विचारणीय मुद्दे
सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019
सेरोगेसी एक ऐसी पद्धति है जिसमें एक महिला दूसरी महिला के लिए गर्भ धारण करती है, इस उद्देश्य से कि जन्म के बाद बच्चा दूसरी महिला को सौंप दिया जाएगा।[1] सेरोगेसी का ऐसा अरेंजमेंट निस्वार्थ या कमर्शियल, किसी भी प्रकृति का हो सकता है। निस्वार्थ सेरोगेसी एक ऐसा अरेंजमेंट होता है, जिसमें दंपत्ति सेरोगेट माता को गर्भावस्था से संबंधित मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं देता। कमर्शियल सेरोगेसी में सेरोगेट माता को मुआवजा (नकद या किसी वस्तु के रूप में) देना शामिल है जोकि गर्भावस्था से जुड़े युक्तियुक्त मेडिकल खर्चे से अधिक होता है। वर्तमान में भारतीय नागरिकों के लिए कमर्शियल सेरोगेसी की अनुमति है।
2005 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने सेरोगेसी अरेंजमेंट्स को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।[2] इन दिशानिर्देशों में यह कहा गया कि सेरोगेट माता को मौद्रिक मुआवजे का अधिकार है, जिसका मूल्य दंपत्ति और सेरोगेट माता द्वारा तय किया जाएगा। दिशानिर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया कि सेरोगेट माता सेरोगेसी के लिए अपने एग को डोनेट नहीं कर सकती और उसे सेरोगेट बच्चे से जुड़े सभी पेरेंटल अधिकारों को छोड़ना होगा। 2009 में भारतीय विधि आयोग ने कमर्शियल सेरोगेसी को प्रतिबंधित करने, निस्वार्थ सेरोगेसी की अनुमति देने और सेरोगेसी से संबंधित सभी मामलों को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया।[3]
21 नवंबर, 2016 को लोकसभा में सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2016 को पेश किया गया। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने इस बिल की समीक्षा की और 10 अगस्त, 2017 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने कई सुझाव दिया जोकि निम्नलिखित से संबंधित थे: (i) कमर्शियल बनाम निस्वार्थ सेरोगेसी, (ii) सेरोगेट के निकट संबंधी होने के नुकसान, (iii) गैमेट डोनेशन के प्रावधानों को शामिल करना, और (iv) गर्भपात का रेगुलेशन। हालांकि 16वीं लोकसभा के भंग होने के साथ 2016 का बिल लैप्स हो गया। 15 जुलाई, 2019 को लोकसभा में सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल को पेश किया गया जोकि 2016 के बिल का स्थान लेता है।
बिल की मुख्य विशेषताएं
- सरोगेसी का रेगुलेशन: बिल कमर्शियल सेरोगेसी को प्रतिबंधित करता है लेकिन निस्वार्थ (एलट्रूइस्टिक) सेरोगेसी की अनुमति देता है। निस्वार्थ सेरोगेसी में सेरोगेट माता को गर्भावस्था के दौरान दिए जाने वाले मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा शामिल नहीं है। कमर्शियल सेरोगेसी में सेरोगेसी या उससे संबंधित प्रक्रियाओं के लिए बुनियादी मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज की सीमा से अधिक मौद्रिक लाभ या पुरस्कार (नकद या किसी वस्तु के रूप में) लेना शामिल है।
- किस उद्देश्य के लिए सेरोगेसी की अनुमति: सेरोगेसी की अनुमति है, यदि (i) वह ऐसे दंपत्ति के लिए हो जोकि प्रामाणित इनफर्टिलिटी से पीड़ित हों और (ii) निस्वार्थ, और (iii) कमर्शियल उद्देश्य के लिए न हो, और (iv) जिसमें बिक्री, वेश्यावृत्ति या शोषण के अन्य प्रकारों के लिए बच्चे को जन्म न दिया जाए, और (v) रेगुलेशनों द्वारा विनिर्दिष्ट कोई स्थिति या बीमारी।
