बिल का सारांश
एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019
- विदेशी मामलों के मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में एंटी-मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019 पेश किया। बिल मैरीटाइम पायरेसी रोकने और पायरेसी के अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- बिल की एप्लिकेबिलिटी: बिल भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन की सीमाओं से लगे और उससे परे के सभी समुद्री भागों पर लागू होगा। एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन यानी विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र समुद्र के उस क्षेत्र को कहते हैं जिसमें आर्थिक गतिविधियां करने का भारत को विशिष्ट अधिकार है।
- पायरेसी: बिल के अनुसार पायरेसी का अर्थ है, किसी निजी जहाज या एयरक्राफ्ट के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्य के लिए किसी जहाज, एयरक्राफ्ट, व्यक्ति या प्रॉपर्टी के खिलाफ हिंसा, बंधक बनाने या नष्ट करने की गैरकानूनी कार्रवाई करना। यह कार्रवाई खुले समुद्र में या भारत के क्षेत्राधिकार से बाहर हो सकती है। किसी को इस कार्रवाई के लिए उकसाना या जानबूझकर इस कार्रवाई को आसान बनाना भी पायरेसी माना जाएगा। इसमें ऐसी कार्रवाई भी शामिल है जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत पायरेसी माना जाता है।
- पायरेट जहाज या एयरक्राफ्ट के संचालन में स्वैच्छिक रूप से हिस्सा लेना भी पायरेसी में शामिल है। इसमें ऐसे जहाज या एयरक्राफ्ट शामिल हैं (i) जिनका पायरेसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, या (ii) इस्तेमाल किया जा चुका है, साथ ही दोनों स्थितियों में वह जहाज या एयरक्राफ्ट पायरेसी के लिए दोषी व्यक्ति के नियंत्रण में है।
- अपराध और दंड: पायरेसी पर निम्नलिखित दंड दिए जाएंगे: (i) आजीवन कारावास, या (ii) मृत्यु, अगर पायरेसी में हत्या की कोशिश शामिल है और उसके कारण किसी की मृत्यु हो जाती है। अगर कोई पायरेसी करने की कोशिश करता है, उसमें मदद करता है, उसके लिए किसी को उकसाता है, या उसके लिए कुछ खरीदता है, या किसी दूसरे को पायरेसी में भाग लेने के लिए निर्देश देता है तो उसके लिए 14 साल तक की सजा भुगतनी पड़ेगी और जुर्माना भरना पड़ेगा। अपराधों को प्रत्यर्पण योग्य माना जाएगा। इसका अर्थ यह है कि आरोपी को कानूनी प्रक्रिया के लिए ऐसे किसी भी देश में ट्रांसफर किया जा सकता है जिसके साथ भारत ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। ऐसी संधियों के अभाव में अपराध देशों के बीच पारस्परिकता के आधार पर प्रत्यर्पण योग्य होंगे।
- गिरफ्तारी और जब्ती: पायरेट्स के नियंत्रण वाले जहाज या एयरक्राफ्ट को जब्त किया जा सकता है, उसमें मौजूद लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है और उसकी संपत्ति को भी जब्त किया जा सकता है। यह जब्ती केवल निम्नलिखित द्वारा की जा सकती है: (i) युद्धपोत या भारतीय नौसेना के सैन्य एयरक्राफ्ट, (ii) भारतीय तटरक्षकों के जहाज या एयरक्राफ्ट, या (iii) सरकारी सेवा में लगे और इस उद्देश्य के लिए अधिकृत जहाज या एयरक्राफ्ट।
- निर्दिष्ट अदालत: केंद्र सरकार संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से सत्र अदालतों को बिल के अंतर्गत निर्दिष्ट अदालत के रूप में अधिसूचित कर सकती है। वह प्रत्येक निर्दिष्ट अदालत के लिए क्षेत्राधिकार को भी अधिसूचित कर सकती है।
- अदालत का क्षेत्राधिकार: निर्दिष्ट अदालत निम्नलिखित द्वारा किए गए अपराधों पर विचार करेगी: (i) वह व्यक्ति जो भारतीय नौसेना या तटरक्षकों की कस्टडी में है, भले ही वह किसी भी देश का हो, (ii) भारत का नागरिक, भारत में रहने वाला विदेशी नागरिक या राष्ट्रविहीन (स्टेटलेस) व्यक्ति। इसके अतिरिक्त अदालत किसी व्यक्ति पर तब भी विचार कर सकती है, जब वह अदालत में शारीरिक रूप से मौजूद न हो।
- किसी विदेशी जहाज पर किए गए अपराध अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आते, जब तक निम्नलिखित के द्वारा हस्तक्षेप का अनुरोध नहीं किया जाता: (i) जहाज का मूल देश, (ii) जहाज का मालिक, या (iii) जहाज पर मौजूद कोई अन्य व्यक्ति। युद्धपोत और गैर कमर्शियल उद्देश्यों के लिए काम आने वाले सरकारी जहाज अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आएंगे।
- अपराधी मानना: आरोपी को निम्नलिखित होने पर अपराधी माना जाएगा: (i) अगर आरोपी के पास ऐसे हथियार, विस्फोटक और दूसरी सामग्री है, जिसे अपराध करने में इस्तेमाल किया गया है या इस्तेमाल किया जा सकता है, (ii) जहाज के चालक दल या यात्रियों के खिलाफ बल प्रयोग करने का सबूत है, और (iii) जहाज के चालक दल, यात्रियों या कार्गो के खिलाफ बम और हथियारों का इस्तेमाल किए जाने का सबूत है।
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