23 अप्रैल को दिल्ली में कोविड-19 के 2,248 मामले दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र और गुजरात के बाद दिल्ली में सबसे अधिक मामले हैं। 22 मार्च को जब मामलों की संख्या 29 थी, दिल्ली सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए 31 मार्च तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 3 मई के बीच देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कोविड-19 से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने अब तक क्या मुख्य कदम उठाए हैं।
लॉकडाउन से पहले
8 मार्च को राज्य में कोविड-19 के तीन मामले दर्ज होने के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने होली के दौरान भीड़भाड़ वाली जगहों पर जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया। इसके साथ सरकार ने राज्य में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए अनेक कदम उठाए। इन उपायों में से कुछ इस प्रकार हैं।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
वाहनों को डिसइंफेक्ट करना: 11 और 12 मार्च को सरकार ने आदेश दिया कि मिनी बसों, स्कूल बसों और स्कूलों की कैब्स को रोजाना डिसइंफेक्ट किया जाएगा।
दिल्ली महामारी रोग, कोविड-19 रेगुलेशंस, 2020: 12 मार्च को कोविड-19 के छह मामलों के साथ दिल्ली सरकार ने दिल्ली महामारी रोग, कोविड-19 रेगुलेशंस, 2020 को अधिसूचित किया। ये रेगुलेशंस एक साल तक जारी रहेंगे। इनके मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में डेडिकेटेड फ्लू कॉर्नर्स होने चाहिए।
(ii) प्रभावित क्षेत्रों से यात्रा करके आने वाले लोगों के लिए होम क्वारंटाइन, और
(iii) रेगुलेशंस के अंतर्गत अधिकृत कुछ लोग, राज्य टास्क फोर्स की मंजूरी से कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं, जैसे: (i) किसी भौगोलिक क्षेत्र को सील करना, (ii) वाहनों और लोगों के मूवमेंट को प्रतिबंधित करना, और (iii) कोविड-19 के मामलों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निगरानी करना।
मूवमेंट पर प्रतिबंध
शिक्षण संस्थान: 12 मार्च को सरकार ने सभी शिक्षण संस्थानों को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश दिया। विद्यार्थियों को स्टाफ के साथ परीक्षाएं देने की अनुमति दी गई। हालांकि 19 मार्च को सरकार ने 31 मार्च तक परीक्षाओं को स्थगित करने का आदेश दिया।
सार्वजनिक जमावड़ा:
रेस्त्रां और निजी इस्टैबलिशमेंट्स: 19 मार्च को आदेश दिया गया कि सभी रेस्त्रां 31 मार्च तक सिटिंग अरेंजमेंट बंद रखेंगे। निजी इस्टैबलिशमेंट्स को आदेश दिया गया कि वे अपने कर्मचारियों को 31 मार्च तक घर से काम करने को कहें।
दिल्ली-काठमांडो बस सेवा: 20 मार्च को सरकार ने दिल्ली-काठमांडो बस सेवा, जिसे आधिकारिक रूप से मैत्री बस सेवा कहा जाता है, को रद्द कर दिया।
लॉकडाउन के दौरान
22 मार्च को मामलों की संख्या 29 हो गई और दिल्ली सरकार ने 31 मार्च तक राज्य में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। लॉकडाउन में निम्नलिखित शामिल है: (i) सार्वजनिक बस सेवाओं को रद्द करना, (ii) हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं को सील करना, (iii) दिल्ली आने वाली सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करना, और (iv) किसी सार्वजनिक स्थान पर पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध। इसके बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च और 14 अप्रैल के बीच देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया जिसे फिर 3 मई तक बढ़ा दिया गया है।
20 अप्रैल से केंद्र सरकार ने देश के कम प्रभावित जिलों में कुछ गतिविधियों के लिए अनुमति दी है। लेकिन दिल्ली सरकार ने 19 अप्रैल को घोषणा की कि दिल्ली में लॉकडाउन से कोई राहत नहीं दी जाएगी, जब तक कि 27 अप्रैल को दूसरा व्यापक विश्लेषण नहीं किया जाता।
कल्याणकारी उपाय
दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन के दौरान लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए अनेक कल्याणकारी उपायों की घोषणा की। मुख्य उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:
नाइट शेल्टर: दिल्ली शहरी शेल्टर सुधार बोर्ड नाइट शेल्टरों में रहने वाले बेघर लोगों को मुफ्त भोजन दे रहा है। 25 मार्च को हंगर हेल्पलाइन शुरू की गई जोकि जरूरतमंद लोगों को भोजन के लिए नजदीकी नाइट शेल्टर के बारे में बताती है।
हंगर राहत केंद्र: 26 मार्च को सरकार ने जिला मेजिस्ट्रेट्स को निर्देश दिया कि वे हर म्युनिसिपल वॉर्ड में कम से कम दो हंगर राहत केंद्र शुरू करें जोकि हर दिन दो बार (दोपहर और रात को) 500 भोजन प्रदान करें।
वित्तीय सहायता: सरकार ऑटो, टैक्सी और ई-रिक्शा चालकों को 5,000 रुपए की वन-टाइम सहायता प्रदान कर रही है।
