स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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श्रम, कपड़ा एवं कौशल विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 7 फरवरी, 2024 को 'जूट उद्योग का विकास और संवर्धन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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जूट मिलों की संख्या: जूट मिलों की संख्या 108 है जिनमें से 99 मिलें निजी स्वामित्व वाली हैं। पिछले तीन वर्षों में पांच जूट मिलें बंद हो गईं जबकि पांच नई मिलें स्थापित की गईं। इसके अलावा, जूट मिलों को प्रबंधन, श्रम और उनके वित्त में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार बंद मिलों को पुनर्जीवित करने या नई सरकारी मिलें स्थापित करने के लिए एक व्यापक नीति पर काम करे। उसने यह सुझाव भी दिया कि कपड़ा मंत्रालय कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए एक उपयुक्त योजना तैयार करे।
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जूट के कृषि क्षेत्र में गिरावट: 2021-22 में जूट की खेती का कुल क्षेत्रफल 6.7 लाख हेक्टेयर था जो 2013-14 (8.4 लाख हेक्टेयर) की तुलना में 20% कम है। कमिटी ने पाया कि रियल एस्टेट जैसे वैकल्पिक उच्च लाभकारी विकल्पों के कारण यह गिरावट हुई है। मंत्रालय ने कहा कि कृषि क्षेत्र बढ़ाने के लिए जूट आईसीएआरई योजना में चार नए राज्यों को शामिल किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय अपने उपायों को मजबूत करे और खेती के क्षेत्र में इजाफा करने के लिए नए कदम उठाए।
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आईसीएआरई योजना की प्रगति: राष्ट्रीय जूट बोर्ड जूट की खेती की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के लिए 2015-16 से जूट आईसीएआरई योजना को लागू कर रहा है। बोर्ड ने 2021-22 और 2025-26 के बीच 290 जूट उत्पादक ब्लॉकों, 2.7 लाख हेक्टेयर भूमि और 5.8 लाख किसानों को कवर करने का लक्ष्य रखा है। कमिटी ने कहा कि भूमि और किसानों से संबंधित प्रगति धीमी है। अगले दो वर्षों में लगभग 50% भूमि और 45% किसानों को कवर करने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने कमिटी को आश्वासन दिया कि लक्ष्य 2025-26 तक पूरा कर लिया जाएगा।
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जूट मिलों का आधुनिकीकरण: सरकार मौजूदा जूट मिलों के आधुनिकीकरण और उन्नयन के लिए मशीनरी लागत का 30% प्रोत्साहन प्रदान करती है। योजना के पहले दो वर्षों (2021-22 और 2022-23) में 100 करोड़ रुपए के संचयी लक्ष्य के मुकाबले 2.4 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय जूट मिलों के आधुनिकीकरण में बड़े निवेश को सुनिश्चित करने के लिए नए उपायों की पहचान करे।
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कौशल: पंजीकृत किसानों का कौशल विकास आईसीएआरई योजना का एक महत्वपूर्ण घटक है। योजना के 9वें चरण तक केवल 10% जूट किसानों का पंजीकरण हुआ है। जूट विविधीकरण कार्यक्रम के तहत, नए कारीगरों, ग्रामीण युवाओं और महिला स्वयं सहायता समूहों को निरंतर रोजगार सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन विकास में प्रशिक्षित किया जाता है। कमिटी ने कहा कि मौजूदा प्रगति पांच साल यानी 2025-26 तक के लिए निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे है। अब तक, 41 प्रशिक्षण केंद्र (पांच-वर्षीय लक्ष्य का 27%) स्थापित किए गए हैं और लक्षित लाभार्थियों में से केवल 7% को प्रशिक्षित किया गया है।
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प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई): जूट पीएलआई योजना के तहत, जूट विविध उत्पाद निर्माण इकाइयों को निर्यात मूल्य का 3% या कच्चे माल की लागत का 5%, जो भी कम हो, प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। यह योजना 2021-22 और 2025-26 के दौरान लागू की जाएगी। कमिटी ने कहा कि 2021-22 से 2023-24 (अक्टूबर 2023 तक) तक केवल 19% लाभार्थियों को लक्षित किया गया है। 2025-26 तक की शेष अवधि में शेष लाभार्थियों को कवर करने की आवश्यकता है। उसने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन होगा, और सुझाव दिया कि मंत्रालय इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए शीघ्र कदम उठाए।
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रेटिंग वर्क्स: आईसीएआरई योजना के तहत रेटिंग (फाइबर निकालना) में निर्माण और रखरखाव कार्य शामिल हैं। किसानों से प्राप्त 6,771 प्रस्तावों के मुकाबले अब तक केवल 194 रेटिंग टैंक का निर्माण किया गया है। कमिटी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि योजना के रखरखाव पहलू के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं है, और सुझाव दिया कि सभी संबंधित अधिकारी अधिक लाभार्थियों को कवर करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करें।
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