स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 24 जुलाई, 2023 को 'ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों का विकास और डिफेंस हवाईअड्डों में सिविल इन्क्लेव्स से संबंधित मुद्दों' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे खाली/अविकसित भूमि पर विकसित किए जाते हैं और उनकी कमीशनिंग/योजना शून्य से की जाती है। ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के पास हवाईअड्डे के विकास के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे रनवे और टर्मिनल भवन मौजूद होते हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिए व्यापक नीति: कमिटी ने कहा कि ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों का पुनरुद्धार, विस्तार और आधुनिकीकरण करना जरूरी है। लेकिन उन्हें क्षेत्र विस्तार, डिज़ाइन की सीमाओं और निष्पादन जोखिमों के लिहाज से बाधाओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिए कोई विशिष्ट नीति नहीं है, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (एनसीएपी), 2016 और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) एक्ट, 1994 में ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के विकास के लिए निर्देशक सिद्धांत मौजूद हैं। कमिटी ने कहा कि एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड में से कौन से हवाईअड्डे विकसित किए जाएं।
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समन्वय से संबंधित चुनौतियां और परियोजनाओं में देरी: कमिटी ने कहा कि मंत्रालय को हवाईअड्डे बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें भूमि अधिग्रहण और आवंटन में देरी और जहां केंद्र सरकार पहले ही साइट मंजूरी दे चुकी है, वहां सैद्धांतिक मंजूरी जमा करने में देरी शामिल है। उदाहरण के लिए 13 ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों को सैद्धांतिक मंजूरी मिली, लेकिन चार को 10 वर्षों और एक को 20 वर्षों के बाद चालू किया गया। पुनर्वास और पुनर्स्थापन की समस्याओं के कारण भी देरी होती है, जिसके परिणामस्वरूप अनेक मुकदमेबाजियां होती हैं।
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कमिटी ने हितधारकों के बीच समन्वय की व्यवस्था और भूमि अधिग्रहण की प्रगति पर नज़र रखने के लिए एक तंत्र का सुझाव दिया। कमिटी में इस बात पर सहमति बनी कि कानूनी विवादों के कारण ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में काफी देरी होती है, और इस बात पर जोर दिया कि ऐसे विवादों को बढ़ने से रोकने के लिए हितधारकों की शिकायतों का समाधान किया जाना चाहिए। साथ ही, जहां भी संभव हो, लक्ष्य हासिल करने की समय-सीमा तय की जानी चाहिए।
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सिविल इन्क्लेव्स: सिविल इन्क्लेव्स उन हवाईअड्डों को कहा जाता है जिन्हें सैन्य और नागरिक, दोनों उड्डयनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस समय 31 सिविल इन्क्लेव्स हैं जिनमें से 28 का रखरखाव एएआई द्वारा किया जाता है। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करती है जैसे कि रनवे का विस्तार और एएआई इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के लिए आईएएफ के साथ समन्वय करता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि चूंकि सिविल इन्क्लेव हवाईअड्डों का प्रबंधन दो ऑपरेटरों द्वारा किया जाता है, इसलिए देरी से बचने के लिए उनके बीच पूरा समन्वय होना चाहिए। यह देखते हुए कि काम पूरा होने की संभावित तारीखों का पालन नहीं किया जाता, कमिटी ने सुझाव दिया कि इनकी जांच की जाए और भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर इसका समाधान किया जाए।
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कमिटी ने कहा कि हालांकि ऐसे इन्क्लेव्स रक्षा की जरूरतों के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कमर्शियल विमानों की आवश्यकताओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि एक पूर्ण हवाईअड्डा विकसित करने की व्यावहारिकता पर विचार किया जा सकता है। कमिटी ने यह भी कहा कि लड़ाकू और नागरिक, दोनों प्रकार के विमानों को संभालने के कारण इन हवाईअड्डों के यातायात नियंत्रकों पर काम का अत्यधिक बोझ होता है। उसने सुझाव दिया कि लीज़ रेंटल के लिए अनुमतियों को डीलिंक करने, कमर्शियल उड़ानों के लिए वॉच आवर्स को बढ़ाने और मौजूदा हवाईअड्डों के विस्तार जैसे मुद्दों को नागरिक उड्डयन मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से हल किया जाना चाहिए।
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हवाईअड्डा सुरक्षा: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) भारत में 66 हवाईअड्डों को सुरक्षा प्रदान करता है। इस क्षेत्र की वृद्धि और बढ़ती सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय गृह मंत्रालय के परामर्श से हवाईअड्डों के लिए विशेष सुरक्षा की व्यावहारिकता की समीक्षा करे। कमिटी ने कहा कि 30 नवंबर, 2022 तक एएआई और संयुक्त उद्यमों पर सीआईएसएफ तैनाती से संबंधित 4,708 करोड़ रुपये का बकाया था। कमिटी ने एएआई और संयुक्त उद्यमों से इस बकाये का तुरंत भुगतान करने का अनुरोध किया।
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भविष्य की वृद्धि पर ध्यान देना: कमिटी ने कहा कि हवाई कनेक्टिविटी में सुधार के लिए हवाईअड्डों की उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए। उसने कहा कि व्यापार, पर्यटन में सुधार और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए द्वितीय श्रेणी के शहरों में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों के निर्माण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। कमिटी ने यह भी कहा कि दुबई, दोहा, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में कई अंतरराष्ट्रीय पारगमन केंद्र उभरे हैं। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए ऐसे वैश्विक पारगमन केंद्र विकसित करे।
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