- इच्छुक दंपत्ति के लिए योग्यता का मानदंड: इच्छुक दंपत्ति के पास समुचित अथॉरिटी द्वारा जारी ‘अनिवार्यता का प्रमाणपत्र’ और ‘योग्यता का प्रमाणपत्र’ होना चाहिए।
- अनिवार्यता का प्रमाणपत्र निम्नलिखित स्थितियां होने पर ही जारी किया जाएगा (i) अगर इच्छुक दंपत्ति में एक या दोनों सदस्यों की प्रामाणित इनफर्टिलिटी का सर्टिफिकेट, (ii) मेजिस्ट्रेट की अदालत ने सेरोगेट बच्चे के पेरेंटेज और कस्टडी से संबंधित आदेश जारी किया हो, और (iii) 16 महीने की अवधि के लिए बीमा कवरेज सेरोगेट माता की प्रसव उपरांत की जटिलताओं को कवर करता हो।
- योग्यता का प्रमाणपत्र इच्छुक दंपत्ति द्वारा निम्नलिखित शर्तें पूरी करने पर ही जारी किया जाएगा: (i) अगर वे भारतीय नागरिक हों और उन्हें विवाह किए हुए कम से कम पांच वर्ष हो गए हों, (ii) अगर उनमें से एक 23 से 50 वर्ष के बीच की महिला (पत्नी) और दूसरा 26 से 55 वर्ष का पुरुष (पति) हो, (iii) उनका कोई जीवित बच्चा (बायोलॉजिकल, गोद लिया हुआ या सेरोगेट) न हो, इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हैं या जीवन को जोखिम में डालने वाली या प्राणघातक बीमारी से ग्रस्त हैं, और (iv) कोई ऐसी स्थिति जिसे रेगुलेशनों द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
- सेरोगेट माता के लिए योग्यता का मानदंड: समुचित अथॉरिटी से योग्यता का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए सेरोगेट माता को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना चाहिए: (i) उसे इच्छुक दंपत्ति का निकट संबंधी होना चाहिए, (ii) उसे विवाहित होना चाहिए और उसका अपना बच्चा होना चाहिए, (iii) उसे 25 से 35 वर्ष के बीच होना चाहिए, (iv) उसने पहले सेरोगेसी न की हो, और (v) उसके पास सेरोगेसी करने के लिए मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का सर्टिफिकेट हो। इसके अतिरिक्त सेरोगेट माता सेरोगेसी के लिए अपने गैमेट्स नहीं दे सकती।
- पेरेंटेज और सेरोगेट शिशु का गर्भपात: सेरोगेसी की प्रक्रिया से जन्म लेने वाले शिशु को इच्छुक दंपत्ति का जैविक बच्चा माना जाएगा। सेरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सेरोगेट माता की लिखित सहमति और समुचित अथॉरिटी की स्वीकृति की जरूरत होगी। यह स्वीकृति मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के अनुरूप होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सेरोगेट माता के पास गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपण से पहले सेरोगेसी से इनकार करने का विकल्प होगा।
- समुचित अथॉरिटी: बिल के एक्ट बनने के 90 दिनों के अंदर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एक या एक से अधिक समुचित अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा। समुचित अधिकारी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल है, (i) सेरोगेट क्लिनिकों का पंजीकरण करना, उन्हें सस्पेंड या रद्द करना, (ii) सेरोगेसी क्लिनिकों के लिए मानदंडों को लागू करना, और (iii) बिल के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर जांच और कार्रवाई करना। इसके अतिरिक्त अथॉरिटी से अपेक्षा की जाती है कि वह आवेदन की तिथि से 90 दिनों के भीतर इच्छुक दंपतियों और सेरोगेट माताओं की पात्रता के प्रमाणपत्र पर विचार करने और उसे स्वीकार या अस्वीकार करे। समुचित अथॉरिटी में राज्य स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक, राज्य विधि विभाग के अधिकारी, मेडिकल प्रैक्टीशनर और एक प्रतिष्ठित महिला शामिल है।
