स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.पी. चौधरी) ने 3 अगस्त, 2022 को “भारतीय डायस्पोरा का कल्याण: नीतियां/योजनाएं” पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। भारतीय डायस्पोरा उन लोगों को कहा जाता है जिनकी जड़ें भारत में तलाशी जा सकती हैं या जो भारतीय नागरिक विदेशों में रहते हैं। इनमें अनिवासी भारतीय (एनआरआई), भारतीय मूल के व्यक्ति (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन) (पीआईओ), और भारत के प्रवासी नागरिक (ओवरसीज़ सिटिजन्स ऑफ इंडिया) (ओसीआई) शामिल हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
- डायस्पोरा के लिए नीति: विदेशी मामलों का मंत्रालय विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के जरिए डायस्पोरा के साथ संलग्न रहता है। कमिटी ने गौर किया कि देश के विकास में डायस्पोरा का सामाजिक-आर्थिक योगदान होने के बावजूद उनके लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को डायस्पोरा पर एक स्पष्ट नीति दस्तावेज का ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए जोकि उस समुदाय के साथ संलग्नता के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करेगा।
- भारतीय डायस्पोरा पर डेटाबेस: कमिटी ने गौर किया कि विदेशी मामलों के मंत्रालय के पास डायस्पोरा के लिए कोई अपडेटेड डेटा नहीं है, चूंकि भारतीय दूतावास के साथ रजिस्ट्रेशन स्वैच्छिक है। ऐसे डेटाबेस के अभाव में कल्याणकारी योजनाओं को उचित तरीके से लागू नहीं किया जा सकता। कमिटी ने सुझाव दिया कि भारतीय दूतावासों को डायस्पोरा को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे खुद को रजिस्टर करें ताकि मंत्रालय प्रभावी तरीके से कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर सके।
- इमिग्रेशन मैनेजमेंट बिल: कमिटी ने गौर किया कि इमिग्रेशन मैनेजमेंट बिल, 2022 लंबे समय से परामर्श और समीक्षा के अधीन है। बिल इमिग्रेशन फ्रेमवर्क बनाने, मंजूरियों को उदार बनाने और विदेशों में रहने वाले प्रवासियों के कल्याण का प्रयास करता है। कमिटी ने मंत्रालय को इस बिल को जल्द से जल्द पेश करने का सुझाव दिया।
- शिकायत निवारण के लिए कई पोर्टल्स: विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के शिकायत निवारण के लिए कई पोर्टल्स हैं, जैसे ई-माइग्रेट और केंद्रीय सार्वजनिक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीग्राम्स)। कमिटी ने कहा कि कई पोर्टल्स होने के कारण शिकायत के समाधान में विलंब हो सकता है और उसने मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने को कहा कि इससे काम का डिप्लेकशन न हो। अधिकतम मामलों में शिकायत निवारण के लिए स्थानीय स्तर पर जुड़ाव की जरूरत हो सकती है। कमिटी ने कहा कि सीपीग्राम राज्य सरकार या जिला पुलिस के साथ संपर्क करने का सबसे त्वरित तरीका है लेकिन यह विदेशों में लोकप्रिय नहीं है। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय इस पोर्टल का प्रचार करे जिससे शिकायत को प्रभावी तरीके से दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके।
- कामगारों का पुनर्वास: कोविड-19 महामारी के दौरान खाड़ी देशों से लौटने वाले लोगों सहित कई कामगारों ने अपनी नौकरियां गंवाईं। जैसे ही महामारी का असर कम हुआ, कुछ कामगार विदेशों में अपने रोजगार वाली जगहों पर लौट गए। कमिटी ने कहा कि जिन लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई हैं या जो अपने रोजगार वाली जगह पर लौट नहीं पाए हैं, उनकी आजीविका को सुनिश्चित करने के लिए एक पुनर्वास योजना बनाई जाए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि संबंधित मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और हितधारकों के साथ मिलकर मंत्रालय एक व्यापक पुनर्वास योजना का ड्राफ्ट तैयार करे।
- संभावित प्रवासी श्रमिकों की दक्षता: कमिटी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम बाजार पहले आपूर्ति आधारित व्यवस्था थी लेकिन अब यह अधिक मांग आधारित बन गई है। जापान, कोरिया और ताइवान जैसे पूर्व एशियाई देशों में उभरते नए श्रम बाजारों के साथ, संभावित प्रवासी श्रमिकों की दक्षता एक चुनौती है। कमिटी ने कहा कि खास तौर से कोविड बाद के दौर में ऐसी दक्षता प्रदान करना, जोकि गंतव्य देश की जरूरत के साथ मेल खाए, एक महत्वपूर्ण चुनौती है। उसने सुझाव दिया कि घरेलू दक्षता की क्वालिटी में सुधार किया जाए और देश में पाठ्यक्रम को मानकीकृत किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो कि प्रवासी श्रमिक विदेश जा सकें और बेहतर वेतन वाले रोजगार हासिल कर सकें।
- यूक्रेन और चीन में स्टूडेंट्स: यूक्रेन और चीन में पढ़ रहे कई भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स कोविड-19 के प्रकोप के कारण शारीरिक रूप से अपने पाठ्यक्रम को फिर से शुरू नहीं कर पाए या भारत में अपनी इंटर्नशिप पूरी नहीं कर पाए। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय निजी मेडिकल संस्थान वन-टाइम छूट देकर यूक्रेन से लौटने वाले स्टूडेंट्स का नामांकन करें। चीन में मेडिकल कॉलेजों में नामांकित भारतीय स्टूडेंट्स के संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि उन्हें अपनी बाकी की इंटर्नशिप को भारत में पूरा करने की अनुमति दी जाए।
- एनआरआई शादियां: कमिटी ने गौर किया कि एनआरआई शादियों में महिलाओं को छोड़ दिए जाने के मामले बढ़ रहे हैं। कमिटी द्वारा अप्रवासी भारतीय विवाह पंजीकरण बिल, 2019 की समीक्षा की गई थी और कमिटी ने मार्च 2020 में इसे सौंप दिया था। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय अपने परामर्श को पूरा करे और एनआरआई महिलाओं के लाभ के लिए कानून को लागू करे।
- वन-स्टॉप सेंटर्स: कमिटी ने गौर किया कि मंत्रालय ने संकटग्रस्त एनआरआई महिलाओं की मदद के लिए ओवरसीज़ सेंटर्स बनाने का फैसला किया था। उसने सुझाव दिया कि इस योजना को देरी किए बिना शुरू किया जाए।
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