एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 20192022 के संशोधनों एवं स्टैंडिंग कमिटी के सुझावों के साथ 2019 के बिल की तुलना 

एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019 को 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था।[1] यह बिल भारतीय अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र (हाई सी) में पायरेसी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है। 2019 के बिल में मैरीटाइम पायरेसी की रोकथाम और ऐसी पायरेसी से जुड़े अपराधियों पर मुकदमा चलाने का प्रावधान है। यह भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) से सटे और उसके परे के समुद्र के सभी हिस्सों, यानी भारतीय समुद्री तट के 200 नॉटिकल मील से परे लागू होगा। विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (2021) ने 2019 के बिल की समीक्षा की और अपनी रिपोर्ट में कुछ संशोधनों का सुझाव दिया (रिपोर्ट फरवरी 2021 में सौंपी गई थी)।[2] विदेश मंत्रालय ने 2019 के बिल में आधिकारिक संशोधन किए हैं जिसे लोकसभा में वितरित किया गया है।

निम्नलिखित तालिका में स्टैंडिंग कमिटी के सुझाए गए परिवर्तनों और प्रस्तावित आधिकारिक संशोधनों की तुलना 2019 के बिल के प्रावधानों के साथ की गई है।  

तालिका 1एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019 में मुख्य परिवर्तन

 

एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019 

स्टैंडिंग कमिटी के सुझाव

मंत्री द्वारा किए गए आधिकारिक संशोधन (2022)

बिल की एप्लिकेबिलिटी

बिल भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) से सटे और उसके परे के समुद्र के सभी हिस्सों, यानी भारतीय समुद्री तट के 200 नॉटिकल मील से परे लागू होता है। 

बिल में पायरेसी को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में होने वाले कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है, इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र पर लागू करना अनिवार्य है। इस परिभाषा में ईईज़ेड को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यूएनसीएलओएस के अनुच्छेद 58(2) में कहा गया है कि ईईजेड में तटीय राज्य के संप्रभु अधिकारों से इतर, अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र की विशेषताएं कायम रहती हैं।  

बिल अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र पर लागू होगा जिसमें ईईज़ेड और किसी अन्य राज्य (भारत के अतिरिक्त कोई दूसरा देश) के क्षेत्राधिकार से परे के सभी जल सीमा क्षेत्र शामिल हैं। 

 

पायरेसी के लिए दंड

पायरेसी के किसी भी कृत्य पर निम्नलिखित दंड दिए जाएंगे: 

(i) आजीवन कारावास, या 

(ii) मृत्यु, अगर पायरेसी में हत्या की कोशिश शामिल है और उसके कारण किसी की मृत्यु हो जाती है।

भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने अनिवार्य मृत्यु दंड को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था। इसके अतिरिक्त अन्य देशों की सरकारें मृत्यु दंड वाले अपराधों के लिए अभियुक्तों को भारत में प्रत्यर्पित करने की कम इच्छुक होती हैं, चूंकि उन देशों ने मृत्यु दंड समाप्त कर दिया है।  

दंड में निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं:

  1. कारावास, जोकि उम्रकैद, या जुर्माने, या दोनों तक बढ़ाया जा सकता है, अथवा
  2. मृत्यु या उम्रकैद, अगर पायरेसी के कृत्य या पायरेसी की कोशिश में हत्या की कोशिश शामिल है और उसके कारण किसी की मृत्यु हो जाती है।

पायरेसी की कोशिश करने या उसमें मदद देने के लिए दंड

अधिकतम 14 वर्ष का कारावास या जुर्माना।

उपलब्ध नहीं।

अधिकतम 10 वर्ष का कारावास या जुर्माना, या दोनों। 

पायरेसी में भाग लेने, उसकी योजना बनाने या दूसरों को ऐसा करने का निर्देश देने पर दंड 

अधिकतम 14 वर्ष का कारावास या जुर्माना।

उपलब्ध नहीं।

अधिकतम 14 वर्ष का कारावास या जुर्माना, या दोनों।

गिरफ्तारी और जब्ती के लिए अधिकृत कर्मी

 

(i) भारतीय नौसेना के युद्धपोत या सैन्य एयरक्राफ्ट, 

(iiभारतीय तटरक्षकों के जहाज या एयरक्राफ्ट, या 

(iiiसरकारी सेवा में लगे और इस उद्देश्य के लिए अधिकृत जहाज या एयरक्राफ्ट। 

बिल में गिरफ्तारी या जब्ती की प्रक्रिया में कर्मियों का कोई उल्लेख नहीं है। इसमें भारतीय तटरक्षकों की भी कोई भूमिका नहीं बताई गई है। यह केवल इस प्रक्रिया में प्रयुक्त जहाजों का हवाला देता है। कमिटी ने इन जहाजों के अधिकारियों या नाविकों और सरकार द्वारा अधिकृत अन्य जहाजों के अधिकृत कर्मियों को जब्ती का अधिकार देने के लिए क्लॉज में संशोधन करने का सुझाव दिया था। 

केवल अधिकृत कर्मी गिरफ्तारी और जब्ती कर सकते हैं। इन कर्मियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारतीय नौसेना के युद्धपोत या सैन्य एयरक्राफ्ट के अधिकारी और नाविक, या (ii) तटरक्षक बल के अधिकारी या उसमें भर्ती व्यक्ति, (iii) किसी जहाज या एयरक्राफ्ट के लिए केंद्र या राज्य सरकार के अधिकृत अधिकारी।   

