मंत्रालय: 
वित्त, कॉरपोरेट मामले और सूचना एवं प्रसारण
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 25 नवंबर, 2019 को लोकसभा में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र अथॉरिटी बिल, 2019 पेश किया। बिल भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों में वित्तीय सेवा बाजार को विकसित और रेगुलेट करने के लिए एक अथॉरिटी की स्थापना का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • कवरेज: बिल स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स एक्ट, 2005 के अंतर्गत गठित सभी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससीज़) पर लागू होगा।
     
  • अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र अथॉरिटी: बिल में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र अथॉरिटी की स्थापना का प्रावधान है। इस अथॉरिटी में केंद्र द्वारा नियुक्त नौ सदस्य होंगे। अथॉरिटी के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) चेयरपर्सन, (ii) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई), सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडा) और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा नामित चार सदस्य, (iii) वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी, और (iv) सर्च कमिटी के सुझाव पर नियुक्त दो सदस्य। सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होगा जिसके बाद इनकी दोबारा नियुक्ति की जा सकती है।
     
  • अथॉरिटी के कार्य: अथॉरिटी किसी आईएफएससी में वित्तीय उत्पादों (जैसे सिक्योरिटीज़, डिपॉजिट्स या बीमा अनुबंधों), वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों, जिन्हें बिल के लागू होने से पहले किसी रेगुलेटर (जैसे आरबीआई या सेबी) द्वारा मंजूर किया गया है, को रेगुलेट करेगी। वह उन सभी प्रक्रियाओं का अनुपालन करेगी, जोकि ऐसे वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों पर उनके संबंधित कानूनों के अंतर्गत लागू होती हैं। बिल की अनुसूची में सभी संबंधित रेगुलेटरों की सूची है और इसमें आरबीआई, सेबी, इरडा और पीएफआरडीए शामिल हैं। केंद्र सरकार एक अधिसूचना के जरिए इस अनुसूची में संशोधन कर सकती है।
     
  • अथॉरिटी के अन्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) किसी आईएफएससी में वित्तीय उत्पादों, सेवाओं या संस्थानों को रेगुलेट करना, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, और (ii) उन वित्तीय सेवाओं, उत्पादों और संस्थानों के संबंध में केंद्र सरकार को सुझाव देना, जिन्हें आईएफएससी में मंजूर किया जा सके।
     
  • अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र अथॉरिटी फंड: बिल अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र अथॉरिटी फंड की स्थापना करता है। फंड में निम्नलिखित राशियां जमा की जाएंगी: (i) अथॉरिटी के सभी अनुदान, फीस और शुल्क, और (ii) अथॉरिटी को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाली राशि। इस फंड का इस्तेमाल निम्नलिखित के लिए किया जाएगा: (i) अथॉरिटी के सदस्यों और कर्मचारियों का वेतन, भत्ते और अन्य पारिश्रमिक, और (ii) अथॉरिटी के अन्य खर्चे। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार आईएफएससीज़ के रेगुलेशन के लिए अथॉरिटी को अनुदान दे सकती है।
     
  • प्रदर्शन समीक्षा कमिटी: बिल के अंतर्गत अथॉरिटी अपने कामकाज की समीक्षा के लिए प्रदर्शन समीक्षा कमिटी का गठन करेगी। कमिटी में अथॉरिटी के कम से कम दो सदस्य होंगे। कमिटी निम्नलिखित की समीक्षा करेगी: (i) अथॉरिटी अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए या अपने कार्य करते हुए मौजूदा कानूनी प्रावधानों का अनुपालन कर रही है, (ii) उसके द्वारा बनाए गए रेगुलेशन पारदर्शिता को बढ़ावा देने और सुशासन कायम करने वाले हैं, और (iii) अथॉरिटी अपने कामकाज में उचित तरीके से जोखिम प्रबंधन कर रही है। कमिटी साल में कम से कम एक बार अथॉरिटी को अपने निष्कर्षों के आधार पर रिपोर्ट सौंपेगी।
     
  • विदेशी करंसी में लेनदेन: बिल के अनुसार, आईएफएससीज़ में वित्तीय सेवाओं के सभी लेनदेन उस करंसी में किए जाएंगे, जिन्हें अथॉरिटी केंद्र सरकार की सलाह से विनिर्दिष्ट करेगी।

 

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