मंत्रालय: 
विधि एवं न्याय
  • विधि और न्याय राज्य मंत्री पी. पी. चौधरी ने 5 जनवरी, 2018 को लोकसभा में नई दिल्ली इंटरनेशनल आरबिट्रेशन सेंटर बिल, 2018 पेश किया। बिल का उद्देश्य भारत में आरबिट्रेशन के बेहतर प्रबंधन के लिए स्वायत्त (ऑटोनॉमस) और स्वतंत्र संस्थान की स्थापना करना है। बिल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
     
  • नई दिल्ली इंटरनेशनल आरबिट्रेशन सेंटर (एनडीआईएसी) : बिल आरबिट्रेशन, मध्यस्थता और सुलह संबंधी कार्यवाहियों के लिए एनडीआईएसी की स्थापना करता है। बिल एनडीआईएसी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करता है।
     
  • इंटरनेशनल ऑल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन सेंटर (आईसीएडीआर) : आईसीएडीआर विवादों के वैकल्पिक समाधान (जैसे आरबिट्रेशन और मध्यस्थता) को बढ़ावा देने वाली पंजीकृत सोसायटी है। बिल मौजूदा आईसीएडीआर को केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने का प्रयास करता है। केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद आईसीएडीआर के सभी अधिकार, टाइटिल और हितों को एनडीआईएसी में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
     
  • संघटन : बिल के अंतर्गत एनडीआईएसी में निम्नलिखित सात सदस्य होंगे: (i) चेयरपर्सन, जोकि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का जज हो सकता है या कोई ऐसा प्रतिष्ठित व्यक्ति जिसके पास आरबिट्रेशन करने या उसके प्रशासन से जुड़ी विशेष जानकारी और अनुभव हो, (ii) ऐसे दो प्रतिष्ठित व्यक्ति जिनके पास संस्थागत आरबिट्रेशन की पर्याप्त जानकारी और अनुभव हो, (iii) तीन पदेन (एक्स ऑफिशियो) सदस्य, जिसमें वित्त मंत्रालय का नॉमिनी और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (जोकि एनडीआईएसी के रोजाना के कामकाज के लिए जिम्मेदार होगा) शामिल हैं, और (iv) वाणिज्य और उद्योग की किसी मान्यता प्राप्त संस्था का प्रतिनिधि, जोकि पार्ट टाइम सदस्य के रूप में, रोटेशन के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
     
  • कार्य अवधि और सेवानिवृत्ति : एनडीआईएसी के सदस्य तीन वर्षों तक अपने पद पर रहेंगे, और दोबारा नियुक्त किए जाने के पात्र होंगे। चेयरपर्सन की रिटायरमेंट की आयु 70 वर्ष है और अन्य सदस्यों की 67 वर्ष।
     
  • एनडीआईएसी के उद्देश्य और कार्य : एनडीआईएसी के मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) विवादों के वैकल्पिक समाधान के मामलों से जुड़ी रिसर्च को बढ़ावा देना, प्रशिक्षण देना और कॉन्फ्रेंस एवं सेमिनार आयोजित करना, (ii) आरबिट्रेशन, मध्यस्थता और सुलह की कार्यवाहियों के लिए सुविधाएं और प्रशासनिक सहयोग प्रदान करना, (iii) आरबिट्रेशन, मध्यस्थता और सुलह की कार्यवाहियों के लिए मान्यता प्राप्त प्रोफेशनलों का पैनल तैयार करना। एनडीआईएसी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) पेशेवर और किफायती तरीके से एवं समय रहते आरबिट्रेशन और सुलह का काम करना, और (ii) वैकल्पिक विवाद समाधान के क्षेत्र में अध्ययन को बढ़ावा देना।
     
  • वित्त और ऑडिट : एनडीआईएसी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह एक ऐसा फंड बनाएगा जिसमें केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान, उसकी कार्यवाहियों से प्राप्त होने वाली फीस और अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि को जमा किया जाएगा। भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा एनडीआईएसी के एकाउंट्स को ऑडिट और सर्टिफाई किया जाएगा।
     
  • संस्थागत समर्थन : बिल स्पष्ट करता है कि एनडीआईएसी एक चैंबर ऑफ आरबिट्रेशन की स्थापना करेगा, जिसमें आरबिट्रेटर्स का एक स्थायी पैनल होगा। इसके अतिरिक्त एनडीआईएसी आरबिट्रेटर्स को प्रशिक्षित करने और वैकल्पिक विवाद समाधान के क्षेत्र में रिसर्च करने के लिए आरबिट्रेशन एकेडमी स्थापित कर सकता है। सेंटर अपने कार्यों को संचालित करने के लिए अन्य कमिटियों का गठन भी कर सकता है।

 

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