परिवार के सदस्यों को मुआवजा: दिल्ली सरकार कोविड-19 के कारण मौत का शिकार होने वाले अपने कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देगी।
स्वास्थ्य संबंधी उपाय
अतिरिक्त मैनपावर: 24 मार्च को सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत अस्पतालों और संस्थानों को आदेश दिया कि वे ऑउटसोर्स्ड सेवाओं जैसे सैनिटेशन, सुरक्षा और नर्सिंग असिस्टेंट्स में 25% तक अतिरिक्त मैनपावर जुटाएं।
मास्क पहनना अनिवार्य: 8 अप्रैल को सरकार ने सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों, जमावड़ों, बैठकों और व्यक्तिगत वाहनों में सभी लोगों के लिए मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया।
पेड क्वारंटाइन फेसिलिटी को चिन्हित करना: 13 अप्रैल को सरकार ने सभी जिला मेजिस्ट्रेट्स को आदेश दिया कि वे अपने जिलों में पेड क्वारंटाइन फेसिलिटीज़ को चिन्हित करें ताकि उन लोगों को यह सुविधा मुहैय्या कराई जा सके जोकि कीमत चुकाकर निजी केंद्रों का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
मल्टी सेक्टोरल डेडिकेटेड टीम का गठन: 13 अप्रैल को सरकार ने प्रत्येक बूथ में कोरोना फुट वारियर एंड कंटेनमेंट टीम के गठन के आदेश दिए। सरकार उनके जरिए जमीनी स्तर का हस्तक्षेप बढ़ाना चाहती है।
हेल्पलाइन का गठन: 17 अप्रैल को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने लोगों की कोविड-19 संबंधी शिकायतें और अनुरोध सुनने के लिए एक डेडिकेटेड 24X7 व्हॉट्सएप नंबर शुरू किया।
मीडिया संबंधी उपाय
सरकार ने कोविड-19 से संबंधित फेक न्यूज को फैलने से रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए:
कोविड-19 के प्रसार पर अधिक जानकारी और महामारी पर केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के लिए कृपया यहां देखें।
The Finance Commission is a constitutional body formed by the President of India to give suggestions on centre-state financial relations. The 15th Finance Commission is required to submit two reports. The first report will consist of recommendations for the financial year 2020-21. The final report with recommendations for the 2021-26 period will be submitted by October 30, 2020. In this post, we explain the key recommendations of the report.
What is the amount of tax devolution to the states, and how is it being calculated?
The Finance Commission uses certain criteria when deciding the devolution to states. For example, income distance criterion has been used by the 14th and 15th Finance Commissions. Under this criterion, states with lower per capita income would be given a higher share to maintain equity among states. Another example is Demographic Performance criterion which has been introduced by the 15th Finance Commission. The Demographic Performance criterion is to reward efforts made by states in controlling their population.
The 15th Finance Commission used the following criteria while determining the share of states: (i) 45% for the income distance, (ii) 15% for the population in 2011, (iii) 15% for the area, (iv) 10% for forest and ecology, (v) 12.5% for demographic performance, and (vi) 2.5% for tax effort. For 2020-21, the Commission has recommended a total devolution of Rs 8,55,176 crore to the states, which is 41% of the divisible pool of taxes. This is 1% lower than the percentage recommended by the 14th Finance Commission.
Table 1 below compares the new criteria with the criteria recommended by the 14th Finance Commission.
Table 1: Criteria for devolution (2020-21)
Criteria |
14th FC 2015-20 |
15th FC 2020-21 |
Income Distance |
50.0 |
45.0 |
Population 1971 |
17.5 |
- |
Population 2011 |
10.0 |
15.0 |
Area |
15.0 |
15.0 |
Forest Cover |
7.5 |
- |
Forest and Ecology |
- |
10.0 |
Demographic Performance |
- |
12.5 |
Tax Effort |
- |
2.5 |
Total |
100 |
100 |
Sources: Report for the year 2020-21, 15th Finance Commission; PRS.
Uttar Pradesh and Bihar have received the largest devolutions for 2020-21, receiving Rs 1,53,342 crore, and Rs 86,039 crore respectively. Karnataka and Kerala saw the largest decreases in the share of the divisible pool with a decrease of 0.49% and 0.25% respectively. Table 2 below displays the state-wise breakdown of the share in the divisible pool and the total devolution.