- सेरोगेट क्लिनिकों का पंजीकरण: अगर सेरोगेसी क्लिनिक समुचित अथॉरिटी में पंजीकृत नहीं हैं तो सेरोगेसी से संबंधित किसी कार्य प्रक्रिया का संचालन नहीं कर सकते। ऐसे क्लिनिकों को समुचित अधिकारी की नियुक्ति की तारीख के 60 दिनों के अंदर पंजीकरण के लिए आवेदन कर देना चाहिए। इस आवेदन को 90 दिनों के भीतर स्वीकार या अस्वीकार किया जाएगा। सेरोगेसी के उद्देश्य के लिए कोई भी सेरोगेसी क्लिनिक मानव एंब्रयो या गैमेट को स्टोर नहीं कर सकता।
- राष्ट्रीय और राज्य सेरोगेसी बोर्ड: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड (एनएसबी) और राज्य सेरोगेसी बोर्ड्स (एसएसबी) स्थापित किए जाएंगे। एनएसबी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं, (i) सेरोगेसी से संबंधित नीतिगत मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देना, (ii) सेरोगेसी क्लिनिकों के लिए आचार संहिता तैयार करना, और (iii) एसएसबीज के कार्यों की निगरानी करना।
- एसएसबी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक्ट के प्रावधानों की निगरानी और कार्यान्वयन, और (ii) राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय समुचित अथॉरिटी के कार्यों की समीक्षा करना।
- अपराध और दंड: बिल निम्नलिखित को अपराध घोषित करता है: (i) कमर्शियल सेरोगेसी करना या उसका विज्ञापन करना, (ii) सेरोगेट माता का शोषण करना, (iii) सेरोगेसी के लिए मानव एंब्रयो या गैमेट्स को बेचना या आयात करना, और (iv) सेरोगेट बच्चे का परित्याग, शोषण या उसे अपनाने से इनकार करना। इन अपराधों पर न्यूनतम 10 वर्ष तक की कैद हो सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
विचारणीय मुद्दे
इनफर्टिलिटी’ की परिभाषा गर्भधारण न कर पाने तक सीमित
बिल के तहत, ‘इनफर्टिलिटी’ एक ऐसी स्थिति है जिसे इच्छुक दंपत्ति को साबित करना होगा, अगर वह सेरोगेसी की प्रक्रिया को कमीशन करने के योग्य बनना चाहता है। बिल कहता है कि पांच वर्ष के असुरक्षित संबंध के बाद गर्भधारण करने में अक्षमता या कोई ऐसी मेडिकल स्थिति जो दंपत्ति को गर्भधारण करने से रोकती है, इनफर्टिलिटी है। यह परिभाषा उन सब स्थितियों को शामिल नहीं करती जिनमें कोई दंपत्ति बच्चे को धारण करने में असमर्थ है।
उदाहरण के लिए ऐसी मेडिकल स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें महिला गर्भधारण कर ले लेकिन गर्भावस्था के दौरान बच्चे को गर्भ में न रख पाए, यानी गर्भधारण के नौ महीने की अवधि के दौरान। इसमें ऐसे मामले हो सकते हैं जब इच्छुक माता गर्भधारण कर ले लेकिन कई बार गर्भपात होने के परिणामस्वरूप वह बच्चे को जन्म न दे पाए। कुछ अन्य मेडिकल स्थितियां भी हो सकती हैं, जैसे यूट्रेस में मल्टीपल फाइब्रॉयड्स, हाइपरटेंशन, और डायबिटीज, जोकि सफल गर्भावस्थाओं को प्रभावित करती हैं।[4] बिल में दी गई ‘इनफर्टिलिटी’ की परिभाषा में ऐसे व्यक्ति शामिल नहीं हैं और इसलिए ऐसे लोग निस्वार्थ सेरोगेसी करवाने के योग्य नहीं होंगे।
अन्य देशों जैसे नीदरलैंड्स्, दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस में निस्वार्थ सेरोगेसी कराने के लिए जो मेडिकल स्थितियां बताई गई हैं, उनका दायरा व्यापक है (विस्तृत तुलना के लिए देखें तालिका 1, पेज 6)। इनमें, गर्भधारण में अक्षमता के अतिरिक्त, वे मेडिकल स्थितियां भी शामिल हैं, जोकि इच्छुक माता की प्रसव की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
