मंत्रालय: 
वित्त
  • वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 7 अगस्त, 2018 को लोकसभा में एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) बिल, 2018 पेश किया। यह बिल एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर एक्ट, 2017 में संशोधन करता है। इस एक्ट में केंद्र द्वारा (i) वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्यीय आपूर्ति, (ii) आयात एवं निर्यात और (iii) विशेष आर्थिक जोन्स (सेज) में होने वाली और वहां से होने वाली आपूर्तियों पर एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईटीएसटी) वसूलने का प्रावधान है।
     
  • रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म : एक्ट के अंतर्गत जब एक अपंजीकृत व्यक्ति किसी पंजीकृत व्यक्ति को वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करता है तो उस आपूर्ति पर आईजीएसटी चुकाने की जिम्मेदारी पंजीकृत व्यक्ति की होती है। जीएसटी परिषद के सुझावों के आधार पर बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और केंद्र सरकार को इस बात की अनुमति देता है कि वह पंजीकृत व्यक्तियों के उस वर्ग को निर्दिष्ट करे जोकि किसी अपंजीकृत व्यक्ति से विशिष्ट श्रेणियों वाली वस्तुएं और सेवाएं प्राप्त करने पर टैक्स चुकाएंगे।
     
  • आपूर्ति का स्थान : एक्ट में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के स्थान को निर्धारित किया गया है। जिन मामलों में पंजीकृत व्यक्ति तक सेवाओं की आपूर्ति वस्तुओं के परिवहन के जरिए की जाती है, जैसे मेल या कुरियर द्वारा, वहां आपूर्ति का स्थान उस व्यक्ति की लोकेशन होता है। जिन मामलों में किसी अपंजीकृत व्यक्ति तक सेवाओं की आपूर्ति की जाती है, वहां आपूर्ति का स्थान वह होता है जहां वस्तुओं को परिवहन के लिए दिया जाता है।
     
  • बिल स्पष्ट करता है कि ऐसे मामलों में, अगर वस्तुएं भारत के बाहर किसी स्थान पर भेजी जाती हैं तो आपूर्ति का स्थान वस्तुओं की मंजिल या गंतव्य (डेस्टिनेशन) होगा।
     
  • आईजीएसटी राजस्व का बंटवारा : एक्ट के अंतर्गत केंद्र द्वारा जमा किए गए आईजीएसटी राजस्व को केंद्र और उस राज्य के बीच बांटा जाएगा, जिसे वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति की जाती है। केंद्र और राज्य के बीच बंटवारे के बाद एकीकृत कर की जो राशि बचती है, बिल उसके निपटारे का प्रावधान करता है। जीएसटी परिषद के सुझाव के आधार पर इस राशि को केंद्र और राज्य के बीच समान रूप से बांटा जाएगा।
     
  • अपील : बिल में एक प्रावधान को जोड़ा गया है। इसमें अपील दायर करने से पहले जमा की जाने वाली राशि निर्दिष्ट की गई है। जिन मामलों में अपील अपीलीय अथॉरिटी में दायर की जाती है, वहां अधिकतम देय राशि 50 करोड़ रुपए होगी। इसके अतिरिक्त जिन मामलों में अपील अपीलीय ट्रिब्यूनल में दायर की जाती है, वहां अधिकतम देय राशि 100 करोड़ रुपए होगी।

 

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