स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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श्रम, कपड़ा और कौशल विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 20 दिसंबर, 2023 को 'राष्ट्रीय बाल श्रम नीति- एक आकलन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमिटी ने कई सुझाव दिए हैं जोकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बाल श्रम को समाप्त करने से संबंधित हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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बाल श्रम की व्यापकता:2011 की जनगणना के अनुसार, जो नवीनतम उपलब्ध आंकड़े हैं, 5-15 वर्ष के आयु वर्ग में लगभग एक करोड़ श्रमशील बच्चे हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभिन्न मंत्रालय बाल श्रमिकों की संख्या का अनुमान लगाने हेतु समय-समय पर समन्वित रूप से सर्वेक्षण करें। बच्चे आम तौर पर गैराज, ईंट भट्ठों और निर्माण स्थलों जैसे असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। कुछ इस्टैबलिशमेंट्स मैन्युअल काम को ठेकेदारों को आउटसोर्स करते हैं। अगर ठेकेदार बाल मजदूरों को काम पर रखते हैं, तो मुख्य नियोक्ता को जवाबदेह नहीं ठहराया जाता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में प्रमुख नियोक्ता को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
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बाल श्रम के मामलों को रोकना: कमिटी ने कहा कि सामाजिक न्याय मंत्रालय को बाल श्रम को खत्म करने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उसने कहा कि आर्थिक उत्थान अंततः बच्चों को मजदूरी करने से रोकेगा। कमिटी ने मंत्रालय की मौजूदा योजनाओं को मजबूत करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। इन सुझावों में हाशिए पर रहने वाले बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग देना और नशीले पदार्थों के व्यसन की समस्या वाले बच्चों का पुनर्वास शामिल है।
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कमिटी के अनुसार, आवास मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि मौजूदा कानूनी लाभ निर्माण श्रमिकों तक पहुंचें ताकि उनके बच्चों को काम करने के लिए मजबूर न होना पड़े। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि श्रम एवं गृह मंत्रालय प्लेसमेंट एजेंसियों की कार्यप्रणाली की जांच करे, जो आम तौर पर बच्चों की तस्करी करती हैं ताकि उन्हें घरेलू काम में लगाया जा सके।
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बाल मजदूरों को बचाना: पिछले पांच वर्षों में बाल श्रम में लगे लगभग दो लाख बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। कमिटी ने कहा कि इसकी तुलना में बहुत कम एफआईआर दर्ज की गईं और बहुत कम बच्चों को बाल कल्याण समितियों (किशोर न्याय एक्ट, 2015 के तहत जरूरी) के सामने पेश किया गया। कमिटी ने एफआईआर दर्ज न करने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करने का सुझाव दिया। यौन अपराधों से बाल संरक्षण एक्ट, 2012 में भी ऐसा ही प्रावधान है।
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पुनर्वास में बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा के लिए तैयार करने हेतु विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। 2021 में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के समग्र शिक्षा अभियान में विलय के बाद से नए प्रशिक्षण केंद्र खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) श्रम मंत्रालय और स्कूल शिक्षा और शिक्षण विभाग (डीओएसईएल) इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए समन्वय करें, और (ii) डीओएसईएल प्रशिक्षण केंद्रों की क्षमता बढ़ाएं।
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कमिटी ने यह भी कहा कि: (i) पिछले 14 वर्षों में प्रति बच्चे 6,000 रुपए की वार्षिक वित्तीय सहायता में वृद्धि नहीं हुई है, और (ii) आंगनवाड़ियों/आश्रयों की संख्या अपर्याप्त है। कमिटी ने मंहगाई के मद्देनजर वित्तीय सहायता और आवश्यकताओं के अनुसार आश्रयों और आंगनवाड़ियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया।
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किशोरों की स्कूल छोड़ने की दर को कम करना: स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों का अनुपात प्राथमिक स्तर की तुलना में माध्यमिक/उच्च-माध्यमिक स्तर पर अधिक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि: (i) मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए किशोरों को आरटीई एक्ट, 2009 के तहत कवर किया जाना चाहिए, और (ii) माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को गर्म पका हुआ भोजन प्रदान किया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय को जनजातीय विद्यार्थियों के पढ़ाई बीच में छोड़ने की उच्च दर (ड्रॉपआउट रेट) का हल करने के लिए डीओएसईएल के साथ समन्वय करना चाहिए।
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धनराशि का उपयोग: सर्वोच्च न्यायालय (1996) ने बाल श्रमिकों के लिए एक पुनर्वास कोष बनाने का आदेश दिया था। अभी तक कोष के उपयोग के लिए दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए हैं। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं: (i) दिशानिर्देश तैयार किए जाएं, (ii) ऐसे अन्य कोषों के लिए योगदान की राशि महंगाई के अनुसार बढ़ाई जाए, और (iii) एक जिला कॉर्पस फंड बनाया जाए। जिला कोष तत्काल राहत और पुनर्वास की जरूरतों को पूरा करेगा।
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कुछ मामलों में कड़ी सजा: कमिटी ने कहा कि दंड में बदलावों के बावजूद बच्चे अब भी घरेलू काम, सड़क किनारे भोजनालयों और गैराज में काम पर लगाए जा रहे हैं। उसने सुझाव दिया कि बाल और किशोर श्रम (निषेध और रेगुलेशन) एक्ट, 1986 में लाइसेंस रद्द करने या संपत्ति की कुर्की जैसे सख्त दंड जोड़ने के लिए संशोधन किया जाए।
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