Ministry: 
Road Transport, Highways and Shipping
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 24 जुलाई, 2017 को लोकसभा में केंद्रीय सड़क फंड (संशोधन) बिल, 2017 पेश किया। बिल केंद्रीय सड़क फंड एक्ट, 2000 में संशोधन करता है। एक्ट केंद्रीय सड़क फंड (सीआरएफ) को रेगुलेट करता है जिसमें हाई स्पीड डीजल ऑयल और पेट्रोल से जुटाया जाने वाला सेस जमा होता है। इसके बाद सेस की यह राशि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों (हाईवेज़) के विकास के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को जारी की जाती है। बिल इस सेस का एक हिस्सा राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास के लिए आबंटित करने का प्रयास करता है।
     
  • राष्ट्रीय जलमार्गों को शामिल करना : बिल के अनुसार, राष्ट्रीय जलमार्ग वही ‘राष्ट्रीय जलमार्ग’ हैं जो राष्ट्रीय जलमार्ग एक्ट, 2016 में घोषित किए गए हैं। वर्तमान में 2016 के एक्ट में 11 जलमार्ग विनिर्दिष्ट हैं।
     
  • फंड्स का उपयोग : 2000 के एक्ट के अंतर्गत जिन विभिन्न सड़क प्रॉजेक्ट्स के लिए फंड का उपयोग किया जा सकता है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) राष्ट्रीय राजमार्ग, (ii) राज्यों की सड़कें जिनमें अंतर-राज्यीय और आर्थिक महत्व वाली सड़कें शामिल हैं, और (iii) ग्रामीण सड़कें। बिल कहता है कि इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए भी इस फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
     
  • केंद्र सरकार की शक्तियां : एक्ट के तहत केंद्र सरकार के पास फंड को प्रबंधित करने की शक्ति है। केंद्र सरकार निम्नलिखित के संबंध में निर्णय लेगी : (i) राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे के प्रॉजेक्टों में निवेश, (ii) राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए फंड्स जमा करना, और (iii) राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य सड़कों और ग्रामीण सड़कों के लिए फंड्स का वितरण करना। बिल कहता है कि राष्ट्रीय जलमार्गों के संबंध में भी केंद्र सरकार ऐसे निर्णय लेगी।
     
  • सेस का आबंटन : एक्ट के अंतर्गत हाई स्पीड डीजल ऑयल और पेट्रोल से जुटाए जाने वाले सेस को विभिन्न प्रकार की सड़कों के लिए आबंटित किया जाता है। बिल राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए आबंटित किए जाने वाले सेस को 41.5% से घटाकर 39% करता है। साथ ही, बचे हुए 5% सेस को राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए आबंटित करता है। बिल के वित्तीय ज्ञापन (फाइनांशियल मेमोरेंडम) के अनुसार, इस सेस की वसूली की मौजूदा दर के आधार पर जलमार्गों के लिए प्रति वर्ष 2,000 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध होगी। बाकी का सेस अन्य सड़कों जैसे राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों के विकास के लिए प्रयोग होना जारी रहेगा।

 

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