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स्वास्थ्य

बिल की मुख्‍य विशेषताएं

  • सेरोगेसी एक ऐसा अरेंजमेंट है, जिसमें इच्छुक दंपत्ति एक सेरोगेट माता को इस बात के लिए कमीशन करता है कि वह उनके बच्चे को जन्म दे।
  • इच्छुक दंपत्ति को भारतीय नागरिक होना चाहिए और उनके विवाह को कम से कम पांच वर्ष होने चाहिए, साथ ही उनमें से कम से कम एक को इनफर्टाइल (अनुर्वरक) होना चाहिए। सेरोगेट माता को दंपत्ति का निकट संबंधी होना चाहिए, उसे विवाहित होना चाहिए और उसका अपना बच्चा होना चाहिए।
  • सेरोगेट माता को उपयुक्त मेडिकल खर्चे के अतिरिक्त कोई भुगतान नहीं किया जा सकता। सेरोगेट बच्चे को इच्छुक दंपत्ति का बायोलॉजिकल बच्चा माना जाएगा।
  • केंद्र और राज्य इच्छुक दंपत्ति और सेरोगेट माता को योग्यता प्रमाणपत्र देने के लिए समुचित अथॉरिटी को नियुक्त करेंगे। ये अथॉरिटी सेरोगेसी क्लिनिकों को भी रेगुलेट करेंगी।
     
  • फीस लेकर सेरोगेसी करने, उसका विज्ञापन करने या सेरोगेट माता का शोषण करने पर 10 वर्ष की कैद हो सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • बिल केवल उन दंपत्तियों को सेरोगेसी की अनुमति देता है जो गर्भ धारण नहीं कर सकते। इस प्रक्रिया की अनुमति उन मेडिकल स्थितियों में नहीं है, जिनमें महिला बच्चे को जन्म नहीं दे सकती।
     
  • बिल योग्यता संबंधी उन शर्तों को स्पष्ट करता है, जिन्हें पूरा करने के बाद ही इच्छुक दंपत्ति सेरोगेसी करवा सकता है। इसके अतिरिक्त यह रेगुलेशनों द्वारा अतिरिक्त शर्तों को निर्धारित करने की अनुमति देता है। यह विधायी शक्तियों का अत्यधिक डेलेगेशनहो सकता है।
     
  • सेरोगेट माता और इच्छुक दंपत्ति को समुचित अथॉरिटी से योग्यता के प्रमाणपत्र लेने होंगे। बिल उस समय सीमा को स्पष्ट नहीं करता जिसमें ऐसे प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। बिल यह भी स्पष्ट नहीं करता कि आवेदन रद्द होने की स्थिति में अपील की क्या प्रक्रिया होगी।
     
  • सेरोगेट माता को इच्छुक दंपत्ति का निकट संबंधी होना चाहिए। बिल निकट संबंधीशब्द को पारिभाषित नहीं करता। इसके अतिरिक्त सेरोगेट माता (निकट संबंधी) गर्भावस्था के लिए अपना एग डोनेट कर सकती है। इससे सेरोगेट बच्चे की सेहत पर बुरा असर हो सकता है।
     
  • गर्भपात के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 के अनुपालन के अतिरिक्त समुचित अथॉरिटी की मंजूरी और सेरोगेट माता की सहमति जरूरी है। बिल ऐसी अनुमति देने की समय सीमा निर्धारित नहीं करता। इसके अतिरिक्त गर्भपात की सहमति के संबंध में इच्छुक दंपत्ति की राय की कोई भूमिका नहीं है।

भाग क : बिल की मुख्य विशेषताएं

संदर्भ

सेरोगेसी एक ऐसी पद्धति है जिसमें एक महिला दूसरी महिला के लिए गर्भ धारण करती है, इस उद्देश्य से कि जन्म के बाद बच्चा दूसरी महिला को सौंप दिया जाएगा।[1]  सेरोगेसी का ऐसा अरेंजमेंट निस्वार्थ या कमर्शियल, किसी भी प्रकृति का हो सकता है। निस्वार्थ सेरोगेसी एक ऐसा अरेंजमेंट होता है, जिसमें दंपत्ति सेरोगेट माता को गर्भावस्था से संबंधित मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं देता। कमर्शियल सेरोगेसी में सेरोगेट माता को मुआवजा (नकद या किसी वस्तु के रूप में) देना शामिल है जोकि गर्भावस्था से जुड़े युक्तियुक्त मेडिकल खर्चे से अधिक होता है। वर्तमान में भारतीय नागरिकों के लिए कमर्शियल सेरोगेसी की अनुमति है।