संदेह के आधार पर गिरफ्तारी और जब्ती करने का अधिकार

बिल निम्नलिखित द्वारा पायरेट जहाज या एयरक्राफ्ट की गिरफ्तारी और जब्ती का प्रावधान करता है:

(i) भारतीय नौसेना के युद्धपोत या सैन्य एयरक्राफ्ट, 

(iiभारतीय तटरक्षकों के जहाज या एयरक्राफ्ट, या 

(iiiसरकारी सेवा में लगे और इस उद्देश्य के लिए अधिकृत जहाज या एयरक्राफ्ट।

बिल में गिरफ्तारी या जब्ती की प्रक्रिया में कर्मियों का कोई उल्लेख नहीं है। इसमें भारतीय तटरक्षकों की भी कोई भूमिका नहीं बताई गई है। यह केवल इस प्रक्रिया में प्रयुक्त जहाजों का हवाला देता है। कमिटी ने उसी के अनुसार संशोधनों का सुझाव दिया। बिल सिर्फ पायरेट्स की गिरफ्तारी और पायरेट जहाजों की जब्ती का प्रावधान करता है, लेकिन इसमें पायरेसी के संदेह होने पर गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती का कोई प्रावधान नहीं है। कमिटी ने इसे शुरू करने के लिए संशोधन का सुझाव दिया था।

केवल अधिकृत कर्मी ही गिरफ्तारी और जब्ती कर सकते हैं। इन कर्मियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारतीय नौसेना के युद्धपोत या सैन्य एयरक्राफ्ट के अधिकारी और नाविक, या (ii) तटरक्षक बल के अधिकारी या उसमें भर्ती व्यक्ति, (iii) किसी जहाज या एयरक्राफ्ट के लिए केंद्र या राज्य सरकार के अधिकृत अधिकारी। इसमें यह जोड़ा गया है कि अधिकृत कर्मी संदेह के आधार पर गिरफ्तारी और जब्ती कर सकते हैं।

जब्त संपत्ति का निपटान

उपलब्ध नहीं।

बिल में जब्त की गई संपत्ति के निपटान का कोई प्रावधान नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि अदालत के आदेश द्वारा संपत्ति या जहाज के निपटान का अधिकार देने वाले प्रावधानों को जोड़ा जाए।

केवल अदालत के आदेश द्वारा जब्त किए गए जहाज या संपत्ति का निपटारा किया जाएगा। 

निर्दिष्ट अदालत का क्षेत्राधिकार

केंद्र सरकार भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के बाद निर्दिष्ट अदालतों के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र को निर्दिष्ट करेगी।  

उपलब्ध नहीं।

यह जोड़ता है कि न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का निर्णय करते समय इस बात को ध्यान में रखा जाएगा कि संदिग्ध या आरोपी व्यक्ति भारत के भीतर किस बंदरगाह या स्थान पर उतरा है। 

व्यक्ति के अदालत में अनुपस्थित न रहने पर निर्दिष्ट अदालत द्वारा उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की शक्ति

अदालत किसी व्यक्ति के खिलाफ मुकदम चला सकती है, इसके बावजूद कि वह व्यक्ति अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं है। 

इन अबसेंशिया मुकदमों के प्रावधान को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत माना जाता है, चूंकि वह आरोपी के इस अधिकार को अनदेखा करता है कि उसे भी सुनवाई का उचित अवसर मिलना चाहिए और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत परीक्षण का सामना नहीं कर पाएगा। इसके अतिरिक्त यूएनसीएलओएस के दूसरे हस्ताक्षरकर्ता राज्यों में इन अबसेंशिया मुकदमों पर रोक है, इससे अभियुक्तों का प्रत्यर्पण मुश्किल हो सकता है।      

प्रावधान हटाया गया। 

लोग जो पायरेसी कर सकते हैं

बिल के अनुसार पायरेसी का अर्थ है, किसी निजी जहाज या एयरक्राफ्ट के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्य के लिए किसी जहाज, एयरक्राफ्ट, व्यक्ति या संपत्ति के खिलाफ हिंसा, उन्हें बंधक बनाने या नष्ट करने की गैरकानूनी कार्रवाई करना।

कमिटी ने तर्क दिया कि जहाज पर यात्रियों और चालक दल के अतिरिक्त दूसरे व्यक्ति भी उपस्थित हो सकते हैं, और इसलिए उसने अन्य व्यक्ति को जोड़ने का सुझाव दिया।

उन लोगों की परिभाषा में अन्य व्यक्ति को जोड़ा गया है, जो पायरेसी कर सकते हैं। 

जहाज की परिभाषा

उपलब्ध नहीं।

2019 के बिल में जहाज की परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन बिल और यूएनसीएलओएस, दोनों के कई प्रावधान जहाज शब्द पर निर्भर करते हैं। कमिटी ने एक परिभाषा का सुझाव दिया है जिसके दायरे में एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 के सेक्शन 2 (1) के तहत जल आधारित परिवहन के सभी वर्ग आते हैं। इसमें एयरक्राफ्ट भी शामिल है।

जहाज की परिभाषा देता है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) वेसल या वॉटर क्राफ्ट, और (ii) जल परिवहन के साधन के रूप में इस्तेमाल होने के योग्य सीप्लेन्स और अन्य एयक्राफ्ट।

 

स्रोत: एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019एंटी मैरीटाइम पायरेसी बिल, 2019 पर विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्टविदेश मामलों के मंत्रालय द्वारा पेश संशोधनपीआरएस।

 

[2] Report No. 6: The Anti-Maritime Piracy Bill, 2019, Standing Committee on External Affairs (2020-21), February 11, 2021, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2019/17_External_Affairs_6.pdf.

 

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