मंत्रालय: 
गृह मामले
  • गृह मामलों के मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 पेश किया। यह बिल जम्मू और कश्मीर राज्य को जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में पुनर्गठित करने का प्रावधान करता है।
     
  • जम्मू और कश्मीर का पुनर्गठन: बिल जम्मू और कश्मीर राज्य को निम्नलिखित में पुनर्गठित करता है: (i) विधानसभा के साथ जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश, और (ii) विधानसभा के बिना लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में कारगिल और लेह जिले होंगे और जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा जम्मू और कश्मीर राज्य का शेष प्रदेश आएगा।
     
  • लेफ्टिनेंट गवर्नर: जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को राष्ट्रपति द्वारा प्रशासित किया जाएगा। इसके लिए राष्ट्रपति लेफ्टिनेंट गवर्नर नामक एक प्रशासक की नियुक्ति करेंगे। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश को राष्ट्रपति द्वारा प्रशासित किया जाएगा। इसके लिए भी राष्ट्रपति लेफ्टिनेंट गवर्नर नामक एक प्रशासक की नियुक्ति करेंगे।
     
  • जम्मू और कश्मीर की विधानसभा: बिल जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक विधानसभा का प्रावधान करता है। विधानसभा में कुल 107 सीटें होंगी। इनमें जम्मू और कश्मीर के पाकिस्तानी कब्जे वाले कुछ क्षेत्रों की 24 सीटें रिक्त होंगी। इसके अतिरिक्त जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित होंगी जोकि वहां उनकी जनसंख्या पर आधारित होगा। साथ ही, लेफ्टिनेंट गवर्नर विधानसभा में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए दो सदस्यों को नामित कर सकता है, अगर उन्हें उचित रूप से प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।
     
  • विधानसभा की अवधि पांच वर्ष होगी और लेफ्टिनेंट गवर्नर को छह महीने में कम से कम एक बार विधानसभा की बैठक बुलानी होगी। विधानसभा जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी हिस्से के लिए निम्नलिखित के संबंध में कानून बना सकती है: (i) संविधान की राज्य सूची में विनिर्दिष्ट कोई भी मामला (पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर), और (ii) केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होने वाली समवर्ती सूची में विनिर्दिष्ट कोई भी मामला। इसके अतिरिक्त संसद के पास यह शक्ति होगी कि वह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाए।
     
  • मंत्रिपरिषद: जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में मंत्रिपरिषद की संख्या कुल सदस्य संख्या के दस प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। मंत्रिपरिषद उन मामलों में लेफ्टिनेंट गवर्नर को सहायता और सलाह देगी जिन मामलों में विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है। मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिपरिषद के सभी फैसलों की जानकारी लेफ्टिनेंट गवर्नर को दी जाएगी।
     
  • उच्च न्यायालय: जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय लद्दाख तथा जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेशों का साझा उच्च न्यायालय होगा। इसके अतिरिक्त जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में एक एडवोकेट जनरल होगा जोकि केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को कानूनी सलाह प्रदान करेगा।
     
  • विधान परिषद: जम्मू और कश्मीर राज्य की विधान परिषद समाप्त हो जाएगी। विधान परिषद के भंग होने के साथ सभी लंबित बिल लैप्स जाएंगे।   
     
  • एडवाइजरी कमिटीज़: केंद्र सरकार निम्नलिखित उद्देश्यों से एक एडवाइजरी कमिटी का गठन करेगी: (i) जम्मू और कश्मीर राज्य के निगमों के एसेट्स और देनदारियों को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटना, (ii) बिजली और जल उत्पादन तथा आपूर्ति से संबंधित मुद्दे, और (iii) जम्मू और कश्मीर राज्य वित्तीय निगम से संबंधित मामले। यह कमिटी छह महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट लेफ्टिनेंट गवर्नर को सौंपेगी जिसे 30 दिनों के अंदर उन सुझावों पर अमल करना होगा।
     
  • कानून का विस्तार: अनुसूची में 106 केंद्रीय कानून हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश पर लागू किया जाएगा। इनमें आधार एक्ट, 2016, भारतीय दंड संहिता, 1860 और शिक्षा का अधिकार एक्ट, 2009 शामिल हैं। इसके अतिरिक्त यह बिल जम्मू और कश्मीर राज्य के 153 कानूनों को रद्द करता है। बिल कहता है कि 166 राज्य कानून प्रभावी बने रहेंगे और सात कानूनों को संशोधनों के साथ लागू किया जाएगा। पहले सिर्फ जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों को लैंड लीज की जा सकती थी। अब संशोधन के द्वारा यह पाबंदी हटा दी गई है।

 

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