2005 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने सेरोगेसी अरेंजमेंट्स को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।[2] इन दिशानिर्देशों में यह कहा गया कि सेरोगेट माता को मौद्रिक मुआवजे का अधिकार है, जिसका मूल्य दंपत्ति और सेरोगेट माता द्वारा तय किया जाएगा। दिशानिर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया कि सेरोगेट माता सेरोगेसी के लिए अपने एग को डोनेट नहीं कर सकती और उसे सेरोगेट बच्चे से जुड़े सभी पेरेंटल अधिकारों को छोड़ना होगा।

2008 में बेबी मान्जी यमाडा बनाम केंद्र सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने देश में सेरोगेसी के रेगुलेशन की कमी पर प्रकाश डाला था।[3]  2009 में विधि आयोग ने कहा था कि भारत में सेरोगेसी अरेंजमेट्स का उपयोग विदेशी नागरिक करते हैं और चूंकि सेरोगेसी को संबोधित करने वाले व्यापक कानूनी ढांचे की कमी है, इसलिए अक्सर सेरोगेट माताएं बनने वाली गरीब महिलाओं का शोषण होता है।[4]  इसके अतिरिक्त विधि आयोग ने कमर्शियल सेरोगेसी को प्रतिबंधित करने, निस्वार्थ सेरोगेसी की अनुमति देने और सेरोगेसी से संबंधित मामलों को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया। 2015 में एक सरकारी अधिसूचना ने विदेशी नागरिकों के लिए सेरोगेसी को प्रतिबंधित कर दिया।[5] 21 नवंबर, 2016 को लोकसभा में सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2016 पेश किया गया।

प्रमुख विशेषताएं

उद्देश्य, जिनके लिए सेरोगेसी की अनुमति है

  • बिल कमर्शियल सेरोगेसी को प्रतिबंधित करता है और निस्वार्थ सेरोगेसी की अनुमति देता है। निस्वार्थ सेरोगेसी में सेरोगेट माता को गर्भावस्था के दौरान मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं दिया जाता। कमर्शियल सेरोगेसी में सेरोगेसी या उससे संबंधित प्रक्रियाओं के लिए मौद्रिक लाभ या पुरस्कार (नकद या किसी वस्तु के रूप में) शामिल होता है जोकि बुनियादी मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज से अधिक होता है।
  • बिल सेरोगेसी की अनुमति देता है, यदि : (i) वह ऐसे इच्छुक दंपत्ति के लिए हो, जोकि प्रामाणित इनफर्टिलिटी से पीड़ित हो; (ii) निस्वार्थ हो, (iii) कमर्शियल उद्देश्य के लिए न हो, (iv) जिसमें बिक्री, वेश्यावृत्ति या शोषण के अन्य प्रकारों के लिए बच्चे को जन्म न दिया जाए, और (v) वह किसी अन्य स्थिति या बीमारी के कारण की जा रही हो जिन्हें रेगुलेशनों में स्पष्ट किया गया हो।

