मंत्रालय: 
सामाजिक न्याय एवं कल्याण
  • निशक्त व्यक्ति अधिकार बिल, 2014 को राज्यसभा में 7 फरवरी, 2013 को सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने पेश किया था।
     
  • यह बिल निशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) एक्ट, 1955 का स्थान लेगा।
     
  • निशक्तता की परिभाषाः निशक्तता में 19 स्थितियां आती हैं जैसेः ऑटिज्म, अंधता और कमजोर दृष्टि, सेरेब्रल पैलेसी, अंध बधिरता, हीमोफीलिया, श्रवण संबंधी समस्या, कुष्ठ, बौद्धिक निशक्तता, मानसिक रोग, मसकुरल डायस्ट्रॉफी, मल्टीपल स्लेरोसिस, सीखने में कमजोरी, वाचन और भाषा संबंधी निशक्तता, सिकल सेल रोग, थैलेसीमिया, गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या और बहु निशक्तता। संदर्भित निशक्तता (बेंचमार्क डिसेबिलिटीज) वाले व्यक्ति वे होते हैं जो उपरिलिखित किसी निशक्तता से 40% तक प्रभावित होते हैं।
     
  • निशक्त व्यक्तियों के अधिकारः बिल कहता है कि निशक्त व्यक्ति को समानता का अधिकार होना चाहिए और निशक्तता के आधार पर उनसे भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। निशक्त व्यक्तियों के अधिकारों में अमानवीय व्यवहार से संरक्षण और संकट, सशस्त्र संघर्ष, आपात काल तथा प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में समान आधार पर संरक्षण तथा सुरक्षा शामिल है। राष्ट्रीय निशक्त व्यक्ति आयोग द्वारा प्रतिपादित रेगुलेशनों के पांच वर्ष के भीतर सभी मौजूदा सार्वजनिक इमारतों को सुगम्य बनाया जाना चाहिए। किसी इस्टैबलिशमेंट को कोई स्ट्रक्चर बनाने, कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने या किसी इमारत को ऑक्यूपाइ करने की अनुमति तब तक नहीं मिलेगी, जब तक इमारत आयोग द्वारा निर्दिष्ट रेगुलेशन के अनुकूल नहीं पाई जाती।
     
  • शिक्षा, कौशल विकास और रोजगारः बिल निशक्त व्यक्तियों के लिए समावेशी शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वरोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान करता है। उच्च शिक्षा के सभी सरकारी संस्थानों और उन संस्थानों, जिन्हें सरकारी अनुदान प्राप्त है, से यह अपेक्षा की जाती है कि वे संदर्भित निशक्तता वाले व्यक्तियों के लिए कम से कम पांच प्रतिशत स्थान आरक्षित करेंगे।
     
  • केंद्र और राज्य सरकारों को इस्टैबलिशमेंट्स में उन पदों को चिन्हित करना होगा जिन्हें उन्होंने संदर्भित निशक्तता वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित किया है। इनमें से किसी भी निशक्तता से 40% प्रभावित व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह द्वारा कम से कम पांच प्रतिशत रिक्तियां भरी जाएंगी। इनमें से एक प्रतिशत निम्नलिखित स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित होंगी (i) अंधता और कमजोर दृष्टि, (ii) सुनने और बोलने में क्षीणता, (iii) चलने में बाधा, (iv) ऑटिज्म, बौद्धिक निशक्तता और मानसिक रोग और, (v) बहु निशक्तता। बिल कहता है कि कैडर की क्षमता के मद्देनजर कुल रिक्तियों की संख्या के आधार पर आरक्षित स्थानों की गणना की जानी चाहिए। सरकार इस प्रावधान से किसी भी इस्टैबिशमेंट को छूट दे सकती है।
     
  • कानूनी क्षमताः निशक्त व्यक्तियों को भी अन्य व्यक्तियों के समान, चल और अचल संपत्ति के स्वामित्व का और उन्हें विरासत में प्राप्त करने, साथ ही अपने वित्तीय मामलों को नियंत्रित करने का अधिकार है।
     
  • गार्जियनशिप: बिल कहता है कि अगर जिला अदालत यह पाती है कि मानसिक रूप से बीमार किसी व्यक्ति में खुद की देखभाल करने की योग्यता नहीं है या वह कानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय लेने के योग्य नहीं है तो अदालत उस व्यक्ति को गार्जियन (प्रतिपालक) दिए जाने का निर्देश दे सकती है। ऐसी गार्जियनशिप की प्रकृति भी स्पष्ट की गई है।
     
  • निशक्त व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय और राज्य आयोगः केंद्र और राज्य सरकारों से निशक्त व्यक्तियों के लिए क्रमशः राष्ट्रीय और राज्य आयोग गठित करने की अपेक्षा की जाती है। आयोग में विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी और उनसे निम्नलिखित की अपेक्षा की जाएगीः (i) एक्ट के प्रतिकूल कानून, नीतियों और कार्यक्रमों को चिन्हित करना, (ii) निशक्त व्यक्तियों को उपलब्ध अधिकारों और सुरक्षा से वंचित किए जाने से संबंधित मामलों की जांच करना, और (iii) एक्ट के कार्यान्वयन और निशक्त व्यक्तियों के लाभ के लिए सरकारी फंड के उपयोग का निरीक्षण करना।
     
  • केंद्र और राज्य सलाहकार बोर्डः केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निशक्त व्यक्तियों के लिए केंद्र और राज्य सलाहकार बोर्ड का गठन करना चाहिए। बोर्ड सरकार को निशक्तता पर केंद्रित नीतियों और कार्यक्रमों के संबंध में सलाह देगा और निशक्त व्यक्तियों के लिए काम करने वाले संगठनों की गतिविधियों की समीक्षा करेगा।

 

 

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