स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 8 फरवरी, 2024 को 'राष्ट्रीय राजमार्गों का संचालन और रखरखाव तथा टोल प्लाजा का प्रबंधन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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निर्माण में देरी और रखरखाव के लिए अपर्याप्त धनराशि: 2014 और 2023 के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 54,858 किमी की वृद्धि हुई। कमिटी ने कहा कि सैकड़ों राजमार्गों का काम तय समय से पीछे चल रहा है, और निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाने का सुझाव दिया। 2023-24 में मंत्रालय को राजमार्गों के रखरखाव के लिए 2,600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जो मंत्रालय के कुल बजट का 1% था। कमिटी ने कहा कि राजमार्गों की विशाल लंबाई को देखते हुए यह राशि बहुत कम है। उसने कहा कि नीति आयोग समेत कई समितियों ने सुझाव दिया है कि नए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की तुलना में मौजूदा सड़कों के रखरखाव को प्राथमिकता दी जाए।
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मुद्रीकरण की धीमी गति: मंत्रालय ने टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) (30,000 करोड़ रुपए) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (15,000 करोड़ रुपए) (इनविट) मॉडल के तहत 45,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। कमिटी ने कहा कि पिछले दो वर्षों में केवल 15% लक्ष्य ही पूरे किए गए हैं। उसने सुझाव दिया कि एनएचएआई के बढ़ते कर्ज से निपटने के लिए मुद्रीकरण की रफ्तार बढ़ाई जानी चाहिए। वर्तमान मॉडल में यातायात और टोल कलेक्शन का जोखिम निजी कन्सेशनेर को दे दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप उनकी रुचि कम हो गई है। कमिटी ने कहा कि हाइब्रिड संरचनाएं जहां यातायात जोखिम अधिकारियों द्वारा साझा किया जाता है और कन्सेशनेर्स को न्यूनतम भुगतान का आश्वासन दिया जाता है, कुछ मौजूदा चुनौतियों को कम कर सकता है।
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नीलामी की चुनौतियां: कमिटी ने कहा कि नीलामी की नियत तारीखों में अनिश्चितता है। इसका परियोजनाओं के विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। एनएचएआई द्वारा आमंत्रित 50,000 करोड़ रुपए के टेंडर 9-14 महीने से लंबित हैं। कमिटी ने कहा कि बोली की तारीख में स्थगन के कारण कन्सेशनेर्स को बार-बार काफी कीमत चुकानी पड़ती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एनएचएआई को बोलियों और उनके बाद टेंडर देने के लिए निश्चित समय सीमा तय करनी चाहिए। देरी से बचने के लिए, बोली के समय कम से कम 95% निरंतर भूमि का अधिग्रहण और कब्ज़ा अनिवार्य किया जाना चाहिए।
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फास्टैग (FASTag) के कारण राजस्व में बढ़ोतरी: कमिटी ने कहा कि फास्टैग को लागू करने के बाद से राजस्व में वृद्धि हुई है। यात्रा में लगने वाले समय के कम होने के कारण ऐसा हुआ जिसकी वजह से लोग ज्यादा यात्रा करते हैं, और डिजिटलीकरण के चलते लीकेज में भी कमी आई है। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन का एक हिस्सा इश्यूअर और एक्वायरर बैंक, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आईएचएमसीएल) को भुगतान किया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि टोल प्लाजा से एकत्र राजस्व को संबंधित राज्यों के साथ भी साझा किया जाना चाहिए।
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टोल प्लाजा पर भीड़भाड़: टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ एक आम समस्या है जिसके कारण देरी होती है। कमिटी ने कहा कि वाहन नंबर प्लेट हॉलमार्क वाली होती हैं और इन्हें हाई रेजोल्यूशन कैमरों से पहचाना जा सकता है। इससे वाहन से जुड़े बैंक खाते से टोल की अपने आप कटौती हो सकेगी। कमिटी ने अधिक भीड़भाड़ भरे टोल प्लाजा में स्वचालित नंबर प्लेट (एएनपीआर) कैमरे लगाने का सुझाव दिया। तब तक, जो वाहन भुगतान करने में असमर्थ है, उसे पास करने की अनुमति दी जानी चाहिए। बाद में देय टोल टैक्स का भुगतान करने के लिए एक टेक्स्ट मैसेज भेजा जाना चाहिए। भुगतान न करने की स्थिति में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। कमिटी ने पंजीकृत या अक्सर यात्रा करने वालों के लिए एक्सप्रेस टोल लेन शुरू करने का भी सुझाव दिया, जो तेज पहुंच के लिए पूर्व-पंजीकरण कर सकते हैं।
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टोल कलेक्शन पर धोखाधड़ी: कमिटी ने कहा कि गुजरात में निजी जमीन पर एक फर्जी टोल प्लाजा बनाया गया था जो लगभग एक साल तक चालू रहा। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय टोल कलेक्शन का काम का नियमित और स्वतंत्र रूप से ऑडिट करे ताकि पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित हो। उसने उन टोल प्लाजा ऑपरेटर्स के लिए कड़े दंड का भी सुझाव दिया गया है जो जानबूझकर या बार-बार ज्यादा टोल वसूलते हैं। फर्जी टोल प्लाजा के निर्माण को रोकने के लिए, मंत्रालय को ऐसे प्लाजा की पहचान करने और सख्त कार्रवाई करने के लिए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण करना चाहिए।
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अतिक्रमण: कमिटी ने राजमार्गों पर राइट ऑफ वे के अतिक्रमण, गड्ढों और कचरे की डंपिंग जैसे मामलों पर गौर किया। राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण अतिक्रमण है। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय अतिक्रमणों के डॉक्यूमेंटेशन के लिए सेटेलाइट इमेजरी और जीआईएस मैपिंग का उपयोग करके राजमार्गों का सर्वेक्षण और मानचित्रण करे। उसने अतिक्रमण उल्लंघनों के लिए सख्त दंड लगाने और त्वरित समाधान के लिए कानूनी प्रक्रिया को कारगर बनाने का भी सुझाव दिया। उसने सुझाव दिया कि सकारात्मक प्रवर्तन तंत्र को शुरू किया जाए जैसे कर प्रोत्साहन या ऐसे व्यक्तियों को मान्यता देना, जो नियमों का अनुपालन करते हैं और राइट ऑफ को साफ रखते हैं।
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