इच्छुक दंपत्ति और सेरोगेट माता के लिए योग्यता के मानदंड

  • इच्छुक दंपत्ति के पास समुचित अथॉरिटी द्वारा जारी ‘अनिवार्यता का प्रमाणपत्र’ और ‘योग्यता का प्रमाणपत्र’ होना चाहिए। सेरोगेट माता के लिए भी ‘योग्यता का प्रमाणपत्र’ जरूरी है।
  • अनिवार्यता का प्रमाणपत्र इच्छुक दंपत्ति को निम्नलिखित शर्तें पूरी करने पर जारी किया जाएगा : (i) इच्छुक दंपत्ति के पास एक या दोनों सदस्यों की प्रामाणित इनफर्टिलिटी का सर्टिफिकेट होना चाहिए, (ii) उनके पास मेजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा सेरोगेट बच्चे के पेरेंटेज और कस्टडी से संबंधित आदेश होने चाहिए, और (iii) सेरोगेट माता का बीमा कवरेज होना चाहिए।
  • योग्यता का प्रमाणपत्र इच्छुक दंपत्ति द्वारा निम्नलिखित शर्तें पूरी करने पर जारी किया जाएगा : (i) अगर वे भारतीय नागरिक हों और उन्हें विवाह किए हुए कम से कम पांच वर्ष हो गए हों, (ii) अगर उनमें से पत्नी 23 से 50 वर्ष के बीच की और पति 26 से 55 वर्ष का हो, और (iii) उनका कोई जीवित बच्चा (बायोलॉजिकल, गोद लिया हुआ या सेरोगेट) न हो, इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हैं या प्राणघातक बीमारी से ग्रस्त हैं, और (iv) ऐसी अन्य शर्तें जिन्हें रेगुलेशनों द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
  • समुचित अथॉरिटी से योग्यता का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए सेरोगेट माता को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा: (i) उसे इच्छुक दंपत्ति का निकट संबंधी होना चाहिए, (ii) उसे विवाहित होना चाहिए और उसका अपना बच्चा होना चाहिए, (iii) उसे 25 से 35 वर्ष के बीच होना चाहिए, (iv) इससे पहले उसने सेरोगेसी न की हो, और (v) उसके पास सेरोगेसी करने के लिए मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का सर्टिफिकेट हो।

सेरोगेट बच्चे का पेरेंटेज और गर्भपात

  • सेरोगेसी की प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चे को इच्छुक दंपत्ति का बायोलॉजिकल बच्चा समझा जाएगा।
  • सेरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सेरोगेट माता की लिखित सहमति और समुचित अथॉरिटी की अनुमति लेनी होगी। इसके अतिरिक्त यह अनुमति मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 के अनुरूप होनी चाहिए।

समुचित अथॉरिटी और सेरोगेट क्लिनिकों का पंजीकरण

  • केंद्र सरकार और राज्य सरकारें एक या उससे अधिक समुचित अथॉरिटीज़ को नियुक्त करेंगी। समुचित अथॉरिटी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल है: (i) सेरोगेसी क्लिनिकों को पंजीकृत करना, उन्हें सस्पेंड या रद्द करना, (ii) सेरोगेसी क्लिनिकों के लिए मानदंडों को लागू करना, और (iii) एक्ट के उल्लंघन की शिकायतों की जांच और उनके खिलाफ कार्रवाई करना। समुचित अथॉरिटी के सदस्यों में राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक, राज्य स्तरीय विधि विभाग के अधिकारी, एक मेडिकल प्रैक्टीशनर और एक प्रतिष्ठित महिला शामिल हैं।
  • सेरोगेसी क्लिनिक सेरोगेसी या उससे संबंधित प्रक्रिया को तब तक शुरू नहीं कर सकते, जब तक समुचित अथॉरिटी द्वारा उन्हें पंजीकृत न किया गया हो। समुचित अथॉरिटी की नियुक्ति की तारीख से 60 दिनों की अवधि के अंदर क्लिनिकों को पंजीकरण के लिए आवेदन देना होगा। आवेदन को 90 दिनों के अंदर मंजूर या नामंजूर किया जाएगा। कोई भी सेरोगेसी क्लिनिक ह्यूमन एंब्रयो या गैमेट को सेरोगेसी के लिए स्टोर नहीं कर सकता।

राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सेरोगेसी बोर्ड

  • केंद्र और राज्य सरकारें क्रमश: राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड (एनएसबी) और राज्य सेरोगेसी बोर्ड (एसएसबीज़) का गठन करेंगी। एनएसबी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) सेरोगेसी नीति पर केंद्र सरकार को सलाह, (ii) सेरोगेसी क्लिनिकों के लिए आचार संहिता तैयार करना, और (iii) एसएसबीज़ के कार्यों का निरीक्षण।
  • एसएसबीज़ के कार्यों में निम्नलिखित शामिल है: (i) एक्ट के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर निगरानी, और (ii) राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के स्तर पर बनी समुचित अथॉरिटीज़ के कार्यों की समीक्षा।

अपराध और दंड

  • बिल कुछ अपराधों को घोषित करता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: (i) कमर्शियल सेरोगेसी करना या उसका विज्ञापन करना, (ii) सेरोगेट माता का शोषण करना, और (iii) सेरोगेसी के लिए ह्यूमन एंब्रयो या गैमेट्स को बेचना या उसका आयात करना। इन अपराधों पर 10 वर्ष तक कैद हो सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।

 