सेरोगेसी की योग्यता संबंधी अन्य शर्तों को रेगुलेशनों द्वारा तय किया जा सकता है
इच्छुक दंपत्ति के लिए योग्यता संबंधी अन्य शर्तों को रेगुलेशनों द्वारा विनिर्दिष्ट किया जा सकता है
बिल सेरोगेसी करवाने के इच्छुक दंपत्तियों के लिए योग्यता की विभिन्न शर्तों को स्पष्ट करता है। उदाहरण के लिए दंपत्ति को निम्नलिखित पांच शर्तों को पूरा करना होगा: (i) वे भारतीय नागरिक हों, (ii) उनके विवाह को कम से कम पांच वर्ष पूरे हुए हों, (iii) कोई भी एक सदस्य इनफर्टाइल हो, (iv) उसका कोई जीवित बच्चा न हो (बायोलॉजिकल या गोद लिया हुआ या सेरोगेट), इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हैं या प्राणघातक बीमारी से ग्रस्त हैं, और (v) वे 23-50 वर्ष (पत्नी) और 26-55 वर्ष (पति) के आयु वर्ग के हों। बिल एनएसबी को इस बात की अनुमति देता है कि वह रेगुलेशनों के जरिए उन अतिरिक्त शर्तों को विनिर्दिष्ट करे जिन्हें इच्छुक दंपत्ति को पूरा करना होगा। प्रश्न यह है कि क्या यह विधायी शक्तियों का अत्यधिक ‘डेलेगेशन’ नहीं है। यह कहा जा सकता है कि उन सभी शर्तों को, जिनके आधार पर कोई व्यक्ति सेरोगेसी को कमीशन करने के योग्य बनता है, पेरेंट कानून में विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए और उन्हें रेगुलेशनों द्वारा डेलेगेटेड नहीं होना चाहिए।
सेरोगेसी के लिए ‘किसी अन्य स्थिति या बीमारी’ को रेगुलेशन के जरिए विनिर्दिष्ट किया जा सकता है
बिल उन उद्देश्यों को स्पष्ट करता है जिनके लिए सेरोगेसी कराई जा सकती है। सेरोगेसी करवाई जा सकती है, अगर : (i) वह निस्वार्थ हो, (ii) पति-पत्नी में से कोई एक इनफर्टाइल हो, (iii) कमर्शियल उद्देश्य न हो, और (iv) बिक्री या वेश्यावृत्ति के लिए बच्चे को जन्म न दिया जा रहा हो। इसके अतिरिक्त बिल एनएसबी को इस बात की अनुमति देता है कि वह रेगुलेशन के जरिए ‘किसी अन्य स्थिति या बीमारी’ को विनिर्दिष्ट कर सकता है जिसमें सेरोगेसी की अनुमति दी जा सकती है। ‘किसी अन्य स्थिति’ का क्या आशय है, यह अस्पष्ट है यानी यह कोई चिकित्सकीय स्थिति है या यह किसी अन्य प्रकृति का है।
सेरोगेसी के आवेदन की समीक्षा और अपील की प्रक्रिया विनिर्दिष्ट नहीं है
सेरोगेसी के लिए सेरोगेट माता और इच्छुक दंपत्ति को विभिन्न शर्तों को पूरा करते हुए समुचित अथॉरिटीज़ से योग्यता एवं अनिवार्यता के प्रमाणपत्र हासिल करने होंगे। लेकिन बिल में उस समय अवधि को स्पष्ट नहीं किया गया है जिसमें अथॉरिटी सर्टिफिकेट्स प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त बिल में सेरोगेसी का आवेदन रद्द होने की स्थिति में समीक्षा और अपील की प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अन्य कानून, जैसे ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज एक्ट, 1994 और जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2015 के एडॉप्शन से संबंधित प्रावधान उस समय अवधि को स्पष्ट करते हैं जिनमें आवेदन को प्रोसेस किया जाएगा। आवेदन रद्द करने की स्थिति में वे समीक्षा और अपील की प्रक्रिया को भी स्पष्ट करते हैं।
सेरोगेट माता के ‘निकट संबंधी’ होने से जुड़े मुद्दे
‘निकट संबंधी’ पारिभाषित नहीं
