बिल का सारांश

प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास बिल, 2020

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 5 फरवरी, 2020 को लोकसभा में प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास बिल, 2020 पेश किया। बिल इनकम टैक्स और कॉरपोरेशन टैक्स से संबंधित लंबित टैक्स विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया प्रदान करता है।
     
  • एपेलेंट (अपीलार्थी): बिल के अनुसार, एपेलेंट इनकम टैक्स अथॉरिटी, या व्यक्ति, या दोनों हो सकते हैं जिनकी अपील 31 जनवरी, 2020 तक एपेलेट फोरम में लंबित है। इन एपेलेट फोरम्स में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल और कमीशनर्स (अपील) शामिल हैं। 
     
  • रेज़ोल्यूशन की प्रक्रिया: बिल एक रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया का प्रावधान करता है जिसके अंतर्गत एपेलेंट लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों का रेज़ोल्यूशन शुरू करने के लिए निर्दिष्ट अथॉरिटी में डिक्लेरेशन (घोषणा) दायर कर सकता है। डिक्लेरेशन दायर करने की अंतिम तारीख केंद्र सरकार अधिसूचित करेगी। इसके आधार पर निर्दिष्ट अदालत एपेलेंट द्वारा देय राशि निर्धारित कर सकती है और डिक्लेरेशन की प्राप्ति के 15 दिन के अंदर एक सर्टिफिकेट दे सकती है जिसमें देय राशि का विवरण होगा। एपेलेंट को सर्टिफिकेट प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर यह राशि चुकानी होगी और इस भुगतान के बारे में निर्दिष्ट अथॉरिटी को बताना होगा। यह राशि रीफंडेबल नहीं होगी।
     
  • एक बार निर्दिष्ट अथॉरिटी सर्टिफिकेट जारी कर दे तो यह माना जाएगा कि इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल और कमीश्नर (अपील) के समक्ष लंबित अपील वापस ले ली गई है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित अपील या याचिकाओं के मामलों में, एपेलेंट से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपील या याचिका को वापस ले ले। 
     
  • प्रिंसिपल चीफ कमीश्नर प्रस्तावित रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया के प्रबंधन के लिए एक अधिकारी को निर्दिष्ट अथॉरिटी बना सकता है जोकि इनकम टैक्स कमीश्नर के रैंक से नीचे का अधिकारी नहीं होना चाहिए।  
     
  • रेज़ोल्यूशन के लिए देय राशि: विवादों के रेज़ोल्यूशन के लिए एपेलेंट द्वारा देय राशि का निर्धारण इस आधार पर किया जाएगा कि विवाद टैक्स भुगतान या ब्याज भुगतान, जुर्माने या फीस से संबंधित है। इसके अतिरिक्त उसे अतिरिक्त राशि चुकानी होगी, अगर यह भुगतान 31 मार्च, 2020 के बाद किया जाता है। तालिका 1 में विवाद निवारण के लिए एपेलेंट द्वारा देय राशि को प्रदर्शित किया गया है।

तालिका 1:  विवादों को सुलझाने के लिए देय राशि

विवाद

31 मार्च, 2020 से पहले देय राशि

31 मार्च, 2020 के बाद अतिरिक्त देय राशि

टैक्स का भुगतान

विवादित टैक्स की राशि (ऐसे टैक्स से जुड़े ब्याज या जुर्माने को माफ किया जाएगा)

 

(i) विवादित टैक्स की राशि का 10%, या (ii) उस टैक्स से संबंधित ब्याज और जुर्माना, इनमें से जो कम होगा

फीस, ब्याज का भुगतान या जुर्माना 

विवादित राशि का 25% 

विवादित राशि का अतिरिक्त 5% 

 

  • अधिकारों को छोड़ना: विवाद सुलझाने के लिए एपेलेंट को यह अंडरटेकिंग देनी होती है कि वह अपने सभी अधिकारों को छोड़ रहा है और वह उस विवाद के लिए  किसी भी कानून के अंतर्गत उपाय या दावे की मांग नहीं करेगा। इसमें इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (आईटी एक्ट) भी शामिल है। डिक्लेरेशन दायर करने से पहले विवाद से संबंधित सभी दावों को वापस ले लिया जाना चाहिए। 
     
  • एपेलेंट को इम्युनिटी: एक बार विवाद के सुलझने के बाद निर्दिष्ट अथॉरिटी उस विवाद के संबंध में ब्याज जा जुर्माने की वसूली नहीं कर सकती। इसके अतिरिक्त विवाद के सुलझने के बाद कोई एपेलेट फोरम उससे संबंधित फैसला नहीं ले सकती। ऐसे मामले आईटी एक्ट सहित किसी भी कानून के अंतर्गत दोबारा नहीं खोले जा सकते।
     
  • विवाद फिर से शुरू: किसी एपेलेंट का डिक्लेरेशन अवैध हो जाएगा, अगर: (i) उसके विवरण गलत पाए जाते हैं, (ii) अगर वह आईटी एक्ट में प्रदत्त प्रावधानों का उल्लंघन करता है, या (iii) वह उस विवाद से संबंधित उपाय या दावे की मांग करता है। परिणामस्वरूप डिक्लेरेशन के आधार पर वापस ली गई सभी प्रक्रियाएं और दावे फिर से चालू माने जाएंगे।
     
  • कौन से विवाद इसके दायरे में नहीं आते: प्रस्तावित प्रक्रिया में कुछ विवाद शामिल नहीं हैं। इन विवादों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अगर डिक्लेरेशन से पहले प्रॉसीक्यूशन शुरू हो गया है, (ii) अगर उसमें ऐसे लोग शामिल हैं जोकि कुछ और कानूनों (जैसे भारतीय दंड संहिता) के अंतर्गत या दीवानी देनदारियों के मामले में अपराधी या अभियुक्त हैं, और (iii) अघोषित आय या एसेट्स में संलग्न हैं।

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