मंत्रालय: 
शिपिंग
  • जहाजरानी राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णनन ने 16 दिसंबर, 2016 को लोकसभा में मर्चेंट शिपिंग बिल, 2016 को पेश किया। बिल कारोबार करने को सहज बनाने और भारतीय तटीय शिपिंग को विकसित करने के लिए शिपिंग क्षेत्र में सुधार करने का प्रयास करता है। बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 का स्थान लेता है और तटीय जहाज एक्ट, 1838 को रद्द करता है। बिल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
     
  • राष्ट्रीय शिपिंग बोर्ड : बिल केंद्र सरकार को राष्ट्रीय शिपिंग बोर्ड की स्थापना की अनुमति देता है। शिपिंग बोर्ड के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे : (i) छह संसद सदस्य, और (ii) केंद्र सरकार, जहाज मालिकों और नाविकों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिक से अधिक 16 सदस्य। शिपिंग बोर्ड भारतीय शिपिंग के विकास पर केंद्र सरकार को परामर्श देगा। उसे स्वयं की कार्य प्रक्रिया को रेगुलेट करने की शक्ति प्राप्त होगी।
     
  • सीफेयरर्स वेल्फेयर बोर्ड : बोर्ड केंद्र सरकार को सीफेयरर्स वेल्फेयर बोर्ड के गठन की अनुमति देता है। केंद्र सरकार वेल्फेयर बोर्ड के संघटन, कार्यकाल और कामकाज को संचालित करने की प्रक्रियाओं का प्रावधान कर सकती है। बोर्ड नाविकों के कल्याण को बढ़ावा देने के उपायों पर केंद्र सरकार को निम्नलिखित के संबंध में सलाह प्रदान करेगा : (i) आवास एवं वास गृह (बोर्डिंग और लॉजिंग), (ii) अस्पताल एवं चिकित्सा उपचार का प्रावधान, (iii) शिक्षा एवं अन्य सुविधाएं, और (iv) संकटग्रस्त या परित्यक्त नाविकों के कल्याण के लिए उठाए जाने वाले कदम।
     
  • भारतीय जहाजों का पंजीकरण : प्रत्येक भारतीय जहाज को बंदरगाह या भारत में किसी ऐसे स्थान पर पंजीकृत होना चाहिए जिसे केंद्र सरकार द्वारा बंदरगाह के रूप में पंजीकृत किया गया हो। प्रत्येक बंदरगाह पर स्थित भारतीय जहाजों का रजिस्ट्रार प्रत्येक भारतीय जहाज को पंजीकरण और टन भार का सर्टिफिकेट (जहाज की क्षमता का संकेत देता हुआ) प्रदान करेगा। बिल पंजीकृत जहाज के स्वामित्व के हस्तांतरण की प्रक्रिया को भी स्पष्ट करेगा। एक भारतीय जहाज किसी अन्य देश में विशिष्ट शर्तों के साथ पंजीकृत किया जा सकता है।
     
  • नाविकों के अधिकार और मानदंड : केंद्र सरकार सेवा, आयु सीमा, मेडिकल फिटनेस, प्रशिक्षण और परीक्षा के आधार पर नाविकों को योग्यता या प्रवीणता के सर्टिफिकेट प्रदान करेगी। मैरिटाइम लेबर कनवेंशन, 2006 में स्पष्ट किए गए सामुद्रिक श्रम मानक बिल के तहत पंजीकृत सभी नाविकों और जहाजों पर लागू होंगे किंतु युद्ध पोतों, अंतर्देशीय जलमार्ग में चलने वाले जहाजों या मछलियां पकड़ने में इस्तेमाल होने वाले जहाजों पर ये लागू नहीं होंगे। जहाज के मालिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे उन सभी नाविकों से अनुबंध (एग्रीमेंट) करें जिनके साथ वे कार्य करते हैं। केंद्र सरकार नाविकों और उनके नियोक्ताओं के बीच के विवाद को सुलझाने के लिए ट्रिब्यूनल की स्थापना भी कर सकती है।
     
  • सुरक्षा : बिल सभी जहाजों से निम्नलिखित अंतरराष्ट्रीय कनवेंशनों के अनुपालन की अपेक्षा करता है, (i) सुरक्षा कनवेंशन, 1974, (ii) समुद्र में टक्कर रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय रेगुलेशनों पर कनवेंशन, 1972, और (iii) सुरक्षित कन्टेनरों के लिए अंतरराष्ट्रीय कनवेंशन, 1972। भारतीय जहाज के मास्टर से अपेक्षा की जाती है कि वह सुरक्षा से जुड़े हादसों की जानकारी निर्दिष्ट प्राधिकरण को देगा। इसके अतिरिक्त दूसरे जहाज से संकट के संकेत मिलने पर जहाज के मास्टर को उसे तब तक सहायता देनी चाहिए जब तक वह ऐसा करने के लिए अक्षम न हो या विशिष्ट स्थितियों के तहत ऐसा करना उसे अनावश्यक लगे।
     
  • सामुद्रिक दायित्व और मुआवजा : अगर दो या दो से अधिक जहाजों की गलती हो तो क्षति या घाटे के दायित्व को क्षति के अनुपात में निर्धारित किया जाएगा। बीमित व्यक्ति का दायित्व निम्नलिखित दावों तक ही सीमित होगा : (i) जहाज के संचालन के परिणामस्वरूप मृत्यु या चोट या संपत्ति की क्षति, (ii) विलंब के परिणामस्वरूप घाटा, और (iii) डूबे हुए या परित्यक्त जहाज को हटाना। जहाज के यात्रियों की मृत्यु या व्यक्तिगत चोट से संबंधित दावों की स्थिति में जहाज मालिक के दायित्व का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
     
  • विविध : बिल में जहाजों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम और निस्तारण के तरीकों का प्रावधान किया गया है। यह तेल प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान के मामले में सिविल दायित्व का प्रावधान करता है। यह अंतरराष्ट्रीय तेल प्रदूषण मुआवजा फंड में योगदान के तरीके का भी प्रावधान करता है। जहाज की क्षति होने की स्थिति में, बिल क्षति की रिपोर्ट देने एवं उसके निर्धारण के तरीकों और जहाज मालिकों के दायित्व को तय करता है। यह साल्वेज अभियानों (नौवहन जल में खतरे में पड़े जहाज की मदद के लिए किया गया कोई भी कार्य) के तरीके भी बताता है। बिल विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन जैसे किसी जहाज को पंजीकृत न करना, प्रदूषण सर्टिफिकेट हासिल न करना या किसी भी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा कनवेंशनों का पालन न करना, के लिए जुर्माने को भी निर्दिष्ट करता है।

 

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