जिन शर्तों को पूरा करने के बाद सेरोगेट माता सेरोगेसी की प्रक्रिया के योग्य बन सकती है, बिल उन विभिन्न शर्तों को स्पष्ट करता है। उन शर्तों को पूरा करने के बाद सेरोगेट माता समुचित अथॉरिटी से योग्यता का सर्टिफिकेट हासिल कर सकती है। उनमें से एक शर्त यह साबित करना है कि सेरोगेट माता इच्छुक दंपत्ति, जो सेरोगेसी को कमीशन कर रहे हैं, की ‘निकट संबंधी’ है। हालांकि बिल यह पारिभाषित नहीं करता कि कौन ‘निकट संबंधी’ होगा।
कुछ दूसरे कानून ‘संबंधी’ या ‘निकट संबंधी’ शब्दों को पारिभाषित करते हैं। उदाहरण के लिए ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यूज एक्ट, 1994 में कहा गया कि जीवित डोनर को ‘निकट संबंधी’ होना चाहिए। कानून स्पष्ट करता है कि ‘निकट संबंधी’ में पति या पत्नी, बेटा, बेटी, पिता, माता, भाई या बहन शामिल हैं। कंपनी एक्ट, 2013 में ‘संबंधी’ को इस प्रकार स्पष्ट किया गया है: (i) हिंदू अविभाजित परिवार का सदस्य, (ii) पति या पत्नी, या (iii) एक्ट के तहत स्पष्ट अन्य संबंध।
गर्भपात की अनुमति
समुचित अथॉरिटी से गर्भपात की मंजूरी
बिल के तहत सेरोगेसी की अवधि के दौरान गर्भपात के लिए समुचित अथॉरिटी की अनुमति अनिवार्य है। इस अनुमति को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट, 1971 के प्रावधानों के अनुकूल होना चाहिए जोकि गर्भपात के कारणों को स्पष्ट करता है। हालांकि बिल गर्भपात की अनुमति दिए जाने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं करता।
गर्भपात के लिए इच्छुक दंपत्ति की राय की कोई भूमिका नहीं
सेरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सेरोगेट माता की लिखित सहमति और समुचित अथॉरिटी की अनुमति की जरूरत होगी। इसके अतिरिक्त बिल यह कहता है कि कोई भी व्यक्ति सेरोगेट माता को गर्भपात करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। लेकिन जन्म लेने के बाद बच्चा इच्छुक दंपत्ति का बायोलॉजिकल बच्चा माना जाएगा और उसके लालन-पालन के लिए वही जिम्मेदार होंगे। अगर सेरोगेसी अरेंजमेंट से जन्म लेने वाले बच्चे को शारीरिक या मानसिक विसंगति की आशंका है तो बिल के तहत गर्भपात के लिए केवल सेरोगेट माता की सहमति की जरूरत होगी। इस फैसले में इच्छुक दंपत्ति की कोई भूमिका नहीं होगी। एमटीपी एक्ट, 1971 के प्रावधानों के तहत ऐसे मामलों में गर्भपात की अनुमति ‘गर्भवती महिला’ की सहमति से दी जाती है। सेरोगेसी के मामले में पेचीदगी यह है कि सेरोगेट माता (जिसके गर्भ में बच्चा पल रहा है) उस इच्छुक दंपत्ति से अलग है जोकि बच्चे को पालने वाला है।
यह मानना कि सेरोगेट माता को सेरोगेसी के लिए विवश किया गया था
बिल के तहत स्वीकृत सेरोगेसी सेवाओं के अतिरिक्त अगर कोई सेरोगेट माता सेरोगेसी सेवाएं देती है तो यह माना जाएगा कि उसे ऐसा करने के लिए निम्नलिखित द्वारा विवश किया गया था : (i) उसके पति द्वारा, (ii) इच्छुक दंपत्ति द्वारा, या (iii) किसी अन्य संबंधी द्वारा। ये सभी लोग सेरोगेट माता को कमर्शियल सेरेगेसी के अपराध के लिए उकसाने के जिम्मेदार होंगे। उन्हें यह साबित करना होगा (बर्डन ऑफ प्रूफ) कि उन्होंने सेरोगेट माता को विवश नहीं किया था। इसके अतिरिक्त बिल इस उद्देश्य के लिए ‘संबंधी’ को स्पष्ट नहीं करता है। यह अस्पष्ट है कि बिल ने बर्डन ऑफ प्रूफ को अभियोजन की बजाय प्रतिवादी पर क्यों डाल दिया है।