भाग ख:  प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

‘इनफर्टिलिटी’ की परिभाषा गर्भधारण न कर पाने तक सीमित

बिल के तहत, इनफर्टिलिटीएक ऐसी स्थिति है जिसे इच्छुक दंपत्ति को साबित करना होगा, अगर वह सेरोगेसी की प्रक्रिया को कमीशन करने के योग्य बनना चाहता है। बिल कहता है कि पांच वर्ष के असुरक्षित संबंध के बाद गर्भधारण करने में अक्षमता या कोई ऐसी मेडिकल स्थिति जो दंपत्ति को गर्भधारण करने से रोकती है, इनफर्टिलिटी है। यह परिभाषा उन सब स्थितियों को शामिल नहीं करती जिनमें कोई दंपत्ति बच्चे को धारण करने में असमर्थ है।   

उदाहरण के लिए ऐसी मेडिकल स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें महिला गर्भधारण कर ले लेकिन गर्भावस्था के दौरान बच्चे को गर्भ में न रख पाए, यानी गर्भधारण के नौ महीने की अवधि के दौरान। इसमें ऐसे मामले हो सकते हैं जब इच्छुक माता गर्भधारण कर ले लेकिन कई बार गर्भपात होने के परिणामस्वरूप वह बच्चे को जन्म न दे पाए। कुछ अन्य मेडिकल स्थितियां भी हो सकती हैं, जैसे यूट्रेस में मल्टीपल फाइब्रॉयड्स, हाइपरटेंशन, और डायबिटीज, जोकि सफल गर्भावस्थाओं को प्रभावित करती हैं।[6] बिल में दी गई इनफर्टिलिटी की परिभाषा में ऐसे व्यक्ति शामिल नहीं हैं और इसलिए ऐसे लोग निस्वार्थ सेरोगेसी करवाने के योग्य नहीं होंगे।

अन्य देशों जैसे नीदरलैंड्स्, दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस में निस्वार्थ सेरोगेसी कराने के लिए जो मेडिकल स्थितियां बताई गई हैं, उनका दायरा व्यापक है (विस्तृत तुलना के लिए देखें तालिका 1, पेज 6)। इनमें, गर्भधारण में अक्षमता के अतिरिक्त, वे मेडिकल स्थितियां भी शामिल हैं, जोकि इच्छुक माता की प्रसव की क्षमता को प्रभावित करती हैं।

सेरोगेसी की योग्यता संबंधी अन्य शर्तों को रेगुलेशनों द्वारा तय किया जा सकता है

इच्छुक दंपत्ति के लिए योग्यता संबंधी अन्य शर्तों को रेगुलेशनों द्वारा विनिर्दिष्ट किया जा सकता है

बिल सेरोगेसी करवाने के इच्छुक दंपत्तियों के लिए योग्यता की विभिन्न शर्तों को स्पष्ट करता है। उदाहरण के लिए दंपत्ति को निम्नलिखित पांच शर्तों को पूरा करना होगा: (i) वे भारतीय नागरिक हों, (ii) उनके विवाह को कम से कम पांच वर्ष पूरे हुए हों, (iii) कोई भी एक सदस्य इनफर्टाइल हो, (iv) उसका कोई जीवित बच्चा न हो (बायोलॉजिकल या गोद लिया हुआ या सेरोगेट), इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हैं या प्राणघातक बीमारी से ग्रस्त हैं, और (v) वे 23-50 वर्ष (पत्नी) और 26-55 वर्ष (पति) के आयु वर्ग के हों। बिल एनएसबी को इस बात की अनुमति देता है कि वह रेगुलेशनों के जरिए उन अतिरिक्त शर्तों को विनिर्दिष्ट करे जिन्हें इच्छुक दंपत्ति को पूरा करना होगा। प्रश्न यह है कि क्या यह विधायी शक्तियों का अत्यधिक डेलेगेशन नहीं है। यह कहा जा सकता है कि उन सभी शर्तों को, जिनके आधार पर कोई व्यक्ति सेरोगेसी को कमीशन करने के योग्य बनता है, पेरेंट कानून में विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए और उन्हें रेगुलेशनों द्वारा डेलेगेटेड नहीं होना चाहिए।   

सेरोगेसी के लिए ‘किसी अन्य स्थिति या बीमारी’ को रेगुलेशन के जरिए विनिर्दिष्ट किया जा सकता है  

