बिल का सारांश

कंपनी (संशोधन) बिल, 2016

  • कंपनी (संशोधन) बिल, 2016 लोकसभा में 16 मार्च, 2016 को पेश किया गया। यह बिल कंपनी एक्ट, 2013 को संशोधित करने का प्रयास करता है जोकि कंपनियों के संस्थापन, प्रबंधन, कार्य और परिसमापन को रेगुलेट करता है।
     
  • प्राइवेट प्लेसमेंट: कंपनियां एक छोटी संख्या में चुने हुए निवेशकों को सिक्योरिटीज, जैसे शेयर, बेचकर पूंजी जुटा सकती हैं। यह प्राइवेट प्लेसमेंट कहलाता है। एक्ट के तहत, कंपनियों को निवेशकों को प्राइवेट प्लेसमेंट का प्रस्ताव देते समय, अलग से एक ऑफर लेटर देना होता है जिसमें कंपनी के बारे में कुछ निश्चित जानकारियों का खुलासा किया जाता है। इस प्रक्रिया को सरल बनाते हुए बिल में अलग से ऑफर लेटर फाइल करने का प्रावधान हटा दिया गया है।
     
  • फॉरवर्ड डीलिंग (अग्रिम व्यवहार) और इनसाइडर ट्रेडिंग (भेदिया कारोबार): फॉरवर्ड डीलिंग में किसी कंपनी की सिक्योरिटीज को भविष्य की किसी तारीख पर किसी निश्चित मूल्य पर खरीदा जाता है। एक्ट कंपनी के निदेशकों और प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को फॉरवर्ड डीलिंग से रोकता है। बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है। इसी तरह, बिल एक्ट के उस प्रावधान को हटाने का प्रयास करता है जिसमें कंपनियों में इनसाइड ट्रेडिंग को प्रतिबंधित किया गया है। इनसाइड ट्रेडिंग में कंपनी के बारे में जानकारी रखने वाला कोई व्यक्ति कंपनी के स्टॉक की सार्वजनिक ट्रेडिंग करता है जिसके बारे में सार्वजनिक रूप से कोई नहीं जानता।
     
  • प्रबंधकीय पारिश्रमिकः एक्ट में प्रबंधकों को निर्धारित सीमा से अधिक भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार और शेयरधारकों से अनुमति लिए जाने की बात कही गई है। इस बिल में सरकार से अनुमति लिए जाने की जरूरत को खत्म कर दिया गया है। इसके अलावा, यह बिल स्पष्ट करता है कि कुछ मामलों में विशेष प्रस्ताव के जरिये शेयरधारकों की अनुमति की आवश्यकता होगी।
     
  • निदेशकों और अन्य इच्छुक लोगों को लोनः एक्ट कंपनी द्वारा उसके निदेशकों या उसकी होल्डिंग कंपनियों को लोन देने से प्रतिबंधित करता है। बिल में इस प्रतिबंध को सीमित किया गया है। कुछ मामलों में विशेष प्रस्ताव पास करके लोन प्राप्त किया जा सकता है।
     
  • कंपनी का ज्ञापनः एक्ट में कंपनी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने ज्ञापन में कंपनी को निगमित करने के उद्देश्य को स्पष्ट करे। बिल में इस जरूरत को हटाया गया है और यह अपेक्षा की गई है कि कंपनियां यह कहें कि वे सिर्फ वैध क्रियाकलाप या व्यापार करती हैं। फिर भी, अगर कंपनी ज्ञापन में उद्देश्यों को स्पष्ट करना चाहती है तो उसे उन निर्दिष्ट उद्देश्यों से अलावा किसी दूसरे क्रियाकलाप की अनुमति नहीं दी जाएगी।
     
  • निवेश कंपनियों के जरिये कंपनी में किया जाने वाला निवेशः एक्ट कंपनी में दो से अधिक निवेश कंपनियों द्वारा स्तरों में किए जाने वाले निवेश को प्रतिबंधित करता है। बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है।
     
  • सहायक (सबसिडियरी) कंपनियों की संख्याः कुछ कंपनियों की सहायक कंपनियां हो सकती हैं। एक्ट में ऐसी सहायक कंपनियों की संख्या की सीमा बताई गई है। बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है।
     
  • महत्वपूर्ण बेनेफिशियल ओनरः बिल कहता है कि महत्वपूर्ण बेनेफिशियल ओनर वह व्यक्ति होता है जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से: (i) कंपनी में कम से कम 25% बेनेफिशियल इंटरेस्ट रखता है या (ii) कंपनी पर महत्वपूर्ण नियंत्रण रखता है। बेनेफिशियल इंटरेस्ट का अर्थ यह है कि ओनर को लाभ हासिल करने का अधिकार है, लेकिन कानूनी स्वामित्व अन्य पक्षों (जैसे ट्रस्टी) द्वारा वहन किया जाता है। बिल में कहा गया है कि महत्वपूर्ण बेनेफिशियल ओनर कंपनी के सामने घोषणा करें और बताएं कि बेनेफिशियल ओनर के स्वामित्व में आने वाले इंटरेस्ट की प्रकृति क्या है। इसके अलावा, प्रत्येक कंपनी द्वारा बेनेफिशियल ओनरों का एक रजिस्टर रखा जाए। कंपनी का हर सदस्य इस रजिस्टर को देख सकता है।
     
  • ऑडिटर का समर्थनः एक्ट में कहा गया है कि कंपनी के सदस्यों को हर साल ऑडिटर की नियुक्ति या उसे बरकरार रखने के संबंध में अपना समर्थन देना होगा। बिल इस जरूरत को हटाता है।
     
  • अपेक्षित से कम सदस्यों की स्थिति में दायित्वः एक्ट में कंपनी के क्रियाकलापों को संचालित करने के लिए सदस्यों की न्यूनतम संख्या बताई गई है। बिल अपेक्षित संख्या से कम सदस्यों के साथ काम करने वाली कंपनियों के संबंध में दायित्व निर्धारित करता है।
     
  • परिभाषाः एक्ट के तहत, एसोसिएट कंपनियों की परिभाषा देते हुए कहा गया है कि यह एक ऐसी कंपनी है जिसमें किसी अन्य कंपनी के नियंत्रण में: (i) कम से कम 20% शेयर हों या (ii) कारोबार संबंधी निर्णय हों। बिल ने इस परिभाषा को बदल दिया है। वह एसोसिएट कंपनी को ऐसी कंपनी बताता है जिसमें किसी अन्य कंपनी का वोटिंग पावर में कम से कम 20% नियंत्रण या (ii) कारोबार संबंधी निर्णयों पर नियंत्रण या उसमें भागीदारी हो। इसके अतिरिक्त, बिल अन्य परिभाषाओं, जैसे ‘होल्डिंग कंपनी’, प्रमुख प्रबंधन कर्मी इत्यादि में भी संशोधन करता है।

 

यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।