स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) बिल, 2019

 

  • सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: रमा देवी) ने 29 जनवरी, 2021 को माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) बिल, 2019 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण एक्ट, 2007 में संशोधन करता है जोकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए वित्तीय सुरक्षा, कल्याण और संरक्षण का प्रावधान करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • कोयर होम्स: एक्ट में राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में कम से कम एक ओल्ड एज होम बनाने की बात कही गई है। बिल इस प्रावधान में परिवर्तन करता है और यह प्रावधान करता है कि केंद्र या राज्य सरकार या कोई संगठन वरिष्ठ नागरिकों के लिए केयर होम्स बना सकता है। कमिटी ने कहा कि देश के 700 जिलों में से सिर्फ 482 में केयर होम्स हैं। उसने सुझाव दिया कि बिल में कम से कम एक केयर होम और प्रत्येक जिले में एक मल्टी-सर्विस डे केयर सेंटर की अनिवार्यता होनी चाहिए।
  • बिल में राज्य सरकारों से यह अपेक्षा की गई है कि वे केयर होम्स और डे केयर सेंटर्स के रजिस्ट्रेशन और निगरानी के लिए रजिस्ट्रेशन और रेगुलेटरी अथॉरिटी को नामित करें। कमिटी ने सुझाव दिया है कि एक्ट में संशोधन के छह महीनों के भीतर राज्य सरकारें इन अथॉरिटीज़ को नामित करें, बिल में यह प्रावधान शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा: एक्ट में प्रावधान है कि सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ सुविधाएं प्रदान की जाएंगी (जैसे बिस्तर, अलग कतार, बूढ़ों के लिए अलग से सुविधाएं)। बिल में यह अपेक्षा की गई है कि निजी संगठनों सहित सभी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधाएं होनी चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया है कि जिला अस्पताल वरिष्ठ नागरिकों को काउंसिलिंग की सुविधा दें, इस संबंध में बिल में प्रावधान होने चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया है कि सरकार एक निश्चित समयावधि में सभी राज्यों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग वृद्ध स्वास्थ्य सुविधाएं, अस्पताल और रिसर्च सेंटर बनाए, बिल में यह अपेक्षित होना चाहिए।
     
  • भरण-पोषण के लिए आवेदन: एक्ट के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता भरण-पोषण ट्रिब्यूनल्स में अपने बच्चों, संबंधियों या कानूनी वारिस से भरण-पोषण मांगने के लिए आवेदन कर सकते हैं, अगर वे खुद की देखभाल नहीं कर सकते। यह आवेदन वे खुद कर सकते हैं, या अपनी ओर से किसी व्यक्ति या संगठन को ऐसा करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं। बिल कहता है कि आवेदन रजिस्टर्ड पोस्ट से या किसी अन्य साधन से ऑनलाइन किया जा सकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में एक डेडिकेटेड कॉमन पोर्टल का प्रावधान होना चाहिए जहां आवेदन को ऑनलाइन फाइल किया जा सके और उस पर होने वाली संबंधित कार्रवाइयों को ट्रैक किया जा सके।
     
  • बिल में प्रावधान है कि 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के आवेदनों को आवेदन मिलने के 60 दिनों के भीतर निपटाया जाना चाहिए। अन्य के लिए यह अवधि 90 दिन होगी। हालांकि कुछ अपवादों में, यह अवधि 30 दिनों तक बढ़ाई जा सकती है (ऐसा सिर्फ एक बार किया जा सकता है)। कमिटी ने सुझाव दिया कि अगर वरिष्ठ नागरिक 80 वर्ष या उससे अधिक के हैं, तो इस स्थिति में अतिरिक्त अवधि वाला प्रावधान लागू नहीं होना चाहिए। उसने कहा कि इस आयु वर्ग के वरिष्ठ नागरिक ज्यादा संवेदनशील होते हैं इसलिए भरण पोषण जल्द मिलना बहुत जरूरी हो सकता है और उसमें देरी नहीं होनी चाहिए।
     
  • भरण-पोषण ट्रिब्यूनल्स: कमिटी ने कहा कि भरण-पोषण के लिए अलग से ट्रिब्यूनल बनाने का सरकार का सबमिशन व्यावहारिक नहीं हो सकता। उसने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों को ऐसे ट्रिब्यूनल्स में मामलों के समयबद्ध निस्तारण के लिए पर्याप्त मैनपावर, प्रशिक्षण और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना होगा। उसने यह सुझाव भी दिया कि नियमों में संशोधन किया जाना चाहिए और यह प्रावधान करना चाहिए कि संबंधित अधिकारी हफ्ते में कम से कम दो दिन भरण पोषण संबंधी मामलों को निपटाएंगे।
     
  • सुलह अधिकारी: एक्ट के अंतर्गत सुनवाई से पहले भरण पोषण ट्रिब्यूनल सेटेलमेंट के लिए सुलह अधिकारी के पास आवेदन भेज सकता है। एक्ट में स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा नामित भरण-पोषण अधिकारी या वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए कार्य करने वाले संगठन के व्यक्ति सुलह अधिकारी बन सकते हैं। बिल में इस प्रावधान में संशोधन किया गया है और कहा गया है कि ट्रिब्यूनल राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट नियमों के अनुसार सुलह अधिकारी को नामित करेगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि एक्ट में यह स्पष्टीकरण बरकरार रखा जाए कि किस श्रेणी के लोग सुलह अधिकारी के तौर पर कार्य कर सकते हैं। उसने यह सुझाव भी दिया कि बिल में सुलह अधिकारी को उसकी सेवाओं के लिए मानदेय के भुगतान का प्रावधान होना चाहिए।
     
  • भरण-पोषण अधिकारी: एक्ट में प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल की कार्यवाहियों के दौरान वरिष्ठ नागरिकों/माता-पिता का प्रतिनिधित्व करने के लिए भरण-पोषण अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। बिल में भरण-पोषण अधिकारियों से निम्नलिखित अपेक्षित है: (i) भरण पोषण के आदेशों के अनुपालन को सुनिश्चित करना, और (ii) माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों के लिए संपर्क सूत्र का काम करना। कमिटी ने सुझाव दिया कि भरण-पोषण अधिकारी ट्रिब्यूनल को वार्षिक अनुपालन रिपोर्ट सौंपे, बिल में यह अपेथिक अनुपालन रिपोर्ट सौंपे, बिलमंैं। िष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए कार्य करने वाले संगक्षित होना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि नियमों में निम्नलिखित प्रावधान होने चाहिए: (i) भरण-पोषण अधिकारियों का प्रशिक्षण और उन्हें सेंसिटाइज करना, और (ii) वे नियमित रूप से वरिष्ठ नागरिकों के घर जाएं ताकि भरण-पोषण के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित हो।

 

 

 

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