Table 3: Share of states in the centre’s taxes
State |
14th Finance Commission |
15th Finance Commission |
Devolution for FY 2020-2021 |
||
Share out of 42% |
Share in divisible pool |
Share out of 41% |
Share in divisible pool |
(In Rs crore) |
|
Andhra Pradesh |
1.81 |
4.31 |
1.69 |
4.11 |
35,156 |
Arunachal Pradesh |
0.58 |
1.38 |
0.72 |
1.76 |
15,051 |
Assam |
1.39 |
3.31 |
1.28 |
3.13 |
26,776 |
Bihar |
4.06 |
9.67 |
4.13 |
10.06 |
86,039 |
Chhattisgarh |
1.29 |
3.07 |
1.4 |
3.42 |
29,230 |
Goa |
0.16 |
0.38 |
0.16 |
0.39 |
3,301 |
Gujarat |
1.3 |
3.1 |
1.39 |
3.4 |
29,059 |
Haryana |
0.46 |
1.1 |
0.44 |
1.08 |
9,253 |
Himachal Pradesh |
0.3 |
0.71 |
0.33 |
0.8 |
6,833 |
Jammu and Kashmir |
0.78 |
1.86 |
- |
- |
- |
Jharkhand |
1.32 |
3.14 |
1.36 |
3.31 |
28,332 |
Karnataka |
1.98 |
4.71 |
1.49 |
3.65 |
31,180 |
Kerala |
1.05 |
2.5 |
0.8 |
1.94 |
16,616 |
Madhya Pradesh |
3.17 |
7.55 |
3.23 |
7.89 |
67,439 |
Maharashtra |
2.32 |
5.52 |
2.52 |
6.14 |
52,465 |
Manipur |
0.26 |
0.62 |
0.29 |
0.72 |
6,140 |
Meghalaya |
0.27 |
0.64 |
0.31 |
0.77 |
6,542 |
Mizoram |
0.19 |
0.45 |
0.21 |
0.51 |
4,327 |
Nagaland |
0.21 |
0.5 |
0.23 |
0.57 |
4,900 |
Odisha |
1.95 |
4.64 |
1.9 |
4.63 |
39,586 |
Punjab |
0.66 |
1.57 |
0.73 |
1.79 |
15,291 |
Rajasthan |
2.31 |
5.5 |
2.45 |
5.98 |
51,131 |
Sikkim |
0.15 |
0.36 |
0.16 |
0.39 |
3,318 |
Tamil Nadu |
1.69 |
4.02 |
1.72 |
4.19 |
35,823 |
Telangana |
1.02 |
2.43 |
0.87 |
2.13 |
18,241 |
Tripura |
0.27 |
0.64 |
0.29 |
0.71 |
6,063 |
Uttar Pradesh |
7.54 |
17.95 |
7.35 |
17.93 |
1,53,342 |
Uttarakhand |
0.44 |
1.05 |
0.45 |
1.1 |
9,441 |
West Bengal |
3.08 |
7.33 |
3.08 |
7.52 |
64,301 |
Total |
42 |
100 |
41 |
100 |
8,55,176 |
Sources: Reports of 14th and 15th Finance Commission; PRS.
What are the various grants recommended by the 15th Finance Commission?
The Terms of Reference of the Finance Commission require it to recommend grants-in-aid to the States. These grants include: (i) revenue deficit grants, (ii) grants to local bodies, and (iii) disaster management grants.
14 states are estimated to face a revenue deficit post-devolution. To make up for this deficit, the Commission has recommended revenue deficit grants worth Rs 74,341 crore to these 14 states. Additionally, three states (Karnataka, Mizoram, and Telangana) have received special grants worth Rs 6,674 crore. The special grants are being given to compensate for a decline in the sum of tax devolution and revenue deficit grants in 2020-21 as compared to 2019-20.
The Commission has recommended a total of Rs 90,000 crore for grants to the local bodies in 2020-21. This amounts to an increase over the Rs 87,352 crore allocated for 2019-20 for the same. The new allocation is 4.31% of the divisible pool. Of this sum, Rs 60,750 crore has been recommended for rural local bodies, and Rs 29,250 crore for urban local bodies. These grants will be made available to all three tiers of Panchayat- village, block, and district.
To promote local-level mitigation activities, the Commission has recommended the setting up of National and State Disaster Management Funds. Recommended grants for the State Disaster Risk Management Fund is Rs 28,983 crore, while the allocation for the National Disaster Risk Management Fund is Rs 12,390 crore.
Apart from these, guidelines for performance-based grants and sector-specific grants have been outlined. The Commission has recommended a grant of Rs 7,375 crore for nutrition in 2020-21. Sectors for which sector-specific grants will be provided in the final report include: (i) nutrition, (ii) health, (iii) pre-primary education, (iv) judiciary, and (v) railways.
For more details, please see our summary of the report.