सामान्यतः यह साबित करने का दबाव अभियोजन पर होता है कि प्रतिवादी ने गलत काम किया गया है, न कि प्रतिवादी को यह साबित करना होता है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है। कुछ कानूनों में जहां बर्डन ऑफ प्रूफ को उलट दिया जाता है, वहां अभियोजन पक्ष को कुछ ऐसी परिस्थितिजन्य स्थितियां साबित करनी होती हैं ताकि अदालत यह माने कि प्रतिवादी ने यह अपराध किया है।[5]
सेरोगेसी के लिए एंब्रयो या गैमेट के स्टोरेज की अनुमति नहीं
बिल सेरोगेसी के लिए एंब्रयो और गैमेट्स (अनफर्टिलाइज्ड एग और स्पर्म) के स्टोरेज को प्रतिबंधित करता है। यह मौजूदा आईसीएमआर दिशानिर्देशों (2005) से अलग है, जोकि पांच वर्ष की अवधि के लिए एंब्रयो के स्टोरेज की अनुमति देते हैं।2 एग या स्पर्म के स्टोरेज को प्रतिबंधित करने से इच्छुक माता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आम तौर पर सेरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान इच्छुक माता से एग्स को निकाला जाता है और सेरोगेट माता के यूटरस में इंप्लांट किया जाता है। एक इंप्लांटेशन की सफलता की दर 30% से कम होती है इसलिए कई बार इंप्लांटेशन करने की जरूरत हो सकती है।[6] कई प्रयासों के लिए एग्स उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त एग्स निकाले और स्टोर किए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि एग्स निकालने के लिए इच्छुक माता का अत्यधिक हारमोनल उपचार करना पड़ेगा। बार-बार स्टिमुलेशन करने से इच्छुक माता के लिए ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (ओएचएसएस) का खतरा बढ़ता है। कुछ असामान्य मामलों में ओएचएसएस से ब्लड क्लॉट और किडनी फेल होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
अनुलग्नक: सेरोगेसी के अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बीच तुलना
तालिका 1 में बिल की तुलना उन कुछ देशों के कानूनों से की गई है जो सेरोगेसी को रेगुलेट करते हैं। इन देशों में इच्छुक दंपत्ति और सेरोगेट माता के योग्यता और अन्य मानदंड उस हद तक प्रतिबंधित नहीं हैं।
तालिका 1 : सेरोगेसी कानूनों की अंतरराष्ट्रीय तुलना
देश |
भारत सेरोगेसी बिल, 2016 |
नीदरलैंड्स |
युनाइटेड किंगडम |
दक्षिण अफ्रीका |
ग्रीस |
रूस |
स्वीकृत सेरोगेसी के प्रकार |
· निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित) |
· निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित) |
· निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित) |
· निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित) |
· निस्वार्थ (कमर्शियल सेरोगेसी प्रतिबंधित) |
· कमर्शियल सेरोगेसी की अनुमति |
सेरोगेट को भुगतान |
· मेडिकल खर्च और बीमा कवरेज |
· उपयुक्त खर्च, बीमा और कानूनी खर्च |
· उपयुक्त खर्च |
· मेडिकल खर्च या बीमा कवरेज (सेरोगेट माता का आय संबंधित नुकसान शामिल) |
· गर्भावस्था और प्रसव के उपरांत खर्च (सेरोगेट माता का आय संबंधित नुकसान शामिल) |
· कोई सीमा नहीं |
सेरोगेट बच्चे का कानूनी गार्जियन |
· इच्छुक दंपत्ति |
· सेरोगेट (गार्जियनशिप का हस्तांतरण एडॉप्शन के जरिए) |
· सेरोगेट (एडॉप्शन या अदालती आदेश से गार्जियनशिप का हस्तांतरण) |
· इच्छुक माता पिता |
· इच्छुक माता पिता |
· सेरोगेट, अगर उसने अपना एग दिया है, या इच्छुक माता-पिता |
कमर्शियल सेरोगेसी पर दंड |
· अधिकतम 10 वर्ष |
· अधिकतम एक वर्ष |
· अधिकतम तीन महीने |
· अधिकतम 10 वर्ष |
· न्यूनतम दो वर्ष |
· कोई प्रावधान नहीं |
