बिल का सारांश

विदेशी योगदान (रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2020

 

  • लोकसभा में 20 सितंबर, 2020 को विदेशी योगदान (रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2020 को पेश किया गया। यह बिल विदेशी योगदान (रेगुलेशन) एक्ट, 2010 में संशोधन करता है। एक्ट व्यक्तियों, संगठनों और कंपनियों के विदेशी योगदान की मंजूरी और उपयोग को रेगुलेट करता है। विदेशी योगदान किसी विदेशी स्रोत से किसी करंसी, सिक्योरिटी या आर्टिकल (एक निर्दिष्ट मूल्य से अधिक) के दान या ट्रांसफर को कहा जाता है।
     
  • विदेशी योगदान लेने पर प्रतिबंध: एक्ट के अंतर्गत कुछ लोगों के विदेशी योगदान देने पर पाबंदी है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: चुनावी उम्मीदवार, अखबार के संपादक या पब्लिशर, जज, सरकारी कर्मचारी (गवर्नमेंट सर्वेंट), विधायिका का कोई सदस्य और राजनैतिक दल, इत्यादि। बिल इस सूची में लोक सेवक (पब्लिक सर्वेंट्स) को शामिल करता है (जैसा भारतीय दंड संहिता में परिभाषित है)। लोक सेवक में ऐसा कोई भी व्यक्ति शामिल है जो सरकार की सेवा या वेतन पर है या उसे किसी लोक सेवा के लिए सरकार से मेहनताना मिलता है।  
     
  • विदेशी योगदान का ट्रांसफर: एक्ट के अंतर्गत विदेशी योगदान को किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, जब तक कि उस व्यक्ति ने भी विदेशी योगदान की मंजूरी के लिए रजिस्ट्रेशन न किया हो (या एक्ट के अंतर्गत विदेशी योगदान हासिल करने की पूर्व अनुमति न ली हो)। बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि  किसी अन्य व्यक्ति को विदेशी योगदान का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। एक्ट के अंतर्गत व्यक्ति में व्यक्ति, संगठन या रजिस्टर्ड कंपनी हो सकती है।
     
  • आधार का पंजीकरण: एक्ट कहता है कि कोई व्यक्ति विदेशी योगदान को मंजूर कर सकता है, अगर उसने: (i) केंद्र सरकार से सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन हासिल किया है, या (ii) रजिस्ट्रेशन नहीं किया है लेकिन सरकार से विदेशी योगदान हासिल करने की पूर्व अनुमति ली है। विदेशी योगदान को हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन (या रजिस्ट्रेशन का रीन्यूअल) या पूर्व अनुमति की मांग करने वाले व्यक्ति को एक निर्दिष्ट तरीके से केंद्र सरकार को आवेदन करना होगा। बिल कहता है कि पूर्व अनुमति, रजिस्ट्रेशन या रजिस्ट्रेशन के रीन्यूअल की मांग करने वाले व्यक्ति को आइडेंटिफिकेशन डॉक्यूमेंट के तौर पर अपने सभी पदाधिकारियों, निदेशकों या मुख्य अधिकारियों का आधार नंबर देना होगा। विदेशी होने की स्थिति में उन्हें पहचान के तौर पर पासपोर्ट या ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया की कॉपी देनी होगी।
     
  • एफसीआरए एकाउंट: एक्ट के अंतर्गत एक रजिस्टर्ड व्यक्ति उसी अनुसूचित बैंक की किसी एक शाखा में विदेशी योगदान ले सकता है जिसे उसने खुद निर्दिष्ट किया हो। हालांकि उस योगदान के उपयोग के लिए वह दूसरे बैंकों में खाते खोल सकता है। बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि विदेशी योगदान सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, नई दिल्ली की उस शाखा में लिया जाएगा, जिसे केंद्र सरकार अधिसूचित करेगी। साथ ही बैंक जिस खाते को एफसीआरए निर्दिष्ट करेगा, उसी में विदेशी योगदान लिया जाएगा। इस खाते में विदेशी योगदान के अतिरिक्त कोई अन्य राशि न तो ली जाएगी, न ही जमा की जाएगी। वह व्यक्ति इस योगदान को रखने या उसके इस्तेमाल के लिए अपनी पसंद के किसी अन्य अनुसूचित बैंक में दूसरा एफसीआरए खाता खोल सकता है।
     
  • विदेशी योगदान के उपयोग पर प्रतिबंध: एक्ट के अंतर्गत अगर विदेशी योगदान हासिल करने वाले व्यक्ति को एक्ट या विदेशी योगदान (रेगुलेशन) एक्ट, 1976 के किसी प्रावधान के उल्लंघन का अपराधी पाया जाता है तो उपयोग न होने वाले या प्राप्त न होने वाले विदेशी योगदान को केवल केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से उपयोग या प्राप्त किया जा सकता है। बिल कहता है कि सरकार उन व्यक्तियों को अनुपयोगी विदेशी योगदान के इस्तेमाल से प्रतिबंधित कर सकती है जिन्हें यह योगदान प्राप्त करने की पूर्व अनुमति दी गई थी। ऐसा किया जा सकता है, अगर संक्षिप्त जांच, या आगे की किसी लंबित जांच के आधार पर सरकार यह मानती है कि उस व्यक्ति ने एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
     
  • लाइसेंस का रीन्यूअल: एक्ट के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति, जिसे सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन मिला है, को सर्टिफिकेट की एक्सपायरी से पहले छह महीने के भीतर उसे रीन्यू कराना चाहिए। बिल में प्रावधान किया गया है कि सर्टिफिकेट को रीन्यू करने से पहले सरकार जांच करनी चाहिए और निम्नलिखित सुनिश्चित करना चाहिए: (i) आवेदन करने वाला व्यक्ति काल्पनिक या बेनामी नहीं है, (ii) उस व्यक्ति पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने या धर्मांतरण के काम में शामिल होने के लिए मुकदमा नहीं चलाया गया है या उसे इनका दोषी नहीं पाया गया है, और (iii) उसे फंड्स के डायवर्जन या गलत इस्तेमाल का दोषी नहीं पाया गया है, इत्यादि।
     
  • प्रशासनिक उद्देश्य के लिए विदेशी योगदान के इस्तेमाल में कटौती: एक्ट के अंतर्गत विदेशी योगदान प्राप्त करने वाला व्यक्ति सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए उस रकम का इस्तेमाल कर सकता है जिसके लिए उस योगदान को प्राप्त किया गया है। इसके अतिरिक्त वह 50% से अधिक रकम का इस्तेमाल प्रशासनिक खर्चे के लिए नहीं कर सकता। बिल इस सीमा को 20% करता है।
     
  • सर्टिफिकेट को सरेंडर करना: बिल के अनुसार, केंद्र सरकार किसी व्यक्ति को अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को सरेंडर करने की अनुमति दे सकती है। इसके लिए सरकार एक जांच कर सकती है और इस बात के लिए आश्वस्त हो सकती है कि उस व्यक्ति ने एक्ट के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है और उसके विदेशी योगदान का प्रबंधन (संबंधित एसेट्स सहित) सरकार द्वारा निर्दिष्ट अथॉरिटी में निहित है।
     
  • रजिस्ट्रेशन को रद्द करना: एक्ट के अंतर्गत सरकार किसी व्यक्ति के रजिस्ट्रेशन को अधिकतम 180 दिनों की अवधि के लिए रद्द कर सकती है। बिल कहता है कि यह अवधि अतिरिक्त 180 दिनों के लिए बढ़ाई जा सकती है।

 

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