बिल का सारांश
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) बिल, 2019
- सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री थावरचंद गहलौत ने 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया। बिल माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण एक्ट, 2007 में संशोधन करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- परिभाषा: एक्ट के अंतर्गत बच्चों में बच्चे और नाती-पोते आते हैं, जिनमें नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं। बिल इस परिभाषा में निम्नलिखित को शामिल करता है: सौतेले बच्चे, दत्तक (जिन्हें गोद लिया है) बच्चे, बहू-दामाद और नाबालिग बच्चों के लीगल गार्जियन। इसके अतिरिक्त एक्ट के अनुसार संबंधी का अर्थ है, संतानरहित वरिष्ठ नागरिक का लीगल वारिस, जिसके पास संतानरहित वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति है या उसकी मृत्यु के बाद विरासत में संपत्ति मिलेगी। इसमें नाबालिग बच्चे शामिल नहीं हैं। बिल में नाबालिग बच्चों को भी शामिल किया गया है जिनका प्रतिनिधित्व उनके लीगल गार्जियन करेंगे। एक्ट में माता-पिता का अर्थ है, बायोलॉजिकल, गोद लेने वाले और सौतेले माता-पिता। बिल माता-पिता की परिभाषा में सास-ससुर और दादा-दादी, नाना-नानी को शमिल करता है।
- एक्ट के अंतर्गत भरण-पोषण में भोजन, कपड़ा, आवास, मेडिकल सहायता और उपचार शामिल हैं। कल्याण में भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और वरिष्ठ नागरिकों के लिए जरूरी दूसरी सुविधाएं शामिल हैं। बिल इस परिभाषा को व्यापक बनाता है: (i) भरण-पोषण में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा का प्रावधान शामिल है ताकि वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें, और (ii) कल्याण में आवास, कपड़े, सुरक्षा और वरिष्ठ नागरिकों या माता-पिता के शारीरिक एवं मानसिक कल्याण के लिए जरूरी अन्य सुविधाएं शामिल हैं।
- भरण-पोषण का आदेश: एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकारें भरण-पोषण ट्रिब्यूनल्स बनाएंगी ताकि वरिष्ठ नागरिकों और माता-पिता के देय भरण-पोषण पर फैसला किया जा सके। ये ट्रिब्यूनल बच्चों और संबंधियों को निर्देश दे सकती है कि वे माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को 10,000 रुपए का मासिक भरण-पोषण शुल्क चुकाएं। बिल भरण-पोषण की शुल्क की अधिकतम सीमा को हटाता है। ट्रिब्यूनल भरण-पोषण की राशि पर फैसला करने के मद्देनजर निम्नलिखित पर विचार कर सकता है: (i) माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक का जीवन स्तर और आय, और (ii) बच्चों की आय। एक्ट में अपेक्षा की गई है कि बच्चे और संबंधी आदेश के 30 दिनों के भीतर संबंधित माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक को भरण-पोषण की राशि को दें। बिल इस अवधि को 30 से 15 दिन करता है।
- अपील: एक्ट वरिष्ठ नागरिकों या माता-पिता के लिए भरण-पोषण ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ अपील करने का प्रावधान करता है। बिल बच्चों और संबंधियों को भी ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ अपील करने की अनुमति देता है।
- अपराध और सजा: एक्ट के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता को त्यागने पर तीन महीने तक की कैद या 5,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। बिल कैद की अवधि को तीन से बढ़ाकर छह महीने और जुर्माने की राशि को बढ़ाकर अधिकतम 10,000 रुपए करता है। अपराध करने पर ये दोनों सजाएं साथ-साथ भुगतनी पड़ सकती हैं। बिल में यह प्रावधान भी है कि अगर बच्चे या संबंधी भरण-पोषण के आदेश का अनुपालन नहीं करते तो ट्रिब्यूनल देय राशि की वसूली के लिए वारंट जारी कर सकता है। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में एक महीने तक की कैद, या जब तक जुर्माना नहीं चुकाया जाता, तब तक की कैद सकती है (इनमें से जो पहले हो)।
- भरण-पोषण अधिकारी: एक्ट में प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल की कार्यवाही के दौरान माता-पिता का प्रतिनिधित्व भरण-पोषण अधिकारी द्वारा किया जाएगा। बिल में भरण-पोषण अधिकारियों से निम्नलिखित अपेक्षित है: (i) भरण-पोषण के भुगतान से संबंधित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करना, और (ii) माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों के लिए संपर्क सूत्र का काम करना।
- केयर-होम्स की स्थापना: एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकार ओल्ड एज होम्स बना सकती हैं। बिल इस प्रावधान को हटाता है और वरिष्ठ नागरिकों के लिए केयर होम्स का प्रावधान करता है जिन्हें सरकार या संगठन द्वारा स्थापित किया जा सकता है। इन होम्स को राज्य सरकार द्वारा गठित पंजीकरण अथॉरिटी में पंजीकृत करना होगा। केंद्र सरकार इन होम्स के लिए भोजन, इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल सुविधाओं से संबंधित न्यूनतम मानदंड निर्दिष्ट करेगी।
- स्वास्थ्य देखभाल: एक्ट सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ सुविधाओं का प्रावधान करता है (जैसे अलग क्यू, बिस्तर और जेरिएटिक मरीजों के लिए सुविधाएं)। बिल में निजी संगठनों सहित सभी अस्पतालों से अपेक्षा की गई है कि वे वरिष्ठ नागरिकों को ऐसी सभी सुविधाएं प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त विकलांग वरिष्ठ नागरिकों को घर पर ही सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
- सुरक्षा और कल्याण संबंधी उपाय: बिल में प्रत्येक पुलिस स्टेशन से अपेक्षा की गई है कि उसका कम से कम एक अधिकारी, जोकि असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के रैंक से निचले पद का न हो, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मामलों से निपटेगा। राज्य सरकारों को प्रत्येक जिले में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक विशेष पुलिस यूनिट बनानी चाहिए। डेप्यूटी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस के रैंक और उससे उच्च पद का अधिकारी इस यूनिट का प्रमुख होगा।
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