कमीशनिंग करने वाले माता-पिता की योग्यता का मानदंड |
||||||
मेडिकल कारण |
· इनफर्टिलिटी यानी गर्भधारण में असमर्थता को साबित करना |
· गर्भाशय का जन्मजात अभाव या कोई अन्य स्थिति |
· कोई जरूरी नहीं |
· बच्चे को जन्म नहीं दे सकते और ऐसी स्थिति स्थायी है |
· इच्छुक माता (मेडिकल कारणों से) बच्चे को जन्म देने में असमर्थ |
· मेडिकल कारणों से गर्भधारण और बच्चे को जन्म देना असंभव |
विवाहित होने की शर्त |
· हां |
· नहीं (अविवाहित पुरुष/ महिला को अनुमति) |
· नहीं (सिविल पार्टनरशिप सहित) |
· नहीं (अविवाहित पुरुष/ महिला को अनुमति) |
· नहीं (अविवाहित महिला को अनुमति) |
· नहीं (अविवाहित महिला को अनुमति) |
सेरोगेट माता की योग्यता का मानदंड |
||||||
इच्छुक माता-पिता से संबंध |
· निकट संबंधी |
· नहीं |
· नहीं |
· नहीं |
· नहीं |
· नहीं |
आयु |
· 25-35 वर्ष |
· <44 वर्ष |
· स्पष्ट नहीं |
· स्पष्ट नहीं |
· स्पष्ट नहीं |
· 20-35 वर्ष |
विवाहित होने की शर्त |
· हां |
· नहीं |
· नहीं |
· नहीं |
· नहीं |
· नहीं |
अपने बच्चों की संख्या |
· कम से कम एक |
· कम से कम एक |
· कोई जरूरी नहीं |
· कम से कम एक |
· कोई जरूरी नहीं |
· कम से कम एक |
कितनी बार सेरोगेसी कर सकती है |
· एक बार |
· कोई सीमा नहीं |
· कोई सीमा नहीं |
· कोई सीमा नहीं |
· कोई सीमा नहीं |
· कोई सीमा नहीं |
पार्टनर की सहमति |
· कोई प्रावधान नहीं |
· कोई जरूरी नहीं |
· कोई जरूरी नहीं |
· जरूरी |
· जरूरी |
· जरूरी |
Sources: A comparative study on the regime of surrogacy in EU member states, European Parliament, 2013; India: The Surrogacy (Regulation) Bill, 2019; Netherlands: Dutch Society of Obstetrics and Gynaecology guidelines; United Kingdom: Surrogacy Arrangements Act,1985; South Africa: Chapter 19, Children’s Act, 2005; Greece: Article 1458 of the Greek Civil Code; Russia: Article 51-52, Family Code,1995; Federal Law on the Fundamentals of Protection of Citizens’ Health in Russian Federation 2011; PRS.
[1]. Report of the Committee of Inquiry into Human Fertilisation and Embryology, United Kingdom, 1984, http://www.hfea.gov.uk/docs/Warnock_Report_of_the_Committee_of_Inquiry_into_Human_Fertilisation_and_Embryology_1984.pdf.
[2]. National Guidelines for Accreditation, Supervision & Regulation of ART Clinics in India, Indian Council of Medical Research, 2005, http://icmr.nic.in/art/art_clinics.htm.
[3]. Need for Legislation to Regulate Assisted Reproductive Technology Clinics as well as Rights and Obligations of Parties to a Surrogacy, Report No. 228, Law Commission, 2009, http://lawcommissionofindia.nic.in/reports/report228.pdf.
[4]. Health problems in pregnancy, U.S. National Library of Medicine, https://medlineplus.gov/healthproblemsinpregnancy.html.
[5]. Rajeev Kumar vs. State of Haryana, AIR 2014 SC 227; Sanjiv Kumar vs. State of Punjab, (2009) 16 SCC 487.
[6]. Chapter 1, National Guidelines for Accreditation, Supervision & Regulation of ART Clinics in India, Indian Council of Medical Research, 2015, http://icmr.nic.in/art/Chapter%20_1.pdf.
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