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मवेशियों में लंपी त्वचा रोग

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • कृषि, पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने 19 दिसंबर, 2023 को 'देश में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग का प्रसार और उससे संबंधित मुद्दे' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। लंपी त्वचा रोग मवेशियों में होने वाली एक संक्रामक वायरल बीमारी है। यह मच्छरों, टिक्स या छूने से फैलती है। इसकी मृत्यु दर 1-5% है, और पशु को रोग से मुक्त होने मे 2-3 सप्ताह का समय लगता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • नियंत्रण और रोकथाम: 2021-22 में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग का प्रकोप हुआ, जिससे दूध उत्पादन और कृषि आय को नुकसान पहुंचा। सरकार ने बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने और उसकी रोकथाम के लिए कई कदम उठाए जैसे वैक्सीनेशन, जागरूकता पैदा करना, संक्रमित जानवरों को अलग करना और उपचार। कमिटी ने कहा कि जब सितंबर 2019 में पहली बार इस बीमारी की जानकारी मिली थी, तब इसे शुरुआती चरण में ही रोका और नियंत्रित किया जाना चाहिए था। कमिटी ने सुझाव दिया कि बीमारी की निगरानी, उपचार, डायग्नॉस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर और पशु चिकित्सा सेवाओं में सुधार किया जाना चाहिए।

  • वैक्सीनेशन: बीमारी को फैलने से रोकने के लिए मवेशियों का वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पशुओं की पात्रता के लिए वैक्सीनेशन संबंधी दिशानिर्देश, एडवाइजरी और प्रोटोकॉल तथा सुरक्षित वैक्सीनेशन संबंधी उपाय जारी किए थे। वर्तमान में स्वस्थ मवेशियों को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा रही है जिसके कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं हैं। स्वदेशी वैक्सीन लंपी-प्रो-वैकइंड (Lumpi-ProVacInd) के निर्माण के लिए तीन निर्माताओं को आईसीएआर से वैक्सीन तकनीक मिली है। वैक्सीन का परीक्षण किया जा चुका है और अंतिम रेगुलेटरी मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग को व्यावसायिक उत्पादन के लिए सक्रिय रूप से रेगुलेटरी मंजूरी प्राप्त करने और पात्र मवेशियों का वैक्सीनेशन करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

  • पशु चिकित्सा की अवसंरचना और कर्मचारी: पशुओं में बीमारी की मौजूदगी की स्क्रीनिंग के लिए इस समय 33 लैब हैं। विभाग के अनुसार, ये राज्यों की डायग्नॉस्टिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। कमिटी ने पाया कि प्रभावित क्षेत्रों में पशु चिकित्सा या अर्ध-पशु चिकित्सा कर्मचारी अनुपलब्ध या अनुपस्थित थे। इससे बड़े पैमाने पर संक्रमित मवेशियों की मौत हुई। विभाग ने कहा कि पशुपालन राज्य का विषय है और राज्यों ने प्रशिक्षित कर्मचारियों की किसी कमी की सूचना नहीं दी है। विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई एडवाइजरी और दिशानिर्देश भी जारी किए कि पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग विशेष रूप से दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करे। उसने यह सुझाव भी दिया कि विभाग अस्पतालों और प्रयोगशालाओं जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करे।

  • परंपरागत चिकित्सा का इस्तेमाल: कमिटी ने कहा कि लंपी त्वचा रोग के इलाज में पारंपरिक दवाएं प्रभावी थीं। हालांकि विभाग ने कहा कि हर्बल उपाय और होम्योपैथी के मिश्रण सिर्फ प्रभावित जानवरों को ठीक होने में मदद करते हैं, लेकिन इनसे ठीक होने की कोई गारंटी नहीं होती। इसीलिए उपचार के लिए निश्चित दिशानिर्देश का सुझाव नहीं दिया जा सकता। विभाग ने पशु चिकित्सा विज्ञान में आयुर्वेद को शामिल करने के लिए आयुष मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग पारंपरिक चिकित्सा और उपचार के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए।

  • शवों और संक्रमित वस्तुओं का सुरक्षित निपटान: लंपी त्वचा रोग की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश निर्दिष्ट करते हैं कि जमीन में गहराई तक गाड़ कर, शवों का निपटान किया जाना चाहिए। विभाग ने शवों के उचित विसंक्रमण और निपटान को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को एडवाइजरी भेजी है। हालांकि कमिटी ने शवों को लापरवाही से फेंकने के कई मामलों पर गौर किया। इससे जानवरों के साथ-साथ इंसानों के लिए भी स्वास्थ्य की गंभीर संबंधी चिंताएं पैदा हो गई हैं। उसने सुझाव दिया कि विभाग जैव-सुरक्षा उपायों का पालन सुनिश्चित करे और मृत जानवरों के निपटान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक नीति तैयार करे।

  • मवेशियों के मालिकों को हर्जाना: कमिटी ने पाया कि कई मवेशी मालिकों ने अपने मवेशियों को बीमारी के कारण खो दिया और उन्हें गंभीर आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। उसने कहा कि विभाग के पास बीमारी फैलने के कारण मवेशियों के नुकसान का हर्जाना देने की कोई योजना नहीं है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य हर्जाना दे रहे हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग इस तरह का हर्जाना देने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय करे।

  • डेटा की सटीकता: विभाग ने बताया कि 32.7 लाख संक्रमित मवेशियों में से 30.3 लाख ठीक हो गए हैं, जो 93% रिकवरी दर का संकेत देता है। कमेटी ने मवेशियों की मौत से जुड़े आंकड़ों पर संदेह जताया है। इसमें जमीनी हकीकत की तुलना में रिपोर्ट किए गए आंकड़ों में विसंगति देखी गई। विभाग ने कहा कि यह डेटा राज्यों द्वारा प्रदान किया गया है, और उसने राज्यों के दौरे के दौरान ऐसी कोई विसंगति नहीं देखी है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग अंडररिपोर्टिंग को रोकने के लिए डेटा का उचित संकलन सुनिश्चित करे।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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