मंत्रालय: 
विदेशी मामले

बिल की मुख्‍य विशेषताएं

  • प्रत्येक एनआरआई, जोकि किसी भारतीय नागरिक या किसी दूसरे एनआरआई से विवाह करता है, उसे विवाह के 30 दिनों के भीतर अपने विवाह का पंजीकरण कराना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता तो पासपोर्ट अथॉरिटी उसके पासपोर्ट को जब्त कर सकती है।
  • बिल आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 में एक प्रावधान जोड़ता है। अगर किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत तौर से सम्मन नहीं दिया जा सकता हो, तो विनिर्दिष्ट वेबसाइट पर अपलोड करके उसके खिलाफ सम्मन जारी किया जा सकता है। अगर वह व्यक्ति अदालत में हाजिर नहीं होता तो उसकी गिरफ्तारी का वारंट वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • बिल में 30 दिनों की अवधि के बाद पंजीकरण कराने (लेट रेजिस्ट्रेशन) का कोई प्रावधान नहीं है। पंजीकरण न कराने पर पासपोर्ट जब्त किया जा सकता है और उसके बाद निर्वासन जैसे नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।
     
  • बिल सम्मन की प्रक्रिया के संबंध में सीआरपीसी में संशोधन करता है। यह संशोधन बिल के अंतर्गत आने वाले अपराधों तक सीमित नहीं है। इस संशोधन के दायरे में सीआरपीसी के अंतर्गत आने वाले सभी मामले शामिल हो जाते हैं।
     
  • एक एनआरआई ऐसे भारतीय नागरिक के रूप में पारिभाषित है जो भारत के बाहर रहता है। अन्य कानूनों के विपरीत बिल यह स्पष्ट नहीं करता कि कितने दिनों तक भारत से बाहर रहने पर किसी व्यक्ति को एनआरआई कहा जाएगा।

भाग क : बिल की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

भारत में शादी का सर्टिफिकेट इस बात का सबूत होता है कि दो व्यक्तियों ने एक दूसरे से विवाह किया है और इसलिए उन्हें विवाह से संबंधित विभिन्न अधिकारों पर दावा करने की अनुमति है। अगर विवाह का पंजीकरण नहीं होता तो उसकी वैधता को साबित करना मुश्किल होता है। देश के सभी राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं जोकि राज्य में होने वाले विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य करते हैं।[1]  हालांकि, ऐसा कोई केंद्रीय कानून नहीं है जिसके अंतर्गत भारत के बाहर अप्रवासियों के विवाह का पंजीकरण जरूरी हो।

महिला सशक्तीकरण पर स्टैंडिंग कमिटी (2007) और भारतीय लॉ कमीशन (2009) ने यह सुझाव दिया था कि अप्रवासी भारतीयों के विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए।[2],[3]  उन्होंने यह संकेत दिया था कि विवाह का पंजीकरण न कराने से कई मामले प्रभावित हो सकते हैं जैसे बच्चे की कस्टडी, विदेश में तलाक की कार्यवाही से संबंधित मामले, या ऐसे मामले जहां पति या पत्नी पहले से शादीशुदा है।2  

अप्रवासी भारतीय विवाह पंजीकरण बिल, 2019 को 11 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया। इसे विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी को रेफर किया गया जो मई 2019 में रिपोर्ट सौंपने वाली थी।

प्रमुख विशेषताएं

  • शादी का पंजीकरण: एक एनआरआई ऐसा भारतीय नागरिक होता है जो देश से बाहर रहता है। प्रत्येक एनआरआई, जो भारतीय नागरिक या किसी दूसरे एनआरआई से विवाह करता है, उसे विवाह के 30 दिनों के भीतर अपने विवाह का पंजीकरण कराना होगा। अगर विवाह भारत के बाहर होता है तो उसे विवाह अधिकारी से अपने विवाह को पंजीकृत कराना होगा। विदेश में राजनयिक अधिकारियों में से एक अधिकारी को विवाह अधिकारी चुना जाएगा।
     
  • पासपोर्ट जब्त: बिल पासपोर्ट एक्ट, 1967 में संशोधन करता है और कहता है कि अगर कोई एनआरआई विवाह के 30 दिनों के भीतर अपने विवाह को पंजीकृत नहीं करता तो पासपोर्ट अथॉरिटी उसके पासपोर्ट को जब्त कर सकती है या उसे रद्द कर सकती है। 
     
  • सम्मन और वारंट का मुद्दा: वर्तमान में आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) सम्मन और वारंट जारी करने की प्रक्रिया का प्रावधान करती है। बिल सीआरपीसी में एक सेक्शन जोड़ता है और कहता है कि सीआरपीसी के अन्य प्रावधानों के बावजूद अगर अदालत को इस बात पर यकीन है कि किसी व्यक्ति को सम्मन नहीं दिया जा सकता तो वह विदेशी मामलों के मंत्रालय की विनिर्दिष्ट वेबसाइट पर सम्मन अपलोड कर सकती है। यह इस बात का सबूत होगा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ सम्मन जारी किया गया है। अगर वह व्यक्ति अदालत में हाजिर नहीं होता तो अदालत उसी वेबसाइट पर उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी और अपलोड कर सकती है। अगर इसके बाद भी वह व्यक्ति अदालत में हाजिर नहीं होता तो अदालत उसे अपराधी घोषित कर सकती है और तत्काल प्रभाव से वेबसाइट पर अपलोड करके इस संबंध में घोषणा कर सकती है।
     
