स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
भारत और खाड़ी सहयोग परिषद
-
विदेश मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.पी. चौधरी) ने 12 दिसंबर, 2023 को 'भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी)- सहयोग की रूपरेखा' पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। जीसीसी संगठन में छह देश (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कुवैत, कतर और बहरीन) शामिल हैं। संगठन अपने सदस्यों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय और एकीकरण का प्रयास करता है। कमिटी के मुख्य सुझावों और निष्कर्षों में निम्नलिखित शामिल हैं:
-
कूटनीतिक साझेदारी: कमिटी ने कहा कि जीसीसी भारत के लिए एक प्रमुख व्यापार और निवेश भागीदार है। जबकि भारत के सभी देशों के साथ घनिष्ठ आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं, कमिटी ने कहा कि कूटनीतिक साझेदारी केवल सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के साथ है। उसने सुझाव दिया कि बाकी के देशों के साथ कूटनीतिक साझेदारी बढ़ाई जाए, साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए अपनी दावेदारी पर उनका समर्थन हासिल किया जाए।
-
ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना: कमिटी ने कहा कि जीसीसी भारत के तेल आयात में 35% और गैस आयात में 70% योगदान देता है। भारत अपने रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) के दूसरे चरण का क्रियान्वयन कर रहा है। कई जीसीसी देशों ने इसमें अपनी दिलचस्पी दिखाई है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को जीसीसी देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए ताकि एसपीआर के दूसरे चरण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए सरकार को और अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर करने चाहिए और इन देशों के साथ सहयोग करना चाहिए।
-
अक्षय ऊर्जा: जीसीसी देश भारत में प्राकृतिक गैस, हरित हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश करना चाहते हैं। भारतीय के पीएसयूज़ (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) ने जीसीसी देशों में हरित ऊर्जा/प्रौद्योगिकियों में भी निवेश किया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि भारत के पीएसयूज़ को जीसीसी देशों में इन क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। उसने यह भी कहा कि कुवैत और कतर को अभी भी अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल होना बाकी है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन दोनों देशों को जल्द ही आईएसए में शामिल होने के लिए मनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
-
भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए जीसीसी देशों के साथ काम कर रहा है जिसके जरिए स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार किया जा सके। कमिटी ने सरकार को सुझाव दिया कि भारत की यूपीआई कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाए और उसे अंतिम रूप दे तथा जीसीसी देशों के पेमेंट प्लेटफॉर्म्स के साथ उसका एकीकरण करे।
-
रक्षा और सुरक्षा में सहयोग: कमिटी ने रक्षा और सुरक्षा के मामलों में जीसीसी देशों के साथ बढ़ते सहयोग पर गौर किया। तेल और गैस के समुद्री व्यापार में खाड़ी क्षेत्र की भूमिका को देखते हुए, समुद्री सुरक्षा पर भारत-जीसीसी सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) नियमित सुरक्षा संवाद आयोजित करना, (ii) साइबर सुरक्षा सहयोग के संबंध में समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर चर्चा करवाना, (iii) समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए जीसीसी देशों को समर्थन देना, और (iv) खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा संरचना तैयार करना।
-
व्यापार और निवेश: कमिटी ने कहा कि भारत के कुल व्यापार में जीसीसी देशों का लगभग छठा हिस्सा है। हालांकि जीसीसी से व्यापार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब का प्रभुत्व है। भारत का जीसीसी में व्यापार घाटा भी काफी है जिसका कारण यह है कि वह तेल और गैस आयात के लिए जीसीसी देशों पर निर्भर है। दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार वार्ता में भी देरी हुई है। इस संबंध में कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) इन देशों में भारतीय मिशनों से अनुरोध करना कि शुल्क से इतर की बाधाओं को दूर करने के प्रयास करें, और (ii) भारत-जीसीसी मुक्त व्यापार समझौते के लिए जीसीसी के साथ निकट सहयोग बरकरार रखें।
-
कमिटी ने कहा कि जीसीसी को भारतीय निर्यात में खाद्य और खाद्य संबंधी उत्पादों का बड़ा हिस्सा है। उसने विदेश मामलों के मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह भारत में एकीकृत फूड पार्क बनाने के लिए उचित भूमि के आवंटन हेतु अन्य विभागों के साथ समन्वय करे।
-
भारतीय डायस्पोरा का कल्याण: खाड़ी क्षेत्र में भारतीय प्रवासी देश में इनवार्ड रेमिटेंस का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। कमिटी ने प्रवासी भारतीयों के कल्याण के लिए कुछ सुझाव दिए जैसे: (i) विदेशी रोजगार को बढ़ावा देने के लिए संसद में नया इमिग्रेशन बिल पेश करना, (ii) प्रवासी श्रमिकों को उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए सहायता प्रदान करना, (iii) इच्छुक प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए जीसीसी देशों में श्रम बाजार अध्ययन पूरा करना, (iv) बेहतर और अधिक पारदर्शी कामकाजी परिस्थितियों को सुनिश्चित करना और (v) आपात स्थिति के दौरान भारतीय समुदाय कल्याण कोष से समय पर सहायता वितरित करना।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।