बिल उन उद्देश्यों को स्पष्ट करता है जिनके लिए सेरोगेसी कराई जा सकती है। सेरोगेसी करवाई जा सकती है, अगर : (i) वह निस्वार्थ हो, (ii) पति-पत्नी में से कोई एक इनफर्टाइल हो, (iii) कमर्शियल उद्देश्य न हो, और (iv) बिक्री या वेश्यावृत्ति के लिए बच्चे को जन्म न दिया जा रहा हो। इसके अतिरिक्त बिल एनएसबी को इस बात की अनुमति देता है कि वह रेगुलेशन के जरिए किसी अन्य स्थिति या बीमारी को विनिर्दिष्ट कर सकता है जिसमें सेरोगेसी की अनुमति दी जा सकती है। किसी अन्य स्थितिका क्या आशय है, यह अस्पष्ट है यानी यह कोई चिकित्सकीय स्थिति है या यह किसी अन्य प्रकृति का है। 

सेरोगेसी के आवेदन की समीक्षा और अपील की प्रक्रिया विनिर्दिष्ट नहीं है

सेरोगेसी के लिए सेरोगेट माता और इच्छुक दंपत्ति को विभिन्न शर्तों को पूरा करते हुए समुचित अथॉरिटीज़ से योग्यता एवं अनिवार्यता के प्रमाणपत्र हासिल करने होंगे। लेकिन बिल में उस समय अवधि को स्पष्ट नहीं किया गया है जिसमें अथॉरिटी सर्टिफिकेट्स प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त बिल में सेरोगेसी का आवेदन रद्द होने की स्थिति में समीक्षा और अपील की प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि अन्य कानून, जैसे ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज एक्ट, 1994 और जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2015 के एडॉप्शन से संबंधित प्रावधान उस समय अवधि को स्पष्ट करते हैं जिनमें आवेदन को प्रोसेस किया जाएगा। आवेदन रद्द करने की स्थिति में वे समीक्षा और अपील की प्रक्रिया को भी स्पष्ट करते हैं। 

सेरोगेट माता के निकट संबंधी’ होने से जुड़े मुद्दे

‘निकट संबंधी’ पारिभाषित नहीं

जिन शर्तों को पूरा करने के बाद सेरोगेट माता सेरोगेसी की प्रक्रिया के योग्य बन सकती है, बिल उन विभिन्न शर्तों को स्पष्ट करता है। उन शर्तों को पूरा करने के बाद सेरोगेट माता समुचित अथॉरिटी से योग्यता का सर्टिफिकेट हासिल कर सकती है। उनमें से एक शर्त यह साबित करना है कि सेरोगेट माता इच्छुक दंपत्ति, जो सेरोगेसी को कमीशन कर रहे हैं, की निकट संबंधी है। हालांकि बिल यह पारिभाषित नहीं करता कि कौन निकट संबंधी होगा।

कुछ दूसरे कानून संबंधी या निकट संबंधी शब्दों को पारिभाषित करते हैं। उदाहरण के लिए ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज एक्ट, 1994 में कहा गया कि जीवित डोनर को निकट संबंधी होना चाहिए। कानून स्पष्ट करता है कि निकट संबंधी में पति या पत्नी, बेटा, बेटी, पिता, माता, भाई या बहन शामिल हैं। कंपनी एक्ट, 2013 में संबंधी को इस प्रकार स्पष्ट किया गया है: (i) हिंदू अविभाजित परिवार का सदस्य, (ii) पति या पत्नी, या (iii) एक्ट के तहत स्पष्ट अन्य संबंध।

निकट संबंधी सेरोगेट बच्चे का बायोलॉजिकल डोनर हो सकता है

बिल में उल्लिखित योग्यता की शर्तों को पूरा करते हुए निकट संबंधी सेरोगेट बन सकती है या अपना एग या ऊसाइट या कुछ अन्य डोनेट कर सकती है। ये प्रावधान सेरोगेसी के मौजूदा रेगुलेशनों से अलग हैं। मौजूदा आईसीएमआर दिशानिर्देश (2005) सेरोगेट माता को उस इच्छुक दंपत्ति को एग डोनेट करने की अनुमति नहीं देते, जिसका उसके साथ सेरोगेट अरेंजमेंट है।[7] ड्राफ्ट असिस्टेट रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) बिल, 2014 में कहा गया था कि क्लिनिक सेरोगेसी करने के इच्छुक दंपत्ति के संबंधी के एग को नहीं ले सकते[8]