  • वेबसाइट पर घोषणा के बाद अगर आरोपी हाजिर नहीं होता तो अदालत लिखित वक्तव्य जारी कर सकती है कि ऐसी घोषणा अपलोड की गई है। यह वक्तव्य इस बात का निश्चित प्रमाण होगा कि वारंट जारी और सौंप दिया गया है। इसके अतिरिक्त अदालत घोषित अपराधी की संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकती है।

भाग ख: प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

विवाह के पंजीकरण में देरी होने के मामले में एक्सटेंशन नहीं

बिल के अनुसार प्रत्येक एनआरआई, जोकि किसी भारतीय नागरिक या किसी दूसरे एनआरआई से भारत में या भारत के बाहर विवाह करता है, उसे विवाह के 30 दिनों के भीतर अपने विवाह का पंजीकरण कराना होगा। अगर विवाह को 30 दिनों के भीतर पंजीकृत नहीं कराया गया तो उस एनआरआई का पासपोर्ट जब्त हो सकता है। हालांकि अगर कोई एनआरआई व्यक्ति 30 दिनों की अवधि के भीतर विवाह का पंजीकरण नहीं करा पाता तो बिल उसे किसी प्रकार का एक्सटेंशन नहीं देता।

उल्लेखनीय है कि विभिन्न राज्यों में विवाह के अनिवार्य पंजीकरण के लिए कानून लागू हैं। कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्य 30 दिनों की समय सीमा देते हैं, और देर से पंजीकरण कराने पर लेट फीस के भुगतान की अनुमति देते हैं।[4]  ऐसे मामले भी हो सकते हैं, जब कोई एनआरआई वैध कारणों से 30 दिनों के भीतर विवाह का पंजीकरण न करवा पाए। बिल में ऐसे व्यक्तियों के लिए कोई निवारण नहीं है। उल्लेखनीय है कि निश्चित समय सीमा में पंजीकरण न करवाने की सजा पासपोर्ट का जब्त होना है जिसके कारण निर्वासन या विदेश में रोजगार का नुकसान होना जैसे नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। 

आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन बिल तक सीमित नहीं

बिल सीआरपीसी में एक सेक्शन जोड़ता है। यह सेक्शन निर्दिष्ट करता है कि अगर अदालत को इस बात का यकीन है कि किसी व्यक्ति को सम्मन नहीं दिया जा सकता तो वह वेबसाइट पर सम्मन और वारंट अपलोड कर सकती है। यह प्रावधान सिर्फ एनआरआई के विवाह के पंजीकरण तक सीमित नहीं है, यह सीआरपीसी के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों पर लागू होता है। उदाहरण के लिए: यह प्रावधान दूसरे अपराधों जैसे चोरी, गबन, घरेलू हिंसा और यातायात उल्लंघनों के संबंध में जारी किए जाने वाले सम्मन और वारंट को भी संबोधित करता है। यह अस्पष्ट है कि यह प्रावधान मौजूदा बिल का अंग क्यों है।

अप्रवासी भारतीयों की परिभाषा स्पष्ट नहीं

बिल कहता है कि अप्रवासी भारतीय एक ऐसा भारतीय नागरिक है जो भारत के बाहर निवास करता है। हालांकि बिल यह स्पष्ट नहीं करता कि कितने दिनों तक भारत के बाहर रहने पर किसी व्यक्ति को एनआरआई कहा जाएगा। इसलिए यह अस्पष्ट है कि बिल किस पर लागू होगा। उदाहरण के लिए यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि दो महीने के विदेश दौरे के दौरान अपने विवाह को पंजीकृत न करवाने वाले व्यक्ति को क्या बिल के अंतर्गत दंड भुगतना होगा। उल्लेखनीय है कि इनकम टैक्स एक्ट, 1961, विदेशी मुद्रा प्रबंधन एक्ट, 1999 और आधार एक्ट, 2016 के अंतर्गत अप्रवासी भारतीय ऐसे लोगों को कहा जाता है जिन्होंने एक वर्ष में 183 से अधिक दिन भारत के बाहर गुजारे हैं।[5]  

 

[1]. Unstarred Question No. 1231, Rajya Sabha, Ministry of Law and Justice, November 26, 2016.

[2]. “Need for Family Law Legislations for Non-Resident Indians”, Law Commission of India, March, 2009, http://lawcommissionofindia.nic.in/reports/report219.pdf.     

[3]. “12th Report: Plight of Indian Women Deserted by NRI Husbands”, Standing Committee on Empowerment of Women, August 2007, http://164.100.47.193/lsscommittee/Empowerment%20of%20Women/14_Empowerment%20of%20Women_12.pdf.   

[4]. Karnataka Marriages (Registration and Miscellaneous Provisions) Act, 1976; Gujarat Registration of Marriages Act, 2006.  

[5]. Section 6, Income Tax Act, 1961; Section 2(v), Foreign Exchange Management Act, 1999; Section 2(v), Aadhaar (Targeted Delivery of Financial and Other Subsidies, Benefits and Services) Act, 2016.  

 

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