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वित्त
  • टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2016 को लोकसभा में 10 अगस्त, 2016 को पेश किया गया। यह बिल इनकम टैक्स एक्ट, 1961 और कस्टम टैरिफ एक्ट, 1975 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है। बिल में प्रस्तावित परिवर्तन निम्नलिखित हैं।.

इनकम टैक्स एक्ट, 1961

  • सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का असंबद्ध होना (डीमर्जर) : कंपनी एक्ट, 1956 कंपनियों को कई कंपनियों में डीमर्ज (अलग-अलग) होने की अनुमति देता है। डीमर्जर के परिणाम स्वरूप पेरेंट कंपनी की आय, व्यय और लाभ रिजल्टेंट (डीमर्जर के बाद बनने वाली) कंपनियों में ट्रांसफर हो जाते हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 रिजल्टेंट कंपनियों के टैक्सेशन के लिए पेरेंट कंपनी से होने वाले ट्रांसफर को ध्यान में रखता है। बिल स्पष्ट करता है कि ये प्रावधान तभी लागू होंगे जब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी डीमर्ज होगी और रिजल्टेंट कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी नहीं होगी।
     
  • नए कर्मचारियों के रोजगार के संबंध में कटौती: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 व्यवसायों को इस बात की अनुमति देता है कि वे अपनी कर योग्य आय पर छूट ले सकते हैं। यह कर छूट नए कर्मचारियों को भर्ती करने की लागत का 30% तक हो सकती है। एक्ट में अपेक्षा की गई है कि कर्मचारियों को पिछले वर्ष न्यूनतम 240 दिन के लिए इंप्लॉयड होना चाहिए। बिल में एपेरेल (वस्त्र) मैन्यूफैक्चर करने वाले व्यवसायों के लिए इस सीमा को 150 दिन कर दिया गया है।

कस्टम टैरिफ एक्ट, 1975

  • मार्बल और ग्रेनाइट ब्लॉक और स्लैब पर कस्टम ड्यूटी : वर्तमान में विशिष्ट उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने वाले ग्रेनाइट और मार्बल के आयात पर 10% की दर से कस्टम ड्यूटी चुकानी होती है। बिल में इसे बढ़ाकर 40% करने का प्रस्ताव है।

 

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