सेरोगेट माता को सेरोगेसी अरेंजमेंट के तहत एग डोनेट करने की अनुमति देने का प्रतिकूल मेडिकल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि निकट संबंधी की परिभाषा अस्पष्ट है। बिल के अनुसार सेरोगेट माता को इच्छुक दंपत्ति से जेनेटिकली संबंधित होना चाहिए। अगर सेरोगेट माता इच्छुक दंपत्ति में पति की संबंधी (जैसे उसकी बहन) है और उसे सेरोगेसी के लिए अपने एग को डोनेट करने की अनुमति दी जाती है तो सेरोगेट बच्चे में जन्मजात विसंगतियों की आशंका हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अगर बायोलॉजिकल माता-पिता में रक्त संबंध है तो जन्मजात असामान्य जेनेटिक विसंगतियों की आशंका बढ़ जाती है।[9]

गर्भपात की अनुमति

समुचित अथॉरिटी से गर्भपात की मंजूरी

बिल के तहत सेरोगेसी की अवधि के दौरान गर्भपात के लिए समुचित अथॉरिटी की अनुमति अनिवार्य है। इस अनुमति को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट, 1971 के प्रावधानों के अनुकूल होना चाहिए जोकि गर्भपात के कारणों को स्पष्ट करता है। हालांकि बिल गर्भपात की अनुमति दिए जाने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं करता।   

गर्भपात के लिए इच्छुक दंपत्ति की राय की कोई भूमिका नहीं

सेरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सेरोगेट माता की लिखित सहमति और समुचित अथॉरिटी की अनुमति की जरूरत होगी। इसके अतिरिक्त बिल यह कहता है कि कोई भी व्यक्ति सेरोगेट माता को गर्भपात करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। लेकिन जन्म लेने के बाद बच्चा इच्छुक दंपत्ति का बायोलॉजिकल बच्चा माना जाएगा और उसके लालन-पालन के लिए वही जिम्मेदार होंगे। अगर सेरोगेसी अरेंजमेंट से जन्म लेने वाले बच्चे को शारीरिक या मानसिक विसंगति की आशंका है तो बिल के तहत गर्भपात के लिए केवल सेरोगेट माता की सहमति की जरूरत होगी। इस फैसले में इच्छुक दंपत्ति की कोई भूमिका नहीं होगी। एमटीपी एक्ट, 1971 के प्रावधानों के तहत ऐसे मामलों में गर्भपात की अनुमति गर्भवती महिला की सहमति से दी जाती है। सेरोगेसी के मामले में पेचीदगी यह है कि सेरोगेट माता (जिसके गर्भ में बच्चा पल रहा है) उस इच्छुक दंपत्ति से अलग है जोकि बच्चे को पालने वाला है।   

यह मानना कि सेरोगेट माता को सेरोगेसी के लिए विवश किया गया था

बिल के तहत स्वीकृत सेरोगेसी सेवाओं के अतिरिक्त अगर कोई सेरोगेट माता सेरोगेसी सेवाएं देती है तो यह माना जाएगा कि उसे ऐसा करने के लिए निम्नलिखित द्वारा विवश किया गया था : (i) उसके पति द्वारा, (ii) इच्छुक दंपत्ति द्वारा, या (iii) किसी अन्य संबंधी द्वारा। ये सभी लोग सेरोगेट माता को कमर्शियल सेरेगेसी के अपराध के लिए उकसाने के जिम्मेदार होंगे। उन्हें यह साबित करना होगा (बर्डन ऑफ प्रूफ) कि उन्होंने सेरोगेट माता को विवश नहीं किया था। इसके अतिरिक्त बिल इस उद्देश्य के लिए संबंधी को स्पष्ट नहीं करता है। यह अस्पष्ट है कि बिल ने बर्डन ऑफ प्रूफ को अभियोजन की बजाय प्रतिवादी पर क्यों डाल दिया है।     

सामान्यतः यह साबित करने का दबाव अभियोजन पर होता है कि प्रतिवादी ने गलत काम किया गया है, न कि प्रतिवादी को यह साबित करना होता है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है। कुछ कानूनों में जहां बर्डन ऑफ प्रूफ को उलट दिया जाता है, वहां अभियोजन पक्ष को कुछ ऐसी परिस्थितिजन्य स्थितियां साबित करनी होती हैं ताकि अदालत यह माने कि प्रतिवादी ने यह अपराध किया है।[10]

