मंत्रालय: 
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस
  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 18 जुलाई, 2017 को लोकसभा में भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान बिल, 2017 को पेश किया।
  • राष्ट्रीय महत्व का संस्थान : बिल भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान, विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश की स्थापना करता है। बिल इस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करता है। संस्थान का उद्देश्य पेट्रोलियम, हाइड्रोकार्बन और ऊर्जा जैसे विषयों पर उच्च स्तरीय शिक्षा और शोध प्रदान करना है। 
  • संस्थान की अथॉरिटीज़ : संस्थान की प्रमुख अथॉरिटीज़ निम्नलिखित हैं : (i) जनरल काउंसिल, (ii) बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, (iii) सीनेट, और (iv) कानून द्वारा घोषित अन्य अथॉरिटीज़।
     
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का संघटन और शक्तियां : बोर्ड ऑफ गवर्नर्स 13 सदस्यों से मिलकर बनेगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) प्रेजिडेंट (जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी), (ii) संस्थान का डायरेक्टर, (iii) संस्थान के एनडॉमेंट फंड में योगदान देने वाली कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के दो सदस्य (जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाएगा), (iv) पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी और ऊर्जा क्षेत्र के पांच विख्यात विशेषज्ञ, और (v) संस्थान के दो प्रोफेसर।
     
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) अध्ययन पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करना और प्रोफिशियंसी और दूसरे एकेडमिक डिस्टिंक्शंस के मानदंडों का निर्धारण, (ii) संस्थान के लिए लोन लेने के प्रस्तावों पर विचार, (iii) एकेडमिक, प्रशासनिक, टेक्निकल और अन्य पदों का सृजन, और (iv) फीस एवं अन्य शुल्कों को निर्धारण।
     
  • जनरल काउंसिल का संघटन और शक्तियां : काउंसिल में 20 सदस्य होंगे, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) सेक्रेटरी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (चेयरमैन), (ii) चेयरमैन, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, (iii) सेक्रेटरी, ऑयल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड, और (iv) प्रिंसिपल एडवाइजर (ऊर्जा), नीति आयोग।
     
  • काउंसिल की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) संस्थान की व्यापक नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा, (ii) ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन विकास के डोमेन में नई तकनीकों के संबंध में बोर्ड को सलाह देना, और (iii) संस्थान के वित्तीय प्रबंधन में सुधार पर सुझाव देना।
     
  • सीनेट : सीनेट मुख्य एकेडमिक बॉडी है जोकि संस्थान के पढ़ाई के तरीके, शिक्षा और परीक्षा के मानकों को बरकरार रखने के लिए जिम्मेदार है।
     
  • डायरेक्टर की नियुक्ति : संस्थान के डायरेक्टर की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। डायरेक्टर संस्थान का मुख्य एकेडमिक और एक्जीक्यूटिव ऑफिसर होगा।
     
  • फंडिंग : संस्थान से अपेक्षा की जाती है कि वह एक फंड बनाएगा, जिसमें केंद्र सरकार से प्राप्त होने वाले अनुदान, फीस और दूसरे स्रोतों (जैसे चंदा और उपहार) से प्राप्त होने वाला धन जमा किया जाएगा। भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) संस्थान के एकाउंट्स को ऑडिट करेगा।
     
  • विवादों का निपटारा : संस्थान और उसके किसी कर्मचारी के बीच कॉन्ट्रैक्ट को लेकर उठने वाले विवादों को आंतरिक स्तर पर गठित ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन के सुपुर्द किया जाएगा। इस ट्रिब्यूनल में निम्नलिखित सदस्य होंगे : (i) संस्थान द्वारा नियुक्त एक सदस्य, (ii) कर्मचारी द्वारा नामित एक सदस्य, और (iii) विजिटर (भारत के राष्ट्रपति) द्वारा नियुक्त एक अंपायर। ट्रिब्यूनल ऑफ आर्बिट्रेशन का निर्णय अंतिम होगा।
     
  • संस्थान और केंद्र सरकार के बीच विवाद होने की स्थिति में केंद्र सरकार का निर्णय अंतिम माना जाएगा

 

 

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