बिल का सारांश

किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण) संशोधन बिल, 2018

  • महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 6 अगस्त, 2018 को लोकसभा में किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण) संशोधन बिल, 2018 पेश किया। बिल किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण) एक्ट, 2015 में संशोधन करता है। इस एक्ट में कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों और देखरेख एवं संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों से संबंधित प्रावधान हैं। बिल बच्चों के एडॉप्शन से संबंधित प्रावधानों में कुछ परिवर्तन करने का प्रयास करता है।
     
  • 2015 के एक्ट के अंतर्गत एडॉप्शन : एक्ट में भारत और विदेशों में भावी दत्तक (एडॉप्टिव) माता-पिता द्वारा बच्चों को गोद लेने से संबंधित प्रावधान हैं। भावी माता-पिता के द्वारा बच्चे की स्वीकृति के बाद स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी एडॉप्शन आदेश हासिल करने के लिए दीवानी अदालत में आवेदन दे सकती है। अदालत द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद बच्चा दत्तक माता-पिता का हो जाता है। बिल में कहा गया है कि अदालत के बजाय अब डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट एडॉप्शन के आदेश जारी करेंगे।
     
  • जिन मामलों में विदेश में रहने वाला कोई व्यक्ति भारत में अपने किसी संबंधी से बच्चा गोद लेना चाहता है, उन मामलों में उस व्यक्ति को अदालत से एडॉप्शन का आदेश हासिल करना होता है। ऐसे मामलों में बिल अदालत को रिप्लेस करता है और डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को एडॉप्शन के आदेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
     
  • कार्यवाहियों का हस्तांतरण : बिल किसी अदालत में एडॉप्शन से संबंधित सभी लंबित मामलों को उस क्षेत्र के क्षेत्राधिकार वाले डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को ट्रांसफर करता है।

 

 

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