सेरोगेसी के लिए एंब्रयो या गैमेट के स्टोरेज की अनुमति नहीं

बिल सेरोगेसी के लिए एंब्रयो और गैमेट्स (अनफर्टिलाइज्ड एग और स्पर्म) के स्टोरेज को प्रतिबंधित करता है। यह मौजूदा आईसीएमआर दिशानिर्देशों (2005) से अलग है, जोकि पांच वर्ष की अवधि के लिए एंब्रयो के स्टोरेज की अनुमति देते हैं।2  एग या स्पर्म के स्टोरेज को प्रतिबंधित करने से इच्छुक माता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आम तौर पर सेरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान इच्छुक माता से एग्स को निकाला जाता है और सेरोगेट माता के यूटरस में इंप्लांट किया जाता है। एक इंप्लांटेशन की सफलता की दर 30% से कम होती है इसलिए कई बार इंप्लांटेशन करने की जरूरत हो सकती है।[11]  कई प्रयासों के लिए एग्स उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त एग्स निकाले और स्टोर किए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि एग्स निकालने के लिए इच्छुक माता का अत्यधिक हारमोनल उपचार करना पड़ेगा। बार-बार स्टिमुलेशन करने से इच्छुक माता के लिए ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस) का खतरा बढ़ता है। कुछ असामान्य मामलों में ओएचएसएस से ब्लड क्लॉट और किडनी फेल होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।[12]

 

अनुलग्नक: सेरोगेसी के अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बीच तुलना  

तालिका 1 में बिल की तुलना उन कुछ देशों के कानूनों से की गई है जो सेरोगेसी को रेगुलेट करते हैं। इन देशों में इच्छुक दंपत्ति और सेरोगेट माता के योग्यता और अन्य मानदंड उस हद तक प्रतिबंधित नहीं हैं।

तालिका 1 : सेरोगेसी कानूनों की अंतरराष्ट्रीय तुलना

देश

भारत

सेरोगेसी बिल, 2016

नीदरलैंड्स

युनाइटेड किंगडम

दक्षिण अफ्रीका

ग्रीस

रूस

स्वीकृत सेरोगेसी के प्रकार

·    निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित)

·    निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित)

·    निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित)

·    निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित)

·    निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित)

·    कमर्शियल सेरोगेसी की अनुमति

सेरोगेट को भुगतान

·    मेडिकल खर्च और बीमा कवरेज

·    उपयुक्त खर्च, बीमा और कानूनी खर्च

·    उपयुक्त खर्च

·    मेडिकल खर्च या बीमा कवरेज (सेरोगेट माता का आय संबंधित नुकसान शामिल)

·    गर्भावस्था और प्रसव के उपरांत खर्च (सेरोगेट माता का आय संबंधित नुकसान शामिल)

·    कोई सीमा नहीं

सेरोगेट बच्चे का कानूनी गार्जियन  

·    इच्छुक दंपत्ति

·    सेरोगेट (गार्जियनशिप का हस्तांतरण एडॉप्शन के जरिए)

·         सेरोगेट (एडॉप्शन या अदालती आदेश से गार्जियनशिप का हस्तांतरण)

·    इच्छुक माता पिता

·    इच्छुक माता पिता

·    सेरोगेट, अगर उसने अपना एग दिया है, या   इच्छुक माता-पिता

कमर्शियल सेरोगेसी पर दंड

·    10 वर्ष

·    अधिकतम एक वर्ष

·    अधिकतम तीन महीने

·    अधिकतम 10 वर्ष

·    न्यूनतम दो वर्ष

·    कोई प्रावधान नहीं

कमीशनिंग करने वाले माता-पिता की योग्यता का मानदंड

मेडिकल कारण

·    इनफर्टिलिटी यानी गर्भधारण में असमर्थता को साबित करना

·    गर्भाशय का जन्मजात अभाव या कोई अन्य स्थिति

·    कोई जरूरी नहीं

·    बच्चे को जन्म नहीं दे सकते और ऐसी स्थिति स्थायी है

·    इच्छुक माता (मेडिकल कारणों से) बच्चे को जन्म देने में असमर्थ

·    मेडिकल कारणों से गर्भधारण और बच्चे को जन्म देना असंभव

विवाहित होने की शर्त

·    हां

·    नहीं (अविवाहित पुरुष/ महिला को अनुमति)

