स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

अप्रवासी भारतीय विवाह पंजीकरण बिल, 2019

  • विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. शशि थरूर) ने 13 मार्च, 2020 को अप्रवासी भारतीय विवाह पंजीकरण बिल, 2019 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल अप्रवासी भारतीयों के विवाह के पंजीकरण का प्रावधान करता है। कमिटी के मुख्य सुझावों में निम्न शामिल हैं:
  • व्यापक कानून: कमिटी ने कहा कि बिल व्यापक नहीं है क्योंकि यह केवल पत्नी को छोड़ने और घरेलू हिंसा जैसे अपराधों के आरोपी अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) पर इस बात का दबाव बनाता है कि वे लीगल अथॉरिटीज़ के सामने पेश हों। कमिटी ने सुझाव दिया कि कानून में प्रवासी पतियों द्वारा धोखे से शादी करने से संबंधित मामलों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जैसे तलाक, भरण-पोषण और बच्चों की कस्टडी।
  • परिभाषा: बिल के अनुसार, एक एनआरआई ऐसा भारतीय नागरिक होता है जो देश से बाहर रहता है। कमिटी ने कहा कि यह परिभाषा बहुत अस्पष्ट और सामान्य है। उसने सुझाव दिया कि एनआरआई को भारत के ऐसे नागरिक के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए जोकि पर्यटन को छोड़कर किसी भी उद्देश्य से भारत के बाहर रहता है।
  • विवाह का पंजीकरण: बिल एनआरआई के लिए विवाह के 30 दिनों के भीतर उसके अनिवार्य पंजीकरण का प्रावधान करता है। कमिटी ने कहा कि अनिवार्य पंजीकरण का उद्देश्य एनआरआई के यात्रा दस्तावेजों और स्थानीय निवास के पते की पुष्टि करना है। इससे सरकार जरूरी होने पर एनआरआई को सम्मन दे सकती है। हालांकि कमिटी ने कहा कि पंजीकरण के समय मांगी जाने वाली सूचना व्यापक नहीं होती। उसने सुझाव दिया कि यह सूचना विस्तृत होनी चाहिए जिसमें पासपोर्ट, वीज़ा या स्थानीय रेज़िडेंट कार्ड और प्रूफ के साथ विदेश में उसके पते का विवरण होना चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि इस सूचना को ऑनलाइन अपडेट करने का प्रावधान भी होना चाहिए।
  • पासपोर्ट को जब्त या उसे रद्द करना: बिल पासपोर्ट एक्ट, 1967 में संशोधन करने का प्रयास करता है। संशोधनों के जरिए पासपोर्ट अथॉरिटी को एनआरआई स्पाउस के पासपोर्ट को जब्त करने या उसे रद्द करने की अनुमति मिलेगी, अगर अथॉरिटी को इस बात की सूचना मिलती है कि उन्होंने अपनी शादी को 30 दिनों के भीतर पंजीकृत नहीं किया। कमिटी ने कहा कि एनआरआई के पासपोर्ट को सीधे जब्त करना या रद्द करना, कठोर, गैर अनुपातिक है और इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। उसने सुझाव दिया कि अथॉरिटी को पासपोर्ट जब्त या रद्द करने से पहले कारण बताओ नोटिस देना चाहिए, दृष्टांत योग्य जुर्माना लगाना चाहिए या लुक आउट नोटिस जारी करना चाहिए।
  • सम्मन और वारंट जारी करना: बिल आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में संशोधन करता है ताकि अदालत को इस बात का अधिकार दे सके कि वह विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के जरिए सम्मन और वारंट जारी कर सके। अगर व्यक्ति वेबसाइट पर वारंट जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होता तो एक घोषणा अपलोड की जाएगी और संपत्ति को जब्त करने की अनुमति होगी। कमिटी ने कहा कि घोषणा के बाद संपत्ति की जब्ती का प्रावधान कठोर है और अदालत के दायरे में आता है। उसने सुझाव दिया कि सम्मन और अदालती आदेश ऑनलाइन दिए जा सकते हैं। हालांकि दंडात्मक उपायों के बारे में अदालत द्वारा मामलों के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
  • महिलाओं से संबंधित प्रावधान: कमिटी ने कहा कि अप्रवासी पतियों द्वारा परित्यक्त महिलाओं को विदेशों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे आसानी से तलाक दे देना, वीजा और आव्रजन संबंधी मसले। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभिन्न देशों के साथ म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी और द्विपक्षीय संधियों में इस संबंध में सहयोग के प्रावधान होने चाहिए। इनमें महिलाओं को वीजा का एक्सटेंशन और आरोपी पति की संपत्ति को जब्त करन से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया जा सकता है।

 

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