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एकीकृत बागवानी विकास मिशन

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • कृषि और किसान कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.सी. गद्दीगौदर) ने 9 अगस्त, 2023 को 'एकीकृत बागवानी विकास मिशन- एक मूल्यांकन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। बागवानी कृषि की एक शाखा है जो फलों और सब्जियों से संबंधित है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच): एमआईडीएच की पांच उप-योजनाएं हैं जो पहले अलग-अलग योजनाएं थीं। ये इस प्रकार हैं: (i) राष्ट्रीय बागवानी मिशन, (ii) उत्तर पूर्व और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, (iii) राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, (iv) नारियल विकास बोर्ड, और (v) केंद्रीय बागवानी संस्थान। पहली दो उप-योजनाएं केंद्र प्रायोजित योजनाओं के रूप में कार्यान्वित की जाती हैं, जबकि अन्य तीन केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के रूप में कार्यान्वित की जाती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि एमआईडीएच के तहत सभी उप-योजनाओं को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के रूप में लागू किया जाए।

  • कार्यक्रमों को पुनर्गठित करना: एमआईडीएच में उप-योजनाओं के तहत 22 से अधिक कार्यक्रम हैं जैसे बाजार अवसंरचना का निर्माण और मधुमक्खी पालन के माध्यम से परागण (पॉलिनेशन) में मदद। कमिटी ने गौर किया कि उप-योजनाओं के तहत अनुमत या कार्यान्वित कार्यक्रमों की संख्या के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। इससे मूल्यांकन एवं अनुशंसा में कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि इसके कार्यक्रमों और उप-योजनाओं सहित एकीकृत मिशन की संरचना पर दोबारा गौर किया जाए और भ्रम से बचने के लिए न्यूनतम संख्या में कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाए।

  • राष्ट्रीय बागवानी नीति: चीन के बाद भारत फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। कमिटी ने कहा कि आलू जैसे खाद्य विकल्पों के साथ बागवानी खाद्य सुरक्षा बढ़ा सकती है। हालांकि यह गौर किया गया कि बागवानी के लिए कोई स्वतंत्र राष्ट्रीय नीति नहीं है। उसने सुझाव दिया कि बागवानी के समग्र प्रचार और विकास के लिए एक राष्ट्रीय नीति विकसित की जाए। उसने यह सुझाव भी दिया कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रमों और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना में तेजी लाई जाए। कमिटी ने यह भी कहा कि लगभग 12,000 हेक्टेयर खेती योग्य बंजर भूमि उपलब्ध है जिसका उपयोग बागवानी के लिए किया जा सकता है। उसने सुझाव दिया कि एमआईडीएच के तहत बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसी भूमि को खेती योग्य बनाया जाए।

  • बागवानी व्यापार: कृषि क्षेत्र में बागवानी का योगदान 33% है। 2021-22 में भारत का बागवानी आयात निर्यात से 890 करोड़ रुपए अधिक था। काजू और कोको जैसे उत्पादों का आयात 2021-22 में आनुपातिक निर्यात से अधिक रहा है। कमिटी ने कहा कि मंत्रालय को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन में सुधार करना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त मिशंस के तहत विशिष्ट क्षेत्रों या जिलों में कृषि उपज निर्यात एजेंसियां स्थापित की जाएं।

  • उत्पादकता: भारत में बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता, प्रमुख बागवानी उत्पादक देशों की तुलना में कम है। उत्पादकता भी विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है, राजस्थान में 2.79 टन प्रति हेक्टेयर और पंजाब में 18.4 टन प्रति हेक्टेयर है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों और रोपण सामग्री का उत्पादन और वितरण आवश्यक है। कमिटी ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री तैयार करने का लक्ष्य अब तक केवल आधा ही हासिल किया जा सका है। उसने सुझाव दिया कि उत्पादकता में सुधार करने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नया योजना घटक पेश किया जा सकता है।

  • मूल्य निर्धारण के नियम: कमिटी ने गौर किया कि फसलों का लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण भी उत्पादन और उत्पादकता हतोत्साहित होती है। उसने सुझाव दिया कि सरकार कृषि और बागवानी उत्पादों की सार्वजनिक खरीद और जल्दी खराब होने वाले बागवानी उत्पादों के लिए मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता की समीक्षा करे। उसने यह सुझाव भी दिया कि राज्य अतिरिक्त उत्पादन और कीमतों में गिरावट की स्थिति में राहत प्रदान करने के लिए मौजूदा बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी ढंग से लागू करें।

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन को केवल 384 जिलों में ही लागू किया जा रहा है, जबकि इसे पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के लिए तैयार किया गया है। यह देखते हुए कि इसके कार्यान्वयन में बहुत अधिक खर्चा नहीं आता, और पर्याप्त लाभ प्राप्त हो सकता है, कमिटी ने इसके तहत आने वाले राज्यों के सभी जिलों में इसके कार्यान्वयन का सुझाव दिया। उसने यह भी कहा कि हालांकि संबंधित मिशन पूर्वोत्तर राज्यों के सभी जिलों में लागू किया गया है, उसका कार्यान्वयन अच्छी तरह से नहीं किया गया है; और इन राज्यों को प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

  • फूलों और औषधीय पौधों का विकास: 2021-22 में भारत ने 771 करोड़ रुपए के पुष्प उत्पादों का निर्यात किया। कमिटी ने कहा कि भारत में औषधीय और सुगंधित पौधों के व्यापार की भी संभावनाएं हैं। उसने सुझाव दिया कि फूलों और औषधीय पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक मिशन तैयार किया जाए।

  • अनुसंधान और विकास: कमिटी ने मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास पहल पर गौर किया और सुझाव दिया कि एक उपयुक्त अनुसंधान संस्थान को राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया जाए। यह एजेंसी एमआईडीएच लाभार्थियों के परियोजना प्रस्तावों की गुणवत्ता की जांच के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगी।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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