·    नहीं (सिविल पार्टनरशिप सहित)

·    नहीं (अविवाहित पुरुष/ महिला को अनुमति)

·    नहीं (अविवाहित  महिला को अनुमति)

·    नहीं (अविवाहित महिला को अनुमति)

सेरोगेट माता की योग्यता का मानदंड

इच्छुक माता-पिता से संबंध

·    निकट संबंधी

·    नहीं

·    नहीं

·    नहीं

·    नहीं

·    नहीं

आयु

·    25-35 वर्ष

·    <44 वर्ष 

·    स्पष्ट नहीं

·    स्पष्ट नहीं

·    स्पष्ट नहीं

·    20-35 वर्ष

विवाहित होने की शर्त

·    हां

·    नहीं 

·    नहीं

·    नहीं 

·    नहीं

·    नहीं 

अपने बच्चों की संख्या

·    कम से कम एक

·    कम से कम एक

·    कोई जरूरी नहीं 

·    कम से कम एक

·    कोई जरूरी नहीं 

·    कम से कम एक

कितनी बार सेरोगेसी कर सकती है

·    एक बार 

·    कोई सीमा नहीं

·    कोई सीमा नहीं 

·    कोई सीमा नहीं 

·    कोई सीमा नहीं 

·    कोई सीमा नहीं 

पार्टनर की सहमति

·    कोई प्रावधान नहीं

·    कोई जरूरी नहीं

·    कोई जरूरी नहीं

·    जरूरी

·    जरूरी 

·    जरूरी

SourcesA comparative study on the regime of surrogacy in EU member states, European Parliament, 2013; India: The Surrogacy (Regulation) Bill, 2016; Netherlands: Dutch Society of Obstetrics and Gynaecology guidelines; United Kingdom: Surrogacy Arrangements Act,1985; South Africa: Chapter 19, Childrens Act, 2005; Greece: Article 1458 of the Greek Civil Code; Russia: Article 51-52, Family Code,1995; Federal Law on the Fundamentals of Protection of CitizensHealth in Russian Federation 2011; PRS.

 

 

[1]Report of the Committee of Inquiry into Human Fertilisation and Embryology, United Kingdom, 1984, http://www.hfea.gov.uk/docs/Warnock_Report_of_the_Committee_of_Inquiry_into_Human_Fertilisation_and_Embryology_1984.pdf

[2]National Guidelines for Accreditation, Supervision & Regulation of ART Clinics in India, Indian Council of Medical Research, 2005, http://icmr.nic.in/art/art_clinics.htm.

[3]Baby Manji Yamada vs. Union of India and Another; (2008) 13 SCC 518.

[4].  Need for Legislation to Regulate Assisted Reproductive Technology Clinics as well as Rights and Obligations of Parties to a Surrogacy, Report No. 228, Law Commission, 2009, http://lawcommissionofindia.nic.in/reports/report228.pdf.

[5]Instructions regarding commissioning of surrogacy, Ministry of Health and Family Welfare, November 4, 2015, http://www.icmr.nic.in/icmrnews/art/DHR%20notification%20on%20Surrogacy.pdf.

[6]Health problems in pregnancy, U.S. National Library of Medicine, https://medlineplus.gov/healthproblemsinpregnancy.html.

[7]Chapter 3, National Guidelines for Accreditation, Supervision & Regulation of ART Clinics in India, Indian Council of Medical Research, 2005, http://icmr.nic.in/art/Chapter_3.pdf.

[8].  Draft Assisted Reproductive Technology (Regulation) Bill, 2014, http://www.prsindia.org/uploads/media/draft/Draft%20Assisted%20Reproductive%20Technology%20(Regulation)%20Bill,%202014.pdf.

[9]Fact sheet: Congenital anomalies, World Health Organisation, September, 2016, http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs370/en/.

[10]Rajeev Kumar vs. State of Haryana, AIR 2014 SC 227; Sanjiv Kumar vs. State of Punjab, (2009) 16 SCC 487.

[11]Chapter 1, National Guidelines for Accreditation, Supervision & Regulation of ART Clinics in India, Indian Council of Medical Research, 2015, http://icmr.nic.in/art/Chapter%20_1.pdf.

[12]Ovarian Hyperstimulation Syndrome, U.S. National Library of Medicine, https://medlineplus.gov/ency/article/007294.htm.

 

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