बिल का सारांश

आर्म्स (संशोधन) बिल, 2019

  • गृह मामलों के मंत्री अमित शाह ने 29 नवंबर, 2019 को लोकसभा में आर्म्स (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया। बिल आर्म्स एक्ट, 1959 में संशोधन करने का प्रयास करता है। कोई व्यक्ति कितनी लाइसेंसशुदा बंदूकें रख सकता है, बिल उस संख्या को कम करता है, साथ ही एक्ट के अंतर्गत कुछ अपराधों की सजा बढ़ाता है। बिल में अपराधों की नई श्रेणियों को भी प्रस्तावित किया गया है।
     
  • बंदूक खरीदने के लिए लाइसेंस: एक्ट के अंतर्गत बंदूक खरीदने, उसे रखने या कैरी करने के लिए लाइसेंस लेना होता है। कोई व्यक्ति तीन बंदूकों का लाइसेंस ही ले सकता है (इसमें कुछ अपवाद हैं, जैसे बंदूकों के लाइसेंसशुदा डीलर्स के लिए)। बिल बंदूकों की संख्या को तीन से एक करता है। इसमें उत्तराधिकार या विरासत के आधार पर मिलने वाला लाइसेंस भी शामिल है। बिल एक साल की समय सीमा प्रदान करता है जिस दौरान अतिरिक्त बंदूकों को निकटवर्ती पुलिस स्टेशन के ऑफिसर-इन-चार्ज या निर्दिष्ट लाइसेंसशुदा बंदूक डीलर के पास जमा करना होगा। अगर बंदूक का मालिक सशस्त्र सेना का सदस्य है तो वह यूनिट आर्मरी में बंदूकें जमा करा सकता है। एक वर्ष की अवधि के समाप्त होने के 90 दिनों के भीतर इन बंदूकों का लाइसेंस समाप्त हो जाएगा।
     
  • बिल बंदूकों के लाइसेंस की वैधता की अवधि को बढ़ाकर तीन से पांच वर्ष करता है।
     
  • प्रतिबंध: एक्ट लाइसेंस के बिना बंदूकों की मैन्यूफैक्चरिंग, बिक्री, इस्तेमाल, ट्रांसफर, परिवर्तन, टेस्टिंग या प्रूफिंग पर प्रतिबंध लगाता है। वह लाइसेंस के बिना बंदूकों के बैरल को छोटा करने या नकली बंदूकों को असली बंदूकों में बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। इसके अतिरिक्त बिल गैर लाइसेंसशुदा बंदूकों को हासिल करने या खरीदने तथा लाइसेंस के बिना एक श्रेणी की बंदूकों को दूसरी श्रेणी में बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। बिल राइफल क्लब्स या संगठनों को इस बात की अनुमति देता है कि वे टारगेट प्रैक्टिस के लिए किसी भी बंदूक का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब तक उन्हें सिर्फ प्वाइंस 22 बोर की राइफल्स या एयर राइफल्स का इस्तेमाल करने की अनुमति थी।
     
  • सजा में बढ़ोतरी: बिल अनेक अपराधों से संबंधित सजा में संशोधन करता है। एक्ट में निम्नलिखित के संबंध में सजा निर्दिष्ट है: (i) गैर लाइसेंसशुदा हथियार की मैन्यूफैक्चरिंग, खरीद, बिक्री, ट्रांसफर, परिवर्तन सहित अन्य क्रियाकलाप, (ii) लाइसेंस के बिना बंदूकों को छोटा करना या उनमें परिवर्तन, और (iii) प्रतिबंधित बंदूकों का आयात या निर्यात। इन अपराधों के लिए तीन से सात वर्ष की सजा है, साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ता है। बिल इसके लिए सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान करता है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
     
  • एक्ट के अंतर्गत लाइसेंस के बिना प्रतिबंधित अस्त्र-शस्त्र (एम्यूनिशन) खरीदने, अपने पास रखने या कैरी करने पर पांच से दस साल की कैद हो सकती है, और जुर्माना भरना पड़ सकता है। बिल इस सजा को जुर्माने सहित सात से 14 साल करता है। अदालत कारण बताकर इस सजा को सात साल से कम कर सकती है।
     
  • एक्ट के अंतर्गत लाइसेंस के बिना प्रतिबंधित बंदूकों से डील करने (जिसमें उनकी मैन्यूफैक्चरिंग, बिक्री और मरम्मत शामिल है) पर सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ता है। बिल न्यूनतम सजा को सात से 10 वर्ष करता है। जिन मामलों में प्रतिबंधित हथियारों (आर्म्स और एम्यूनिशन) के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, उस स्थिति में अपराधी को मृत्यु दंड का प्रावधान था। बिल में इस सजा को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास किया गया है, जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
     
  • नए अपराध: बिल नए अपराधों को जोड़ता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पुलिस या सशस्त्र बलों से जबरन हथियार लेने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा, साथ ही जुर्माना, (ii) सेलिब्रेशन में गोलीबारी करने, जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ती है, पर दो साल तक की सजा होगी, या एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा, या दोनों सजाएं भुगतनी पड़ेंगी। सेलिब्रेशन में गोलीबारी का अर्थ है, सार्वजनिक सभाओं, धार्मिक स्थलों, शादियों या दूसरे कार्यक्रमों में गोलीबारी करने के लिए बंदूकों का इस्तेमाल करना।
     
  • बिल संगठित आपराधिक सिंडिकेट्स के अपराधों और गैरकानूनी तस्करी को भी स्पष्ट करता है। संगठित अपराध का अर्थ है, सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या उसकी ओर से किसी व्यक्ति द्वारा आर्थिक या दूसरे लाभ लेने के लिए गैर कानूनी तरीकों को अपनाकर, जैसे हिंसा का प्रयोग करके या जबरदस्ती, गैर कानूनी कार्य करना। संगठित आपराधिक सिंडिकेट का अर्थ है, संगठित अपराध करने वाले दो या उससे अधिक लोग। एक्ट का उल्लंघन करते हुए सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा बंदूक या एम्यूनिशन रखने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। यह सजा उन लोगों पर भी लागू होगी, जोकि सिंडिकेट की ओर से गैर लाइसेंसशुदा बंदूक से डील करते हैं (इसमें मैन्यूफैक्चरिंग या बिक्री भी शामिल है), लाइसेंस के बिना बंदूकों में बदलाव करते हैं, या लाइसेंस के बिना बंदूकों का आयात या निर्यात करते हैं।
     
  • बिल के अनुसार, अवैध तस्करी में भारत में या उससे बाहर उन बंदूकों या एम्यूनिशन का व्यापार, उन्हें हासिल करना तथा उनकी बिक्री करना शामिल है जो एक्ट में चिन्हित नहीं हैं या एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। अवैध तस्करी के लिए 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
     
  • बंदूकों की ट्रैकिंग: केंद्र सरकार अवैध मैन्यूफैक्चरिंग और तस्करी का पता लगाने, उसकी जांच और आकलन करने के लिए मैन्यूफैक्चरर से खरीदार तक बंदूकों और एम्यूनिशन को ट्रैक करने के नियम बना सकती है।

 

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