मंत्रालय: 
सड़क परिवहन और राजमार्ग
  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 15 जुलाई, 2019 को लोकसभा में मोटर वाहन (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया। यह बिल सड़क सुरक्षा प्रदान करने के लिए मोटर वाहन एक्ट, 1988 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है। यह एक्ट मोटर वाहनों से संबंधित लाइसेंस और परमिट देने, मोटर वाहनों के लिए मानक और इन प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए दंड का प्रावधान करता है।
     
  • सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजा: केंद्र सरकार ‘गोल्डन आवर’ (स्वर्णिम घंटे) के दौरान सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों का कैशलेस उपचार करने की एक योजना विकसित करेगी। बिल के अनुसार ‘गोल्डन आवर’ घातक चोट के बाद की एक घंटे की समयावधि होती है जब तुरंत मेडिकल देखभाल से मौत को मात देने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। केंद्र सरकार थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के अंतर्गत मुआवजे का दावा करने वालों को अंतरिम राहत देने के लिए एक योजना भी बना सकती है। बिल हिट और रन मामलों में न्यूनतम मुआवजे को इस प्रकार बढ़ाता है: (i) मृत्यु की स्थिति में, 25,000 से बढ़ाकर दो लाख रुपए, और (ii) गंभीर चोट की स्थिति में 12,500 से बढ़ाकर 50,000 रुपए।
     
  • अनिवार्य बीमा: बिल में केंद्र सरकार से मोटर वाहन दुर्घटना कोष बनाने की अपेक्षा की गई है। यह कोष भारत में सड़क का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा। इसे निम्नलिखित स्थितियों के लिए उपयोग किया जाएगा: (i) गोल्डन आवर योजना के अंतर्गत सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों का उपचार, (ii) हिट और रन मामलों में मौत का शिकार होने वाले लोगों के प्रतिनिधियों को मुआवजा देना, (iii) हिट और रन मामलों में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को मुआवजा देना, और (iv) केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किए गए व्यक्तियों को मुआवजा देना। इस कोष में निम्नलिखित के माध्यम से धन जमा कराया जाएगा: (i) उस प्रकृति का भुगतान जिसे केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए, (ii) केंद्र सरकार द्वारा अनुदान या ऋण, (iii) क्षतिपूर्ति कोष में शेष राशि (हिट और रन मामलों में मुआवजा देने के लिए एक्ट के अंतर्गत गठित मौजूदा कोष), या (iv) केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अन्य कोई स्रोत। 
     
  • नेक व्यक्ति (गुड समैरिटन): बिल के अनुसार, नेक व्यक्ति (गुड समैरिटन) वह व्यक्ति है, जो दुर्घटना के समय पीड़ित को आपातकालीन मेडिकल या नॉन मेडिकल मदद देता है। यह मदद (i) सदभावना पूर्वक, (ii) स्वैच्छिक, और (iii) किसी पुरस्कार की अपेक्षा के बिना होनी चाहिए। अगर सहायता प्रदान करने में लापरवाही के कारण दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को किसी प्रकार की चोट लगती है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो ऐसा नेक व्यक्ति किसी दीवानी या आपराधिक कार्रवाई के लिए दायी नहीं होगा।
     
  • वाहनों का रीकॉल: बिल केंद्र सरकार को ऐसे मोटर वाहनों को रीकॉल (वापस लेने) करने का आदेश देने की अनुमति देता है, जिसमें कोई ऐसी खराबी है जोकि पर्यावरण, या ड्राइवर या सड़क का प्रयोग करने वालों को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसी स्थिति में, मैन्यूफैक्चरर को (i) खरीदार को वाहन की पूरी कीमत लौटानी होगी, या (ii) खराब वाहन को दूसरे वाहन से, जोकि समान या बेहतर विशेषताओं वाला हो, बदलना होगा।
     
  • राष्ट्रीय परिवहन नीति: केंद्र सरकार राज्य सरकारों की सलाह से राष्ट्रीय परिवहन नीति बना सकती है। इस नीति में: (i) सड़क परिवहन के लिए एक योजनागत संरचना बनाई जाएगी, (ii) परमिट देने के लिए फ्रेमवर्क विकसित किया जाएगा, और (iii) परिवहन प्रणाली की प्राथमिकताएं विनिर्दिष्ट की जाएंगी, इत्यादि।
     
  • सड़क सुरक्षा बोर्ड: बिल में एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का प्रावधान है जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना के जरिए बनाया जाएगा। बोर्ड सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देगा। इनमें निम्नलिखित से संबंधित सलाह शामिल हैं:: (i) मोटर वाहनों के स्टैंडर्ड, (ii) वाहनों का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग, (iii) सड़क सुरक्षा के मानदंड, और (iv) नए वाहनों की प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।
     
  • अपराध और दंड : बिल में एक्ट के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दंड को बढ़ाया गया है। उदाहरण के लिए शराब या ड्रग्स के नशे में वाहन चलाने के लिए अधिकतम दंड 2,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दिया गया है। अगर मोटर वाहन मैन्यूफैक्चरर मोटर वाहनों के निर्माण या रखरखाव के मानदंडों का अनुपालन करने में असफल रहता है तो अधिकतम 100 करोड़ रुपए तक का दंड या एक वर्ष तक का कारावास या दोनों दिए जा सकते हैं। अगर कॉन्ट्रैक्टर सड़क के डिजाइन के मानदंडों का अनुपालन नहीं करता तो उसे एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। केंद्र सरकार एक्ट में उल्लिखित जुर्माने को हर साल 10% तक बढ़ा सकती है।
     
  • टैक्सी एग्रेगेटर: बिल एग्रीगेटर को डिजिटल इंटरमीडियरी या मार्केट प्लेस के रूप में पारिभाषित करता है जिसे परिवहन के उद्देश्य से (टैक्सी सेवाओं के लिए) ड्राइवर से कनेक्ट होने के लिए यात्री इस्तेमाल कर सकता है। राज्य सरकारों द्वारा इन एग्रीगेटरों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त एग्रीगेटरों को इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 का अनुपालन करना होगा।

 

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