स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सुशील कुमार मोदी) ने 3 अगस्त, 2023 को 'भारत सरकार के भर्ती संगठनों के कामकाज की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी ने विभिन्न भर्ती संगठनों की मौजूदा कार्य प्रक्रिया की समीक्षा की जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), (ii) कर्मचारी चयन समिति (एसएससी), (iii) राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए), (iv) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफज़) और (v) बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस)। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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भर्ती परीक्षा की समय सीमा: कमिटी ने कहा कि यूपीएससी द्वारा आयोजित प्रत्येक भर्ती परीक्षा को पूरा होने में छह महीने से एक वर्ष तक का समय लगता है। उसने कहा कि पूरी प्रक्रिया छह महीने से अधिक की नहीं होनी चाहिए। कमिटी ने यह जानकारी मांगी कि क्या यूपीएससी ने परीक्षा चक्र की अवधि कम करने के लिए किसी बदलाव पर विचार किया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एसएससी को परीक्षा चक्र की समय सीमा को कम करने के लिए, जहां भी संभव हो, कंप्यूटर आधारित परीक्षा करानी चाहिए।
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एनआरए का कामकाज: कमिटी ने कहा कि एनआरए, जिसे 'ग्रुप बी' और 'ग्रुप सी' कर्मचारियों के लिए परीक्षा आयोजित करने का काम सौंपा गया है, ने अभी तक काम करना चालू नहीं किया है। कमिटी ने भर्ती प्रस्ताव तैयार करने के संबंध में एनआरए को एसएससी और रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) से परामर्श करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि एनआरए स्नातक (ग्रैजुएट) स्तर की परीक्षाओं से शुरुआत करे, ताकि पात्र उम्मीदवारों की संख्या कम हो पाए।
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भर्ती के पैटर्न: कमिटी ने कहा कि ज्यादातर संगठनों में भर्ती और प्रश्नों के पैटर्न एक जैसे हैं, चाहे नौकरी की प्रकृति कोई भी हो। उसने बैंकिंग के संदर्भ में कहा कि वर्तमान में न तो गति और सटीकता और न ही सेवाओं में सुधार हो रहा है। कमिटी ने बैंकों के काम की प्रकृति को देखते हुए परीक्षा के पैटर्न को समय-समय पर बदलने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया। उसने सुझाव दिया कि बैंकिंग क्षेत्र की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम में सुधार की जरूरत है।
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इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि विभिन्न सेवाओं में शीर्ष प्रशासनिक पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने की भर्ती प्रक्रिया भी एक ही है। इसके परिणामस्वरूप ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हो सकता है जिनकी योग्यता और रुचि उस पद विशेष के लिए उपयुक्त न हो। यह भी कहा गया कि यूपीएससी द्वारा लोक सेवाओं में लगभग 70% भर्तियां तकनीकी स्ट्रीम से होती हैं। कई टेक्नोक्रेट, जो अन्य क्षेत्रों में काम करने की संभावना रखते हैं, लोक सेवाओं की ओर आकर्षित होते हैं। इसलिए कमिटी ने कहा कि लोक सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया से कार्य के अन्य क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
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अग्निवीर योजना: कमिटी ने अग्निवीर योजना के तहत भर्ती को रेगुलेट करने के लिए एक कानून लाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया। वर्तमान में चार वर्ष की सेवा के बाद 75% सैनिक सेवामुक्त हो जाते हैं, जिससे अग्निवीरों में असंतोष हो सकता है। इससे बचने के लिए कमिटी ने उन्हें पुलिस बल जैसी अन्य सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षित करने/वरीयता देने का सुझाव दिया।
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सीएपीएफज़ में महिला और ट्रांसजेंडर अधिकारी: कमिटी ने कहा कि दुर्गम इलाके और कठोर कामकाजी परिस्थितियां महिलाओं को सीएपीएफ में शामिल होने से रोकती हैं। गृह मंत्रालय को महिलाओं को सीएपीएफ में भर्ती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। उसने सुझाव दिया कि महिला अधिकारियों को सॉफ्ट पोस्टिंग देने की नीति बनाई जाए जोकि युद्ध या पुरुष अधिकारियों की कमी जैसी परिस्थितियों के अधीन हो। उसने सीएपीएफ में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने का सुझाव दिया।
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आईबीपीएस के लिए परीक्षा केंद्रों को बढ़ाना: कमिटी ने कहा कि आईबीपीएस द्वारा आयोजित परीक्षाओं में एक बार में एक लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल नहीं हो सकते। उसने कहा कि आईबीपीएस को केंद्रों की संख्या बढ़ानी चाहिए और परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। उसने आरआरबी और आईबीपीएस को अधिक संख्या में आवेदन वाले क्षेत्रों का आकलन करने की सलाह दी। साथ ही इस बात की हिमायत की कि आईबीपीएस को आवेदक के परीक्षा केंद्र तक पहुंचने का लागत मूल्यांकन करना चाहिए और और शुल्क का भुगतान करना चाहिए।
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एसएससी में कर्मचारियों की रिक्तियां: कमिटी ने कहा कि एसएससी में कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 541 है, लेकिन वहां 329 कर्मचारी हैं, यानी 39% कर्मचारियों की कमी है। उसने कहा कहा कि एसएससी को अपने कार्यों को समयबद्ध तरीके से अत्यंत दक्षता के साथ पूरा करने के लिए पूरे स्टाफ की जरूरत है। उसने सुझाव दिया कि एसएससी को जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरना चाहिए।
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