बिल का सारांश

सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने 15 जुलाई, 2019 को लोकसभा में सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019 पेश किया। बिल सेरोगेसी को ऐसे कार्य के रूप में पारिभाषित करता है जिसमें कोई महिला किसी इच्छुक दंपत्ति के लिए बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद उस इच्छुक दंपत्ति को बच्चा सौंप देती है।
     
  • सरोगेसी का रेगुलेशन: बिल कमर्शियल सेरोगेसी को प्रतिबंधित करता है लेकिन निस्वार्थ (एलट्रूइस्टिक) सेरोगेसी की अनुमति देता है। निस्वार्थ सेरोगेसी में सेरोगेट माता को गर्भावस्था के दौरान दिए जाने वाले मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा शामिल नहीं है। कमर्शियल सेरोगेसी में सेरोगेसी या उससे संबंधित प्रक्रियाओं के लिए बुनियादी मेडिकल खर्चे और बीमा कवरेज की सीमा से अधिक मौद्रिक लाभ या पुरस्कार (नकद या किसी वस्तु के रूप में) लेना शामिल है।
     
  • किस उद्देश्य के लिए सेरोगेसी की अनुमति: सेरोगेसी की अनुमति है, यदि (i) वह ऐसे दंपत्ति के लिए हो जोकि प्रामाणित इनफर्टिलिटी से पीड़ित हों और (ii) निस्वार्थ, और (iii) कमर्शियल उद्देश्य के लिए न हो, और (iv) जिसमें बिक्री, वेश्यावृत्ति या शोषण के अन्य प्रकारों के लिए बच्चे को जन्म न दिया जाए, और (v) रेगुलेशनों द्वारा विनिर्दिष्ट कोई स्थिति या बीमारी।
     
  • इच्छुक दंपत्ति के लिए योग्यता का मानदंड : इच्छुक दंपत्ति के पास समुचित अथॉरिटी द्वारा जारी ‘अनिवार्यता का प्रमाणपत्र’ और ‘योग्यता का प्रमाणपत्र’ होना चाहिए।
     
  • अनिवार्यता का प्रमाणपत्र निम्नलिखित स्थितियां होने पर ही जारी किया जाएगा (i) अगर इच्छुक दंपत्ति में एक या दोनों सदस्यों की प्रामाणित इनफर्टिलिटी का सर्टिफिकेट जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी किया गया हो, (ii) मेजिस्ट्रेट की अदालत ने सेरोगेट बच्चे के पेरेंटेज और कस्टडी से संबंधित आदेश जारी किया हो, और (iii) 16 महीने की अवधि के लिए बीमा कवरेज सेरोगेट माता की प्रसव उपरांत की जटिलताओं को कवर करता हो।
     
  • योग्यता का प्रमाणपत्र इच्छुक दंपत्ति द्वारा निम्नलिखित शर्तें पूरी करने पर ही जारी किया जाएगा : (i) अगर वे भारतीय नागरिक हों और उन्हें विवाह किए हुए कम से कम पांच वर्ष हो गए हों, (ii) अगर उनमें से एक 23 से 50 वर्ष के बीच की महिला (पत्नी) और दूसरा 26 से 55 वर्ष का पुरुष (पति) हो, (iii) उनका कोई जीवित बच्चा (बायोलॉजिकल, गोद लिया हुआ या सेरोगेट) न हो, इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हैं या जीवन को जोखिम में डालने वाली या प्राणघातक बीमारी से ग्रस्त हैं, और (iv) कोई ऐसी स्थिति जिसे रेगुलेशनों द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
     
  • सेरोगेट माता के लिए योग्यता का मानदंड : समुचित अथॉरिटी से योग्यता का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए सेरोगेट माता को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना चाहिए : (i) उसे इच्छुक दंपत्ति का निकट संबंधी होना चाहिए, (ii) उसे विवाहित होना चाहिए और उसका अपना बच्चा होना चाहिए, (iii) उसे 25 से 35 वर्ष के बीच होना चाहिए, (iv) उसने पहले सेरोगेसी न की हो, और (v) उसके पास सेरोगेसी करने के लिए मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का सर्टिफिकेट हो। इसके अतिरिक्त सेरोगेट माता सेरोगेसी के लिए अपने गैमेट्स नहीं दे सकती।
     
  • समुचित अथॉरिटी: बिल के एक्ट बनने के 90 दिनों के अंदर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एक या एक से अधिक समुचित अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा। समुचित अधिकारी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल है, (i) सेरोगेट क्लिनिकों का पंजीकरण करना, उन्हें सस्पेंड या रद्द करना, (ii) सेरोगेसी क्लिनिकों के लिए मानदंडों को लागू करना, (iii) बिल के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर जांच और कार्रवाई करना, और (iv) नियमों और रेगुलेशनों में संशोधनों का सुझाव देना।
     
  • सेरोगेट क्लिनिकों का पंजीकरण: अगर सेरोगेसी क्लिनिक समुचित अथॉरिटी में पंजीकृत नहीं हैं तो सेरोगेसी से संबंधित किसी कार्य प्रक्रिया का संचालन नहीं कर सकते। ऐसे क्लिनिकों को समुचित अधिकारी की नियुक्ति की तारीख के 60 दिनों के अंदर पंजीकरण के लिए आवेदन कर देना चाहिए।
     
  • राष्ट्रीय और राज्य सेरोगेसी बोर्ड : केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड (एनएसबी) और राज्य सेरोगेसी बोर्ड्स (एसएसबी) स्थापित किए जाएंगे। एनएसबी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं, (i) सेरोगेसी से संबंधित नीतिगत मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देना, (ii) सेरोगेसी क्लिनिकों के लिए आचार संहिता तैयार करना, और (iii) एसएसबीज के कार्यों की निगरानी करना।
     
  • पेरेंटेज और सेरोगेट शिशु का गर्भपात: सेरोगेसी की प्रक्रिया से जन्म लेने वाले शिशु को इच्छुक दंपत्ति का जैविक बच्चा माना जाएगा। सेरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सेरोगेट माता की लिखित सहमति और समुचित अथॉरिटी की स्वीकृति की जरूरत होगी। यह स्वीकृति मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के अनुरूप होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सेरोगेट माता के पास गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपण से पहले सेरोगेसी से इनकार करने का विकल्प होगा।
     
  • अपराध और दंड: बिल निम्नलिखित को अपराध घोषित करता है : (i) कमर्शियल सेरोगेसी करना या उसका विज्ञापन करना, (ii) सेरोगेट माता का शोषण करना, (iii) सेरोगेट बच्चे का परित्याग, शोषण या उसे अपनाने से इनकार करना और (iv) सेरोगेसी के लिए मानव एंब्रयो या गैमेट्स को बेचना या आयात करना। इन अपराधों पर न्यूनतम 10 वर्ष तक की कैद हो सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। बिल विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन होने की स्थिति में कई अन्य अपराधों को भी स्पष्ट करता है, साथ ही उनके लिए दंड का प्रावधान करता है।

 

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