रमिक संबंधी कानून (संशोधन) बिल, 2013

  • श्रम और रोजगार मंत्री ने 18 मार्च, 2013 को राज्यसभा में भवन और अन्य निर्माण श्रमिक संबंधी कानून (संशोधन) बिल, 2013 पेश किया। इसके बाद इस बिल को विचारार्थ स्टैंडिंग कमिटी को सौंपा गया जिसे तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
     
  • बिल दो कानूनों में संशोधन करता है। पहला कानून है- भवन तथा अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा की शर्तों का रेगुलेशन) एक्ट, 1996 (आरईसीएस एक्ट) और दूसरा कानून है- भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर एक्ट, 1996 (डब्ल्यूसी एक्ट)।
     
  • आरईसीएस एक्ट भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के रोजगार, सेवा की शर्तो, स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण संबंधी उपायों को रेगुलेट करता है।
     
  • डब्लयूसी एक्ट में यह प्रावधान है कि निर्माण की लागत का एक से दो प्रतिशत हिस्सा नियोक्ता से उपकर के तौर पर लिया और जमा किया जाएगा। उपकर का संग्रह करने वाली अथॉरिटी (स्थानीय अथॉरिटी या राज्य सरकार), उपकर जमा करने की लागत के तौर पर, कुल राशि में से एक प्रतिशत तक की कटौती करती है। यह उपकर आरईसीएस एक्ट के तहत गठित भवन और निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड को चुकाया जाएगा।
     
  • निर्माण की कुल लागत की 10 लाख रुपए की ऊपरी सीमा को हटाने के लिए आरईसीएस एक्ट में संशोधन किया जा रहा है। बिल केंद्र सरकार को निर्माण की अधिकतम लागत को अधिसूचित करने की अनुमति देता है।
     
  • आरईसीएस एक्ट के तहत, 18 से 60 वर्ष के बीच के निर्माण श्रमिक, जो कम से कम 90 दिन (पिछले एक वर्ष के दौरान) के लिए भवन या निर्माण कार्य में लगे हैं, लाभार्थी के रूप में पंजीकृत होने के योग्य हैं। संशोधन में निम्न प्रावधानों को हटाया गया है : (i) श्रमिकों के पंजीकरण के लिए 90 दिन की अनिवार्यता और, (ii) 60 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा।
     
  • जब तक राज्य सरकारें अपने राज्य कल्याण बोर्ड का गठन नहीं करतीं, तब तक संशोधन ऐसे समान बोर्ड के गठन की बात करता है जोकि उसी प्रकार के कार्य करेगा। बोर्ड का एक चेयरपर्सन होगा जोकि श्रम विभाग का सचिव होगा। वित्त, योजना और सामाजिक कल्याण विभागों के सचिव इस बोर्ड के अन्य सदस्य होंगे।
     
  • आरईसीएस एक्ट के अनुसार, कल्याण बोर्ड एक वित्तीय वर्ष के दौरान किए जाने वाले कुल परिव्यय का पांच प्रतिशत तक हिस्सा वेतन, भत्तों और अन्य प्रशासनिक आवश्यकताओं पर खर्च कर सकता है। संशोधन में इस सीमा को हटाया गया है और केंद्र सरकार को इस सीमा को अधिसूचित करने की अनुमति दी गई है।
     
  • आरईसीएस एक्ट में संशोधन केंद्र सरकार को इस बात की अनुमति देते हैं कि वह निरीक्षण के मानदंड निर्धारित करने के लिए महानिदेशकों (10 से अधिक नहीं) की नियुक्ति करे और उनके साथ समन्वय स्थापित करे। ये महानिदेशक संबंधित क्षेत्रों में निरीक्षक के अधिकारों का प्रयोग करेंगे।
     
  • डब्ल्यूसी एक्ट को संशोधित किया गया है और यह प्रावधान किया गया है कि उपकर का संग्रह करने वाली अथॉरिटी 30 दिनों के अंदर कल्याण बोर्ड में उपकर जमा करा दे।
     
  • बिल राज्य सरकारों को एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों को दर्ज करने की अनुमति देता है।

 
 

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